उतरा सागर में उसको ही मोती मिला।
खोज जिसने भी की मैं उसी को मिला।।
उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
तूने मूरत कहा मैं मुरति वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाषाण था
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
प्रेम तो प्रेम है सीधी सी बात है
प्रेम तो प्रेम है सीधी सी बात है
प्रेम कब पूछता है की क्या जात है
चाहे हिंदू हो चाहे कोई मुसलमान
मुझको रस्खान सलवार पहना गया
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोलापन भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
1. तूने मंदिर में ढूँढा मैं पाषाण था,
तूने मस्जिद में ढूँढा मैं आज़ान था।
देख भीतर हूँ तेरे तेरे पास था,
तूने देखा नहीं मैं दिखा भी नहीं।।
2. देह मिट्टी की मिट्टी में मिल जाएगी,
शान तेरी यह सारी ही घुल जाएगी।।
यूँ न अपने जीवन को तू गंवा।
तू टिकाए नहीं मन टिके भी नहीं।।
3. तूने चाहा नहीं मैं मिला भी नहीं।
तूने ढूँढा नहीं मैं दिखा भी नहीं।।
मैं वो मेहमान हूँ बिन बुलाए हुए।
जो कहीं न गया जो कभी न गया।।
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
तूने मूर्ति कहा मैं मूर्ती वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाशन था
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
ये कहना ग़लत है की उसका पता नही है
ढूँढने की हद तक कोई धुनता नही
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
प्यार प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है
प्यार प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है
प्रेम कब पूचहता है की क्या जात है
चाहे हिंदू हो चाहे कोई मुसलमान
मुझको रस्खान सलवार पहना गया
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
गोविंद गोपाल
यार की मर्ज़ी के आगे
यार का दूं भरके देख
तर्क से मिलता नही
अर्ज़ करके ही तू देख
बे इरादा मरने वेल
बा इरादा मरके देख
सारे तमाशे कर चुका
ये भी तमाशा करके देख
जिंदगी बन जाएगी
तेरे लिए आबे हयात
सब को अपना करके देखा
उनको अपना करके देखा
उनको बना के देख
यार जब तेरा है तो
सारी है तेरी कयनात
जिंदगी पे मरने वेल
जिंदगी में मरके देख
यार की मर्ज़ी के आगे
यार का दूं भरके देख
तर्क से मिलता नही
अर्ज़ करके ही तू देख
अर्ज़ करके ही तू देख