करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता
तुम हो अधम जनों का उद्धार करने वाले
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करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता
तुम हो अधम जनों का उद्धार करने वाले
दर्दे दिल दवा दीजिये,
हाय मेरा दिल मेरा दिल दिल दिल
श्याम मेरा दिल मेरा दिल दिल दिल,
दर्दे दिल मेरे बाबा की दवा दीजिये,
कम से कम मेरे साई मुस्कुरा दीजिये
उम्र भर बरसाना मैं रहूँ
कोई ऐसी सजा दीजिए
मेरा दिल आपका घर हुआ मेरे बाबा जी,
आते आते जाते रहा कीजिये,
ज़ख़्म दुनिया ने मुझको दिए मेरे बाबा,
आप मरहम लगा दीजिये ,
क्या सही क्या गलत, क्या पता, मैं क्या जानू,
आप ही फैसला कीजिये,
आंधियो में जो न भुझ सके मेरे बाबा,
ऐसा दीपक जला दीजिये,
एक समंदर ये कहने लगा बाबा से,
मुझको मीठा बना दीजिये,
एक होकर रहे सारे बाबा
ऐसा भारत बना दीजिए ॥
कुछ भी देना हो मारे मालिक
मेरे हक मे दुआ कीजिए
आप के नाम से नाम हो मेरे प्यारे
ऐसी शोहरत ''हम'' को अदा कीजिये,
मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है,
अब तो कह दो, के तू हमारा है |
मंजिल मिली, मुराद मिली, मुदा मिला,
सब कुछ मुझे मिला, जो तेरा नक्श-ऐ-पा मिला |
जब दूर तक ना कोई, फकीर आशना मिला,
तेरा नियाज़-मंद, तेरे दर से जा मिला |
आलम-ऐ-शोक में, ना जाने क्यों,
मेने हर दम, तुम्हें पुकारा है |
तू तो सब ही के पास है मोजूद,
कोन कहता है, तू हमारा है |
तेरे सदके में ये तमाम जहान,
अपनी ठोकर पे मेने मारा है |
राज़ को राज़ क्यों समझते हो,
राज़ दुनिया पे आशिकारा है |
जिगर को कर गई घायल
तेरी निगाहें सितम
इलाज खूब दिया है
तूने दर्दे दिल का सनम
आतिशे इश्क कलेजे में दबी रहती है
तूने जिस दिन से लगाई है लगी रहती है
ओ दीवानी ओ मस्तानी जमना पे जाए भरने को पानी
ढूंढले कोई सवरिया 2
ओ दीवानी ओ मस्तानी भरने को आए जमना पे पानी
बरसाने वारी गुजरिया
ढूंढले कोई सवरिया
तीखे नयना गाल गुलाबी
सुंदर मुखड़ा होंठ शराबी2
बात हमारी मान ले कोई रात को आजा चोरी चोरी
खाली है मन की गठरिया
ढूंढले कोई सवरिया
चढ़ती जवानी तड़पाए है
व्याकुल नैना तरसाए है
# हस्ती को मोहब्बत में फना कोन करेगा
ये फर्ज़ अदा मेरे सिवा कोन करेगा
यूं तो नाकाम आरज़ू की कीमत है बहुत
मेरे लिए मरने की दुआ कोन करेगा
चढ़ती जवानी तड़पाए है व्याकुल नैना तरसाए है
आजा गले से तुझको लगा लूं
चेहरे से तेरे जुल्फें हटा लूं
लखनऊ की गोरी गुजरिया
ढूंढले कोई सवरियां ढूंढले कोई ......
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हर लम्हा गुजरता है खता वार हमारा
मरना भी अब तो मरना है दुश्वार हमारा
हमने तो सिर्फ आस लगाई है हरी से
है उसके सिवा कौन मददगार हमारा
इतनी जल्दी करो ना जाने की
सांस रुक जाएगी दीवाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की ………
आप आए बहार आई है
जागी किस्मत गरीब खाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की……….
आओ मेरे करीब आ जाओ
आरजू है गले लगाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की……….
रूठना है तो रूठ जाओ तुम
हमको फुर्सत नहीं मनाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की……….
धड़कने और बढ़ गई दिल की
क्या जरूरत थी मुस्कुराने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की………
तेरी सूरत को जब से देखा, बेहोश हुए मदहोश हुए,
अब प्रीत की रीत निभा ले जरा,चरणों में झुका कर सर बैठे,
पलकों में छुपा लूं श्याम तुम्हें, यह तन मन तुझ पर वार दिया,
जब से पकड़ा तेरे दामन को, दुनिया से किनारा कर बैठे,
दिल में बसा हुआ है, मेरे प्यार आपका,
होता है रोज ख्वाब में, दीदार आपका,
दिल में बसा हुआ है
ओ कान्हा बंसी वाले, हकीकत यह बात है,
यह जाँ भी आपकी है, संसार आपका,
दिल में बसा हुआ है,
उठती है जब भी दिल में, दीदार की तमन्ना,
मन में बना है मंदिर, दरबार आपका,
दिल में बसा हुआ है
जानू ना पूजा वंदन, कैसे करूं तुम्हारा,
किस विधि करूं तुम्हारा, सत्कार आपका,
दिल में बसा हुआ है, मेरे प्यार आपका,
होता है रोज ख्वाब में, दीदार आपका,
दिल में बसा हुआ है मेरे प्यार आपका
तुम्हे क्या बताऊं ए राजदान
तेरे सामने मेरा हाल है
तेरी एक निगाह की बात है
मेरी जिंदगी का सवाल है
तुमको पाया है जमाने से किनारा करके
तुम बदल देते हो किस्मत को इशारा करके
अपनी निस्बत पे कोई रंग न चढ़ने देंगे
फूल तो फूल है पत्ता न उखड़ने देंगे
वो मेरा दामने हस्ती न उजड़ने देंगे
मेरे बाबा मेरा कुछ ना बिगड़ने देंगे
ऐसा नवाजा आपने बाबा की कसम
सब मेरे मुकद्दर की तरफ देख रहे हैं
मैं तो यहां सरकार की महफिल में मगन हूं
और सरकार मेरे घर की तरफ देख रहे हैं
तुमको पाया है जमाने से किनारा करके
तुम बदल देते हो किस्मत को इशारा करके
माल ओ दौलत की तमन्ना ना मुझे शोहरत की
कुछ भी दे दे तेरी चौखट का उतारा करके
लाज रख लो मेरी मैं आपका कहलाता हूं
आपके भक्तों में सरकार गिना जाता हूं
जब कभी मंजिलें तन्हाई से घबराता हूं में तो बाबा तेरे दर पे चला आता हूं
उनके टुकड़ों पर पलते हैं हजारों लाखों
मुझको भी फक्र है मैं आपका दिया खाता हूं
अरे जमाने से कह कर के सुकू पाता हूं पकड़ दामन मैं तेरा
मैं तेरा पागल कहलाता हूं
छानकर खाक जमाने की यही सोचा है ...मेरे बाबा
उम्र काटूँ तेरे टुकड़ों पर गुजारा करके
क्यों किसी गैर के दर पर मैं झुकाऊं सर को
मुझको तो आप ने भेजा है पहले से अपना करके
यूं तो क्या क्या नजर नहीं आता
कोई तुमसा नजर नहीं आता
झोलियां सबकी भर दी जाती हैं
देने वाला नजर नहीं आता
गम सभी राहतों तस्कीन में ढल जाते हैं
जब करम होता है हालात बदल जाते हैं
रख ही लेते हैं भरम उनके करम के सदके
जब किसी बात पर दीवाने मचल जाते हैं
ना तो हंसने में मजा है ना मज़ा रोने में
छुप गए तुम कहां ये हाल हमारा करके
मैंने पाई है "शकील" सारे जमाने की खुशी
इनकी चौखट की गुलामी को गवारा करके
बे सहारों को दिया तूने सहारा दाता
बस तेरी एक नजर पर हो गुजारा दाता
नाम लेकर तेरा जिस ने पुकारा दाता
अगर तुम बेनक़ाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी
अगर तुम बेनकाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी।
तुम्हे अपनी पड़ी होगी
हमें अपनी पड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी।
सरे महफ़िल कभी आकर
जो तुम जलवे बिखेरोगे
निगाहों की छुरी जब तुम
हुमारे दिल पे फरोगे।
ना पूछो हाल क्या होगा
ना पूछो हाल क्या होगा
लबों पे जान खड़ी होगी।
अगर तुम बेनक़ाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी।
मोहब्बत से मोहरत से
तुम्हे रब ने बनाया है
तेरी नाज़ुक जवानी को
नज़ाकत से सजाया है।
बड़ी आबिद तस्सली से
बड़ी आबिद तस्सली से
तेरी मूरत घड़ी होगी।
अगर तुम बेनक़ाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी।
चमकते चाँद चेहरे से
जो तुम ज़ूलफें हटाओगे
सामने बैठ कर मेरे
अगर तुम मुस्कुराओगे।
करेगा दिल तुम्हे सजदे
करेगा दिल तुम्हे सजदे
नज़र तुमसे लड़ी होगी।
अगर तुम बेनक़ाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी
अगर तुम बेनक़ाब आओ
क़यामत की घड़ी होगी।
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी
आँखों से रोज अपनि राहे बुहारती
कांटे लगे ना कोई कोमल है राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
डलिया में बेर बागो से चुन चुन के ला रही
खट्टे हो चाहे मीठे खायेंगे राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
आये जब श्री राम जी चरणों में गिर पड़ी
अंसुअन से धो रही है चरणों को राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
सुन्दर बिछा के आसन बैठाया राम को
दिया कंद मूल लाकर खाए है राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी
ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है||
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे
जिसकी जितनी जरूरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे ||
बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर
मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है ||
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ||
ऐसा नहीं कि मुझमेंकोई ऐब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमें कोई फरेब नहीं है||
सोचा था घर बनाकर बैठूँगा सुकून से
पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला मुझे ||
जीवन की भागदौड़ में क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती जिन्दगी भी आम हो जाती है ||
एक सबेरा था जब हँसकर उठते थे हम
और आज कई बार बिना मुस्कुराए ही शाम हो जाती है||
कितने दूर निकल गए रिश्तों को निभाते-निभाते
खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते-पाते ||
लोग कहते हैं हम मुस्कुराते बहुत हैं
और हम थक गए दर्द छुपाते-छुपाते ||
खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ
लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए मगर सबकी परवाह करता हूँ ||
मालूम है कोई मोल नहीं है मेरा फिर भीकुछ अनमोल लोगों से रिश्ते रखता हूँ।