नन्द के द्वार मची होली- NAND KE DWAR MACHI HOLI

नन्द के द्वार मची होली

सूरदास जी की दृष्टि में कुँवर कन्हैया की होली कैसी है? बाबा नन्द के द्वार पर होली की धूम है। एक ओर पाँच वर्ष के कुँवर कन्हैया खड़े हैं तो दूसरी ओर सात वर्ष की राधा रानी। प्रभु इस जोड़ी को बनाए रखें, यह सूर जी की विनती है। (कहते हैं कि दस वर्ष की आयु में कंस के निमंत्रण पर कृष्ण कुश्ती लड़ने उसके दरबार में चले गए थे।)


बाबा नन्द के द्वार मची होलीबाबा नन्द के |

इधर खड़े हैं कुँवर कन्हैया-लाला
      उधर खड़ी राधा गोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

पाँच बरस के कुँवर कन्हैया-लाला
      सात बरस-की राधा गोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

 हाथ में लाल गुलाल पिचकरा
      मारत हैं भर बरजोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को

      अविचल रहियो यह जोड़ीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

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चलो तुम तोड़ दो ये दिल