आरती लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
आरती लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

ARTI AVADH VIHARI KI - आरती अवध बिहारी की, दयामयी जनकदुलारी की।।

आरती अवध बिहारी की, दयामयी जनकदुलारी की।।

आरती अवध बिहारी की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


सिंहासन सोहे युगल सरकार,
परस्पर हँसी हेरत हर बार,
मधुर कछु बोल लेत मन मोल,
ललित छवि प्रीतम प्यारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


अलोकत पाय अंजनीलाल,
निरखि पग पंकज होत निहाल,
कहत रघुराई धन्य सेवकाई,
पवनसुत गिरिवर धारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


भरतजू ठाड़े भाव विभोर,
लखन रिपु दमन लाल करजोर,
लखे मुख चंद लेत आनंद,
धन्य शोभा धनुधारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


आरती जो कोई जन गावे,
प्रभु पद प्रेम अवश्य पावे,
शरण राजेश दवे अवधेस,
बोलिए जय जय भयहारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


आरती अवध बिहारी की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


 

हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत, SHRI RAM KI BADOLAT

 हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत,

और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत


श्री राम नाम जप के लंका से जीत आए,

हनुमान सिद्धि पा गए हरि नाम की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं....


कुछ पुण्य हो रहा है जो सूरज निकल रहा है,

धरती थमी है सदियों से इंसान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


हमें  गर्व हो रहा है विज्ञान की बदौलत,

विज्ञान का वजूद है भगवान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


मेरे लिए अतिथि भगवान के बराबर,

सर करते है न्यौछावर मेहमान के बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


लब पे हंसी नहीं तो जीना भी है क्या जीना,

पहचान है जहाँ में मुस्कान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...

MAN ME BASAKAR TERI MURTI मन में बसा कर तेरी मूर्ती

मन में बसा कर तेरी मूर्ती
उतारूँ मैं गिरधर तेरी आरती
मन में बसा कर तेरी मूर्ती
उतारूँ मैं गिरधर तेरी आरती
करुना करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन
भव में फासी नाव तार दो भगवन
दर्द की दवा तुम्हारे पास है
ज़िन्दगी है दया की है भीख मांगती
मन में बसा कर तेरी मूर्ती
उतारूँ मैं गिरधर तेरी आरती
मांगू तुझसे क्या मैं यही सोचु भगवन
ज़िन्दगी जब तेरे नाम कर दी अर्पन
सबकुछ तेरा कुछ नहीं मेरा
चिंता है तुझको प्रभू संसार की
मन में बसा कर तेरी मूर्ती
उतारूं मैं गिरधर तेरी आरती
वेद तेरी महिमा गाएं संत करे ध्यान
नारद गुण गान करें छेड़े वीणा तान
भक्त तेरे द्वार करते हैं पुकार
दास तेरा गाये तेरी आरती
मन में बसा कर तेरी मूर्ती
उतारूं मैं गिरधर तेरी आरती

हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ- HE RAJA RAM TERI ARTI UTARUN


हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ
आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ,

कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल  छबि को सदा निहारूँ,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........

बाम भाग शोभति जग जननी, 
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........ 

आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हिरदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........ 

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
बधन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........ 

आरती श्री दुर्गाजी - ARTI SHRI DURGA JI KI

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से है बलशाली,  अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

श्री गणेशजी की आरती - AARTI GANESH JI KI

श्री गणेशजी की आरती


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

ॐ जय शिव ओंकारा- OM JAY SHIV OMKARA

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं- SHI BANKE BIHARI TERI AARTI GAU


श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,

हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
बाल कृष्ण तेरी आरती गाऊं॥



मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे।
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥



चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥



दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥



श्री हरीदास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं॥

आरती अतिपावन पुराण की (श्रीमद भागवत पुराण) -AARTI ATI PAVAN PURAN KI


आरती अतिपावन पुराण की |
धर्म - भक्ति - विज्ञान - खान की || टेक ||

महापुराण भागवत निर्मल |
शुक-मुख-विगलित निगम-कल्ह-फल ||
परमानन्द-सुधा रसमय फल |
लीला रति रस रसिनधान की || आरती० 

कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी |
जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ||
सेवत सतत सकल सुखकारिणी |
सुमहैषधि हरि चरित गान की || आरती० 

विषय विलास विमोह विनाशिनी |
विमल विराग विवेक विनाशिनी ||
भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी |
परम ज्योति परमात्मा ज्ञान को || आरती० 

परमहंस मुनि मन उल्लासिनी |
रसिक ह्रदय रस रास विलासिनी ||
भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी |
कथा अकिंचन प्रिय सुजान की || आरती० 

आरती कुंजबिहारी की- ARTI KUNJ BIHARI KI


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुण्डल झलकाला;
नंद के आनंद, मोहन बृज चंद्र, हरी सुख कंद
राधिका रमण बिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
रतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

जहां से प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा
स्मरण से होत मोह भंगा;
बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू 
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

आरती श्री रामायण जी की - ARTI SHRI RAMAYAN JI KI


आरती श्री रामायण जी की
कीरत कलित ललित सिय पिय की।

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद
बाल्मीक विज्ञानी विशारद।
शुक सनकादि शेष अरु सारद
वरनि पवन सुत कीरति निकी।।
आरती श्री रामायण जी की ..

संतन गावत शम्भु भवानी
असु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।
व्यास आदि कवि पुंज बखानी
काकभूसुंडि गरुड़ के हिय की।।
आरती श्री रामायण जी की ….

चारों वेद पूरान अष्टदस
छहों होण शास्त्र सब ग्रंथन को रस।
तन मन धन संतन को सर्वस
सारा अंश सम्मत सब ही की।।
आरती श्री रामायण जी की …

कलिमल हरनि विषय रस फीकी
सुभग सिंगार मुक्ती जुवती की।
हरनि रोग भव भूरी अमी की
तात मात सब विधि तुलसी की ।।
आरती श्री रामायण जी की ….