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MOHE HORI ME KAR GAYO मोहे होरी में कर गयो तंग

 मोहे होरी में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
हिया मोरा उमंग में,
होरी खेले साँवरा,
श्री राधा जी के संग में,

मोहे होरी में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,

ग्वाल बालन संग घेर लई मोहे,
एकली जान के,
भर भर मारे रंग पिचकारी मेरे,
सनमुख तान के,
या ने ऐसो, या ने ऐसो,
या ने ऐसो मचायो हुरदंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,

जित जाऊँ मेरे पीछे डोले,
जान जान के अटके,
ना माने होरी में कहूं की ये तो,
गलिन गलिन में मटके,
ना ऐ होरी, ना ऐ होरी,
ना ऐ होरी खेलन को ढंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,

रंग बिरंगे "चित्र विचित्र"
बनाए दिए होरी में,
पिचकारी में रंग रीत गयो,
भर ले कमोरी ते,
पागल ने, पागल ने,
पागल ने छनाए दई भंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होरी में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,
मोहें होरी में कर गयो तंग,
ये रसियां माने ना मेरी,

CHALO KHELENGE HOLI चलो खेलेंगे होली

 श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

बाग़ है यह अलबेला,
लगा कुंजो में मेला।
हर कोई नाचे गाये,
रहे कोई ना अकेला।

झूम कर सब ये बोलो,
हर बरस आये यह होली॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

कभी वृन्दावन खेले,
कभी बरसाने खेले।
कभी गोकुल में खेले,
कभी बरसाने खेले।

रंगी नंदगाव की गलीयाँ,
रंगी भानु की हवेली॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

ग्वाल तुम संग में लाना,
मेरे संग सखीयाँ होंगी।
उन्हें तुम रंग लगाना,
चाह वो करती होंगी।

तुम्हे मैं दूंगी गारी,
काहे खेलत हो होरी॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

कभी गुलाल उडाए,
कभी मारे पिचकारी।
कभी रंग जाए राधा,
कभी रंग जाए बिहारी ।

है कैसा मस्त महिना,
है कैसी सुन्दर जोड़ी॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

RANG DAR GAYO RI रंग डार गयो री, मोपे सांवरा

 रंग डार गयो री मोपे साँवरा,
रंग डार गयो री मोपे सांवरा,
मर गयी लाज़न हे री मेरी बीर,
मैं का करुं सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

मारी तान के ऐसी मोपे, पिचकारी,
मारी तान के ऐसी मोपैं,  पिचकारी,
मेरो भीज्यों तन को चीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

रंग डारी चुनर कोरी रै,
रंग डारी चुनर कोरी रे,
मेरे भर गयो नैनन अबीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

मेरो पीछा ना छोड़े ये होरी में,
मेरो पीछा ना छोड़े ये होली में,
एक नन्द गाँव को अहीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

पागल के चित्र विचित्र संग,
पागल के चित्र विचित्र संग,
होरी भई यमुना के तीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

रंग डार गयो री, मोपे सांवरा,
मर गयी लाज़न हे री मेरी बीर,
मैं का करु सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

SAKHI RI METO FAG MANAUNGI सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी

 डफ ढोल बजाऊंगी
सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी.....x3

बरसने में आज मची है आज सखी रंगाली होली,
ओह्ह सखी रंगाली होली......
हा हा सखी रंगाली होली......
भरली सबने रंग पिचकारी ।।

भरली रंग घूमोरी रंग में रंग जाऊंगी ।।
सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी......
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।
हरे गुलाबी नीला पिला उड़ रयो है भारी,
केसर की जिन गलियों में रंग गए नर नारी,
ओह्ह रंग गए नर नारी......
हा हा रंग गए नर नारी......

में भी रंग उड़ाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी,
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

अभी गुलाल उड़े अंबर में फ़ाग मचे चहु ओर,
ओह्ह फ़ाग मचे चहु ओर......
हा हा फ़ाग मचे चहु ओर......
इत में घेरी गली रंगाली उत में साथ विघोर,
ओह्ह उत में साथ विघोर........
हा हा उत में साथ विघोर.........

अब एक न मानूँगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी,
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

चित्र विचित्र पागल के संग में होरी के रसिया गावे,
ओह्ह होरी के रसिया गावे......
हा हा होरी के रसिया गावे.......
अजर अमरिया ब्रज की होरी दरश करत सत पावे,
ओह्ह दरश करत सत पावे.....
हा हा दरश करत सत पावे......

प्रेम रास में पाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी,
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

RADHE KHELAN PADHARO राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

 होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
श्यामा खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

श्री वृन्दावन में श्री मधुवन में
राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

आई बसंत बहार करे कोयल पुकार
पड़े रंगन की फुहार श्री वृन्दावन में

कर के सोलह श्रृंगार आई मिल के ब्रज नार
गावैं होरी की धमार श्री वृन्दावन में

लियें हाथन गुलाल मारी पिचकारी की धार
रंग सों रंग दिए नंदकुमार श्री वृन्दावन में

राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

बोलिये मान सरोवर वारी की जय
श्री अलबेली सरकार की जय
श्री राधावल्लभ लाल की जय
जय जय श्री राधे ! श्री हरिवंश !!

FAG KHELAN BARSANE AAYE HE फाग खेलन बरसाने आये हैं

 फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर
घेर लई सब गली रंगीली
छाय रही छबि छटा छबीली
जिन ढोल मृदंग बजाये हैं
बंसी की घनघोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

जुर मिल के सब सखियाँ आई
उमड घटा अंबर में छाई
जिन अबीर गुलाल उडाये हैं
मारत भर भर झोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

ले रहे चोट ग्वाल ढालन पे
केसर कीच मले गालन पे
जिन हरियल बांस मंगाये हैं
चलन लगे चहुँ ओर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

भई अबीर घोर अंधियारी,
दीखत नही कोऊ नर और नारी
जिन राधे सेन चलाये हैं
पकडे माखन चोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

जो लाला घर जानो चाहो
तो होरी को फगुवा लाओ
जिन श्याम सखा बुलाए हैं
बांटत भर भर झोर।
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

राधे जू के हा हा खाओ
सब सखियन के घर पहुँचाओ
जिन घासीराम पद गाए हैं
लगी श्याम संग डोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

HOLI KESE KHELU RI YA होली कैसे खेलू री, या सांवरिया के संग रंग में

 मैं होली कैसे खेलू री,
या सांवरिया के संग रंग में,
मैं होली कैसे खेलू री,
या सांवरिया के संग रंग में।

कोरे कोरे कलश मंगाए,
उनमें घोरा रंग,
भर पिचकारी ऐसी मारी,
चोली हो गई तंग,
रंग में,
मैं होली कैसे खेलू री,
या सांवरिया के संग रंग में।

नैनन सूरमा दांतन मिस्सी,
रंग होत बदरंग,
मशक गुलाल मले मुख ऊपर,
रहे कृष्ण को संग,
रंग में,
मैं होली कैसे खेलू री,
या सांवरिया के संग रंग में।

तबला बाजे सारंगी बाजे,
और बाजे मृदंग,
कान्हा जी की बांसुरी बाजे,
राधा जी के संग,
रंग में,
मैं होली कैसे खेलू री,
या सांवरिया के संग रंग में।

चुनरी भीगोई लहंगा भिगोयो छूटो किनारी रंग,
सूरदास कहै कहां भिगोए कारी कमरी अंग,
रंग में,
मैं होली कैसे खेलू री,
या सांवरिया के संग रंग में।

MITHILA ME RAM KHELE HOLI मिथिला में राम खेले होली

 मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली,
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला …… 2

किनके हाथ कनक पिचकारी, -2
किनके हाथ अबीर झोली,
किनके हाथ अबीर झोली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2

राम हाथ कनक पिचकारी,
राम हाथ कनक पिचकारी
सीता हाथ अबीर झोली,सी
ता हाथ अबीर झोली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में राम खेले होली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2

किनका बीच पियर पितांबर,
किनके बीच कुसुम चूनरी,
किनके बीच कुसुम चूनरी,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में राम खेले होदली।

मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली, -2
हो खेले होली,हो खेले होली,मिथिला में,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली,
मिथिला में,मिथिला में राम खेले होली

BARSANE ME AAJ बरसाने में आज धूम मची होली की

 बरसाने में आज धूम मची होली की,
धूम मची होली की, धूम मची होली की,
बरसानें में आज धूम मची होली की।।

रंग रंगीलो फागुण आयो,
ब्रज वासी को मन हर्षायो,
रंग रंगीलो फागुण आयो,
ब्रज वासी को मन हर्षायो,
नाचे दे दे ताल,
धूम मची होली की,
बरसानें में आज धूम मची होली की।।

नन्द गाँव से ग्वाला आये,
सुन्दर ढाल संग में लाये,
नन्द गाँव से ग्वाला आये
सुन्दर ढाल संग में लाये,
उड़त अबीर गुलाल,
धूम मची होली की,
बरसानें में आज धूम मची होली की।।
उत है बरसाने की सखियाँ,
इत है नन्द गाँव के रसिया,
उत है बरसाने की सखियाँ,
कर सोलह श्रृंगार,
धूम मची होली की,
बरसानें में आज धूम मची होली की।।

गली रंगीली शोभा न्यारी,
ग्वालन पड़ रही लठियाँ भारी,
गली रंगीली शोभा न्यारी,
ग्वालन पड़ रही लठियाँ भारी,
हो रही जय जयकार,
धूम मची होली की,
बरसानें में आज धूम मची होली की।।

Mere kanha jo aaye palat ke

मेरे कान्हा जो आये पलट के,
आज  होली मैं खेलूंगी डट के,

अपने तन पे गुलाल लगा गे,
उनके पीछे मैं छुपके से जाके,
रंग दूंगी उन्हें मैं लिपट के,
आज  होली मैं खेलूंगी डट के,

की उन्हों अगर जोरा-जोरी,
जोरा-जोरी,जोरा-जोरी,
छिन्नी पिचकारी बाइयाँ मरोरी,
गरियाँ मैंने रखी है रट के,
आज  होली मैं खेलूंगी डट के,

मेरा खो गया बाजूबन्द रसिया-MERO KHO GAYO BAJU BAND

हो मेरा खो गयो बाजूबन्द रसियाओ रसिया होली में
होली में होली में होली-होली मेंओ रसिया होली में || मेरा खो गयो

बाजूबन्द मेरो बड़े री मोल कातोसे बनवाऊँ पूरे तोल का
सुन!!!! सुन नन्द के परचन्दओ रसिया होली में || मेरा खो गयो

सास लड़ेगी मेरी नन्द लड़ेगीबलम की सिर पे मार पड़ेगी
तो!!!! तो हो जाय सब रस भंगओ रसिया होली में || मेरा खो गयो

ऊधम तूने लाला बहुत मचायालाज-शरम जाने कहाँ धर आया
मैं तो!!!! मैं तो आ गई तोसे तंगओ रसिया होली में || मेरा खो गयो

मेरी तेरी प्रीत पुरानीतूने मोहन नहीं पहचानी

ओ मुझे!!!!! ओ मुझे ले चल अपने संगओ रसिया होली में || मेरा खो गयो

फागुन के दिन चार रे- FAGUN KE DIN CHAR

फागुन के दिन चार रे, होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार।

बिन करताल पखावज बाजे, अनहद की टंकार रे
   बिन सुर राग छतीसों गावे, रोम-रोम झंकार रे
          होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार ॥

शील-संतोष की केसर घोरी, प्रेम-प्रीत पिचकार रे   
   उड़त गुलाल लाल भयो अम्बर, बरसत रंग अपार रे
          होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार ॥ 

घूँघट के पट खोल दिए हैं, लोक लाज सब ड़ार रे
   मीरा के प्रभु गिरधर नागर, चरण-कमल बलिहार रे

          होली खेल मना रे, फागुन के दिन चार ॥ 

होरी में लाज न कर गोरी होरी में- HORI ME LAJ NA KAR GORI


होरी में लाज न कर गोरी होरी में।


हम ब्रज के रसिया तू गोरी, ऐसी सुघड़ बनी यह जोरी,
होरी में, हाँ हाँ होरी में, हम्बै होरी में,
होरी में ----

जो हमसे सूधे नहीं खेले, तो फिर हम करि हैं बरजोरी,
होरी में, हाँ हाँ होरी में, हम्बै होरी में,
होरी में ----

सास ननद से दुबक दुबक के, हमसे खेल लै होरी गोरी,
होरी में, हाँ हाँ होरी में, हम्बै होरी में,
होरी में ----

नारायन अब निकस द्वार से, छूटेगी नाँय बन के भोरी,
होरी में, हाँ हाँ होरी में, हम्बै होरी में,
होरी में ----




पुरुषोत्तम प्रभु की छवि निरखें, निरखें बरसाने की होरी।
होरी में, हाँ हाँ होरी में, हम्बै होरी में,
होरी में ----

होरी खेल रहे नन्दलाल, गोकुल की कुंज गलिन में- HORI KHEL RAHE NAND LAL

होरी खेल रहे नन्दलाल, गोकुल की कुंज गलिन में,

गोकुल की कुंज गलिन में, मथुरा की सँकरी गलिन में ॥ होरी खेल ----

पूरब में राधा प्यारी, पश्चिम में कृष्ण मुरारी,

उत्तर दक्खिन गोपी ग्वाल, गोकुल की कुंज गलिन में।

याने भर पिचकारी मारी, चूनर की सुरत बिगारी,

मेरे गालन मल्यो गुलाल, गोकुल की कुंज गलिन में।

मोहे छेड़े मत मोरे सइयाँ, मैं पड़ूँ तिहारे पइयाँ,

मोहे मती करो बेहाल, गोकुल की कुंज गलिन में।

नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ- NEK AGE AA SHYAM TOPE



नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ
       हाँ रे नेक आगे आहम्बै नेक आगे आ
       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

रंग डारूँ तेरे अंगन सारूँरंग डारूँ तेरे अंगन सारूँ लाला,
       तेरे गालन पेतेरे गालन पे, गुलचा मारूँ नेक आगे आ
       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

 टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँटेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँ लाला
       तेरी पगिया पेतेरी पगिया पे फुलड़ी डारूँनेक आगे आ
       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

ब्रज दूल्हा तू छैल अनोखाब्रज दूल्हा तू छैल अनोखा लाला
       तोपे तन-मन-धन-जोबन वारूँनेक आगे आ

       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

डार गयो री, डार गयो री, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर DAR GAYO RI DAR GAYO RI

डार गयो रीडार गयो रीरंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

तान दई मम तन पिचकारी,
            फ़ट्यो कंचुकी चीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
चूनर बिगर गई जरतारी,
            कसकत दृगन अबीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
जैसे-तैसे इन अँखियन से,
            धोय तो डारो अबीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
मृदु मुसकाय कान्ह नैनन के,
      मारत तीर गंभीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

डार गयो रीडार गयो रीरंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

फाग खेलन बरसाने आए हैं, नटवर नन्दकिशोर- FAG KHELAN BARSANE AAYE HEN

 फाग खेलन बरसाने आए हैंनटवर नन्दकिशोर
नटवर नन्दकिशोरनटवर नन्दकिशोरफाग खेलन --------

घेर लई सब गली रंगीली,
       छाय रही सब छवि छवीली,
             जिन अबीरजिन अबीरजिन अबीर,
गुलाल उड़ाए हैंमारत भर-भर झोरफाग खेलन --------

सह रहे चोट ग्वाल ढालन पे,
       केसर कीच मलैं गालन पे,
             जिन हरियलजिन हरियलजिन हरियल
बाँस मँगाए हैंचलन लगे चहुँ ओरफाग खेलन --------

भई अबीर घोर अँधियारी,
       दीखत नाहिं कोई नर और नारी,
               जिन राधेजिन राधेजिन राधे,
सैन चलाए हैंपकरे माखन-चोरफाग खेलन --------

जुल-मिल के सब सखियाँ आईं,
       उमड़ घटा अम्बर पे छाई,
             जिन ढोलजिन ढोलजिन ढोल
मृदंग बजाए हैंबंसी की घनघोरफाग खेलन --------

जो लाला घर जानो चाहो,
       तो होरी को फगुआ लाओ
             जिन श्याम नेजिन श्याम नेजिन श्याम ने
सखा बुलाए हैंनाचत कर-कर शोरफाग खेलन --------

राधे जू के हा-हा खाओ,
             सब सखियन कै घर पहुँचाओ

जिन घासीरामजिन घासीराम पथ गाए हैंलगी श्याम से डोर।

होली खेल रहे नन्दलाल- HOLI KHEL RAHE NAND LAL BRINDAVAN

होली खेल रहे नन्दलाल

सबका हाल बेहाल कर रहे हैं, साथ में चुनरी की भी शोभा बिगाड़ रहे हैं। तब भी भक्त जन मुग्ध नहीं, मन्त्र-मुग्ध हैं।

होली खेल रहे नन्दलालवृन्दावन की कुंज गलिन में
वृन्दावन की कुंज गलिन में, वृन्दावन की कुंज गलिन में
होली खेल रहे……………..

संग सखा श्याम के आये, रंग भर पिचकारी लाए
      सबका !!!! हो सबका करें हाल बेहाल || वृन्दावन की ----------
चल गली रँगीली आए, ढप-झाँझ-मृदंग बजाए
      गाँवें !!!! हो गाँवें नाचें, छेड़ें तान || वृन्दावन की ----------

रंग भर पिचकारी मारी, चूनर की आब बिगारी
      मेरे मुख पे !!!! हो मेरे मुख पे मला गुलाल || वृन्दावन की ----------
छवि निरख श्याम की प्यारी, सब भक्त बजावें तारी

      सब पर !!!! हो सब पर रंग डाल रहे ग्वाल || वृन्दावन की ----------

आज बिरज में होरी रे रसिया- AAJ BIRAJ ME HORI RE RASIYA

आज बिरज में होरी रे रसिया
       होली रे रसियाबरजोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------
चोवा चन्दन और अगरजा,
   केसर मृगमद घोरी रे रसिया ॥ आज बिरज में -----------

इधर से आए कुँवर कन्हैयाइधर से आए कुँवर कन्हैया
       उधर से राधा गोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------
अपने-अपने घर से निकलींअपने-अपने घर से निकलीं
       कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------

कौन के हाथ कनक पिचकारीकौन के हाथ कनक पिचकारी
       कौन के हाथ कमोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------
राधा के हाथ कनक पिचकारीराधा के हाथ कनक पिचकारी
       श्याम के हाथ कमोरी रे रसिया  आज बिरज में ----------

कितना लाल-गुलाल मँगायाकितना लाल-गुलाल मँगाया
       कितनी मँगाई केसर रे रसियाआज बिरज में -----------
सौ मन लाल-गुलाल मँगायासौ मन लाल-गुलाल मँगाया
       दस मन केसर घोली रे रसिया  आज बिरज में -----------

उड़ा गुलाल लाल हुए बादलउड़ा गुलाल लाल हुए बादल
       केसर हवा में घुली रे रसिया  आज बिरज में -----------
बज रहे ताल मृदंग-झाँझ-ढपबज रहे ताल मृदंग-झाँझ-ढप
       और नगाड़ों की जोड़ी रे रसिया   आज बिरज में -----------

चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छविचन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि

       युग-युग जिए यह जोड़ी रे रसिया आज बिरज में -----------

नन्द के द्वार मची होली- NAND KE DWAR MACHI HOLI

नन्द के द्वार मची होली

सूरदास जी की दृष्टि में कुँवर कन्हैया की होली कैसी है? बाबा नन्द के द्वार पर होली की धूम है। एक ओर पाँच वर्ष के कुँवर कन्हैया खड़े हैं तो दूसरी ओर सात वर्ष की राधा रानी। प्रभु इस जोड़ी को बनाए रखें, यह सूर जी की विनती है। (कहते हैं कि दस वर्ष की आयु में कंस के निमंत्रण पर कृष्ण कुश्ती लड़ने उसके दरबार में चले गए थे।)


बाबा नन्द के द्वार मची होलीबाबा नन्द के |

इधर खड़े हैं कुँवर कन्हैया-लाला
      उधर खड़ी राधा गोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

पाँच बरस के कुँवर कन्हैया-लाला
      सात बरस-की राधा गोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

 हाथ में लाल गुलाल पिचकरा
      मारत हैं भर बरजोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को

      अविचल रहियो यह जोड़ीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....