फाग खेलन बरसाने आए हैं, नटवर नन्दकिशोर
नटवर नन्दकिशोर, नटवर नन्दकिशोर, फाग खेलन --------
घेर लई सब गली रंगीली,
छाय रही सब छवि छवीली,
जिन अबीर, जिन अबीर, जिन अबीर,
गुलाल उड़ाए हैं, मारत भर-भर झोर, फाग खेलन --------
सह रहे चोट ग्वाल ढालन पे,
केसर कीच मलैं गालन पे,
जिन हरियल, जिन हरियल, जिन हरियल
बाँस मँगाए हैं, चलन लगे चहुँ ओर, फाग खेलन --------
भई अबीर घोर अँधियारी,
दीखत नाहिं कोई नर और नारी,
जिन राधे, जिन राधे, जिन राधे,
सैन चलाए हैं, पकरे माखन-चोर, फाग खेलन --------
जुल-मिल के सब सखियाँ आईं,
उमड़ घटा अम्बर पे छाई,
जिन ढोल, जिन ढोल, जिन ढोल
मृदंग बजाए हैं, बंसी की घनघोर, फाग खेलन --------
जो लाला घर जानो चाहो,
तो होरी को फगुआ लाओ
जिन श्याम ने, जिन श्याम ने, जिन श्याम ने
सखा बुलाए हैं, नाचत कर-कर शोर, फाग खेलन --------
राधे जू के हा-हा खाओ,
सब सखियन कै घर पहुँचाओ
जिन घासीराम, जिन घासीराम पथ गाए हैं, लगी श्याम से डोर।
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