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DARBAR ME KHATU WALE KE _ दरबार में खाटू वाले के दुःख


                       दरबार में खाटू वाले के दुःख 

तर्ज - क्या तुम्हें पता है ए गुलशन

दरबार में खाटू वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है,
गर्दिश के सताए लोग यहाँ सिने से लगाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है

ये महफ़िल है मतवालों की हर भक्त यहाँ मतवाला है,
भर भर के जाम इबादत के यहाँ खूब पिलाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के...........

जिन भक्तों पे ऐ जग वालों, है खास इनायत इस दर की
उनको ही बुलावा आता है दरबार बुलाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के.......

किस्मत के मारे कहाँ रहे जिनका ना ठोर ठिकाना है,
जो श्याम शरण में आते है पलकों पे बिठाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के.....

मत घबराओ ऐ जग वालों इस दर पे शीश झुकाने से,
जिनका भी झुका है शीश यहाँ मुकाम वो ऊँचा पाते है,
दरबार में खाटु वाले के.....

mere sir pe sada Tera hath rahe lyrics - मेरा सांवरा हमेशा मेरे साथ रहे

 मेरे सिर पे सदा  तेरा हाथ रहे,

मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,
मेरे साथ रहे मेरे साथ रहे,
मेरे सिर पे सदा  तेरा हाथ रहे

मैं तो जन्मो से तेरा दीवाना हु,
तेरी किरपा से मैं अनजाना हु,
मेरी झोली में ये तेरी सौगात रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,

तेरी किरपा जप मुझपे हो जायेगी,
मेरी करनी को बाबा धो जायेगी,
तेरे छोटे से दीवाने की ये बात रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,

मेरी मुश्किल का हल हो जायेगा,
मेरा जीवन सफल हो जायेगा,
हर्ष अपनी यु होती मुलाकात रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,


करने वंदन चरणों में बजरंगी, Karne vandan charno me bajrangi

 करने वंदन चरणों में बजरंगी,

दर पे हम तेरे रोज आएंगे,
हो, दर पे तेरे रोज आएँगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।

द्वार पे तेरी अपनी विपदा सुनाएंगे,
द्वार पे तेरी अपनी विपदा सुनायेंगे,
अपने ह्रदय का हम हाल सुनाएंगे,
अपने ह्रदय का हम हाल सुनायेंगे,
करने पूजन चरणों में महावीरा,
मंदिर में तेरे रोज आएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।

संकट हारी तेरी लीला अपार है,
संकटहारी तेरी लीला अपार हैं,
दिल में तुम्हारे अपने भक्तो का प्यार है,
दिल में तुम्हारे अपने भक्तो का प्यार हैं,
करके अर्चन चरणों में मारुति नंदन,
भक्ति के गीत रोज गाएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।

श्रद्धा सुमन हम तुमको चढ़ाएंगे,
श्रद्धा सुमन हम तुमको चढ़ायेंगे,
दीपक जलाएंगे आरती दिखाएंगे,
दीपक जलाएंगे आरती दिखायेंगे,
करने पूजन चरणों में अंजनी लल्ला,
हवन में नित प्रीत लाएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।

करने वंदन चरणों में बजरंगी,

दर पे हम तेरे रोज आएंगे,

हो दर पे तेरे रोज आएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।

https://youtu.be/V-qMEBMCgqghttps://youtu.be/V-qMEBMCgqg

अंजनी के लाला ने,दुनिया में नाम कर दिया।। Choti umar me tune kaisa kamal kar diya

 लाल देह लाली लसे,अरु धरि लाल लंगूर ।

बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर


छोटी उम्र में  तूने कैसा,कमाल कर दिया।

अंजनी के लाला ने,दुनिया में नाम कर दिया।।


छोटी उम्र में तूने,सूरज को मुख में ले लिया

अंजनी के लाला ने कैसा कमाल कर दिया।

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन।

राम जी के चरणों में शत शत वंदन।।

अंजनी के लाला ने दुनिया में नाम कर दिया।

बालापन में हनुमान ने सूरज को दबाया था

 बचपन में जब हनुमान ने वल अपना दिखलाया था

फल समझ के सूरज को मुख में आन दबाया

देख अन्धेरा पृथ्वी पर भगवान पास में आये,

अटल वरदान दिये हनुमत को सूरज मुख से छुड़ाया

देवताओं ने भी तुमको ऐसा वरदान दिया अंजनी के लाला ने दुनिया में नाम कर दिया

मेघनाद ने लक्ष्मण जी के बाण लगाया ऐसा था 

आयी मूर्छा गिरे पृथ्वी पर लक्ष्मण होश गवाया था

दोहा-

रो रहे भगवान लखन धर गोदी में

क्या करु हनुमान सिया गई चोरी में।।

आयी मूर्छा गिरे पृथ्वी पर लक्षमण होश गवाया था 

देखी हालत जब लखन लाल की, द्रोणागिरी को धाए थे

बूटी जब वो समझ न आई, पर्वत दिया उठाये

हनुमत ने लक्ष्मण जी को, जीवनदान दिया।

अंजनी के लाला ने,दुनिया में नाम कर दिया।


KIRTAN ME AB RANG .कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है

 

तर्ज _  काली कमली वाला 


कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है,
देखो देखो आ गया बजरंग बाला है,
जहाँ जहाँ कीर्तन प्रभु का होता है,
नाचे हनुमत होकर के मतवाला है,
कीर्तन मे अब रंग.......

पाँव में घुँघरू बांधे है हाथ में करताल,
ठुमक ठुमक कर झूमता है अंजनी का लाल,
पी रहा मस्ती का भर भरकर प्याला है,
देखो देखो आ गया..........

राम का दरबार हो या श्याम का दरबार,
रहता है हनुमान हरदम सेवा में तैयार,
अपने प्रभु का ये तो भक्त निराला है,
देखो देखो आ गया......

भक्ति का भण्डार है ये प्रेम का सागर,
माँग लो अनमोल धन ये हाथ फैला कर,
खुलवा लो जो बंद करम का ताला है,
देखो देखो आ गया.....

कर रहे है भक्त सारे प्रार्थना इतनी,
भक्तिरस हमको चखा दो भक्त शिरोमणि,
“बिन्नू” ने चरणों मे डेरा डाला है,
देखो देखो आ गया .........

 

दुल्हे का चेहरा सुहाना लगता

 

बजरंग बाण

दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान।।

हनुमान चालीसा

                      दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ।।
               चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।।
महाबीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुंचित केसा ।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।
शंकर सुवन केशरीनंदन ।
तेज प्रताप महा जग बंदन ।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ।।
लाय सजीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सैम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ।।
जुग सहस्त्र जोजन यर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीँ ।।
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
संकट तें हनुमान छुड़ावैं ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जात उजियारा ।।
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अंत काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं ।।
जो सत पार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।।
                   दोहा
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।
राम लषन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।।

छम छम नाचे वीर हनुमाना

छम छम नाचे वीर हनुमान
        पावो में घुंघरू बाँध के नाचे, मेरा बजरंग प्यारा ॥

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ।
कहेते है लोग इसे राम का दीवाना ॥

पाँवो मे घुंगूरू बाँध के नाचे ,
रामजी का नाम इन्हे बड़ा प्यारा लागे ।
राम ने भी देखो इसे खूब पहचाना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ॥

जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्री राम का,
लगता है पहेरा वहाँ वीर हनुमान का ।
राम के चरण मे है इनका टिकना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ॥

नाच नाच प्रभु श्री राम को रिझवे,
‘बनवारी’ रात दिन नाचता ही जाए ।
भक्तो मे भक्त बड़ा, दुनिया ने माना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ॥

जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली -हनुमान भजन

जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली

जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली,
ले के शिव रूप आना गज़ब हो गया ।
त्रेता युग में थे तुम आये, द्वार में भी,
तेरा कलयुग में आना गज़ब हो गया ॥
**
बचपन की कहानी निराली बड़ी,
जब लगी भूख बजरंग मचलने लगे ।
फल समझ कर उड़े आप आकाश में,
तेरा सूरज को खाना गज़ब हो गया ॥
**
कूदे लंका में जब मच गयी खलबली,
मारे चुन चुन के असुरों को बजरंगबली ।
मार डाले अक्षे को पटक के वोही,
तेरा लंका जलाना गज़ब हो गया ॥
**
आके शक्ति लगी जो लखन लाल को,
राम जी देख रोये लखन लाल को ।
लेके संजीवन बूटी पवन वेग से,
पूरा पर्वत उठाना गज़ब हो गया ॥
**
जब विभिक्षण संग बैठे थे श्री राम जी,
और चरणों में हाजिर थे हनुमान जी ।
सुन के ताना विभिक्षण का अनजानी के लाल,
फाड़ सीना दिखाना गज़ब हो गया ॥
                                                       
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