होरी खेल रहे नन्दलाल, गोकुल की कुंज गलिन में- HORI KHEL RAHE NAND LAL

होरी खेल रहे नन्दलाल, गोकुल की कुंज गलिन में,

गोकुल की कुंज गलिन में, मथुरा की सँकरी गलिन में ॥ होरी खेल ----

पूरब में राधा प्यारी, पश्चिम में कृष्ण मुरारी,

उत्तर दक्खिन गोपी ग्वाल, गोकुल की कुंज गलिन में।

याने भर पिचकारी मारी, चूनर की सुरत बिगारी,

मेरे गालन मल्यो गुलाल, गोकुल की कुंज गलिन में।

मोहे छेड़े मत मोरे सइयाँ, मैं पड़ूँ तिहारे पइयाँ,

मोहे मती करो बेहाल, गोकुल की कुंज गलिन में।

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