KHUB SURAT HAI ANKHE TERI //खूबसूरत हैं आंखे तेरी सांवरे

खूबसूरत हैं आंखे तेरी सांवरे इक नज़र देख ले, खुद वखुद नींद आ जाएगी प्यार से तू जरा देख ले, दिल की गहराइयों ने छुआ है, सांवरे इश्क(प्यार ) तुमसे हुआ है, मेरे इस दिल में चाहत तेरी कर गई क्या असर देख ले, खुद वखुद नींद आ जाएगी प्यार से तू जरा देख ले, द्वा…

PARWAH NAHI HE MERA YAR//परवाह नही है मेरा यार,मुरली वाला है

एक बार अयोध्या जाओ,दो बार द्वारिका तीन बार जाकर त्रिवेणी में नहाओ चार बार चित्रकूट नौ बार नासिक में बार बार बद्रीनाथ चाहे जहाँ जाओ कोटि बार काशी  केदार नाथ रामेश्वर गया जगन्नाथ चाहे जहां जाओगे होंन्गे प्रत्यक्ष तुम्हें दरश श्यामा श्याम के वृन्दावन सा …

JAB SE BANKE BIHARI HAMARE HUYE // जब से बांके बिहारी हुमारे हुए

जब से बांके बिहारी हुमारे हुए कवित्त   हम एसे नहीं तुम्हें चाहने वाले  जो आज तुम्हें कल ओर को चाहें ॥  फेंक दें आख निकाल दोई  .... जो ओर किसी से नजरें मिलाएं ॥  लाख मिलें तुम से बढ़कर ..... तुम्ही को ही चाहें तुम्ही को सराहें  जब लों तन मे प्राण रहें, …

कविता

कितना अच्छा हो जो मैं उसका तकिया बन जाऊँ उसकी हर साँस  को महसूस कर पाऊँ उसकी हंसी सुन पाऊँ उसके अश्को को समा लूँ खुद मैं कभी उसकी बाहो में  महफूज हो जाऊं कभी उसके होंठो की नरमी को महसूस कर पाऊँ कितना अच्छा हो… कितना अच्छा हो  जो मैं हवा बन जाऊँ जब भी…

आ जइयो श्याम बरसाने में

आ जाइयो श्याम बरसाने गाँव तोये होरी खूब खिलाय दूँगी होरी को मजा चखाय दूँगी-2 संग लाइयो ग्वालन की टोली सब छैल छबीले हम जोली पीरो पटुका पगिया पीरो पीरी पोखर न्हवाय दूँगी, होरी को…… पहराय दऊँ लहँगा अरू चोली निधरक खेलेगें हम होरी चुरिया विछिया काजर बिदिं…

मालिक के दरवार में//MALI KE DARWAR ME SAB

मेरे दाता के दरबार में, है सब का खाता जितना जिसके लिखा भाग्य में, वो उतना ही पाता रे पाता मेरे मालिक के दरबार मे रे मेरे दाता के दरबार में क्या साधू कया संत गृहस्थी, क्या राजा क्या रानी प्रभु की पुस्तक में लिखी है, सब की कर्म कहानी वही सभी के जमा खरच…

RACHA HE SHRISTI KO // रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है, जो पेड़ हमने लगाया पहले, उसी का फल हम अब पा रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है इसी धरा से शरीर पाए, इसी धरा में फिर सब समाए, है …

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