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DARBAR ME KHATU WALE KE _ दरबार में खाटू वाले के दुःख
दरबार में खाटू वाले के दुःख
तर्ज - क्या तुम्हें पता है ए गुलशन
दरबार में खाटू वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है,
mere sir pe sada Tera hath rahe lyrics - मेरा सांवरा हमेशा मेरे साथ रहे
मेरे सिर पे सदा तेरा हाथ रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,मेरे साथ रहे मेरे साथ रहे,
मेरे सिर पे सदा तेरा हाथ रहे
मैं तो जन्मो से तेरा दीवाना हु,
तेरी किरपा से मैं अनजाना हु,
मेरी झोली में ये तेरी सौगात रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,
तेरी किरपा जप मुझपे हो जायेगी,
मेरी करनी को बाबा धो जायेगी,
तेरे छोटे से दीवाने की ये बात रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,
मेरी मुश्किल का हल हो जायेगा,
मेरा जीवन सफल हो जायेगा,
हर्ष अपनी यु होती मुलाकात रहे,
मेरा संवारा हमेशा मेरे साथ रहे,
करने वंदन चरणों में बजरंगी, Karne vandan charno me bajrangi
करने वंदन चरणों में बजरंगी,
दर पे हम तेरे रोज आएंगे,हो, दर पे तेरे रोज आएँगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।
द्वार पे तेरी अपनी विपदा सुनाएंगे,
द्वार पे तेरी अपनी विपदा सुनायेंगे,
अपने ह्रदय का हम हाल सुनाएंगे,
अपने ह्रदय का हम हाल सुनायेंगे,
करने पूजन चरणों में महावीरा,
मंदिर में तेरे रोज आएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।
संकट हारी तेरी लीला अपार है,
संकटहारी तेरी लीला अपार हैं,
दिल में तुम्हारे अपने भक्तो का प्यार है,
दिल में तुम्हारे अपने भक्तो का प्यार हैं,
करके अर्चन चरणों में मारुति नंदन,
भक्ति के गीत रोज गाएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।
श्रद्धा सुमन हम तुमको चढ़ाएंगे,
श्रद्धा सुमन हम तुमको चढ़ायेंगे,
दीपक जलाएंगे आरती दिखाएंगे,
दीपक जलाएंगे आरती दिखायेंगे,
करने पूजन चरणों में अंजनी लल्ला,
हवन में नित प्रीत लाएंगे,
दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।
करने वंदन चरणों में बजरंगी,
दर पे हम तेरे रोज आएंगे,
हो दर पे तेरे रोज आएंगे,दर पे हम तेरे रोज़ आएंगे।
अंजनी के लाला ने,दुनिया में नाम कर दिया।। Choti umar me tune kaisa kamal kar diya
लाल देह लाली लसे,अरु धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर
छोटी उम्र में तूने कैसा,कमाल कर दिया।
अंजनी के लाला ने,दुनिया में नाम कर दिया।।
छोटी उम्र में तूने,सूरज को मुख में ले लिया
अंजनी के लाला ने कैसा कमाल कर दिया।
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन।
राम जी के चरणों में शत शत वंदन।।
अंजनी के लाला ने दुनिया में नाम कर दिया।
बालापन में हनुमान ने सूरज को दबाया था
बचपन में जब हनुमान ने वल अपना दिखलाया था
फल समझ के सूरज को मुख में आन दबाया
देख अन्धेरा पृथ्वी पर भगवान पास में आये,
अटल वरदान दिये हनुमत को सूरज मुख से छुड़ाया
देवताओं ने भी तुमको ऐसा वरदान दिया अंजनी के लाला ने दुनिया में नाम कर दिया
मेघनाद ने लक्ष्मण जी के बाण लगाया ऐसा था
आयी मूर्छा गिरे पृथ्वी पर लक्ष्मण होश गवाया था
दोहा-
रो रहे भगवान लखन धर गोदी में
क्या करु हनुमान सिया गई चोरी में।।
आयी मूर्छा गिरे पृथ्वी पर लक्षमण होश गवाया था
देखी हालत जब लखन लाल की, द्रोणागिरी को धाए थे
बूटी जब वो समझ न आई, पर्वत दिया उठाये
हनुमत ने लक्ष्मण जी को, जीवनदान दिया।
अंजनी के लाला ने,दुनिया में नाम कर दिया।
KIRTAN ME AB RANG .कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है
तर्ज _ काली कमली वाला
कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है,
देखो देखो आ गया बजरंग बाला है,
जहाँ जहाँ कीर्तन प्रभु का होता है,
नाचे हनुमत होकर के मतवाला है,
कीर्तन मे अब रंग.......
पाँव में घुँघरू बांधे है हाथ में करताल,
ठुमक ठुमक कर झूमता है अंजनी का लाल,
पी रहा मस्ती का भर भरकर प्याला है,
देखो देखो आ गया..........
राम का दरबार हो या श्याम का दरबार,
रहता है हनुमान हरदम सेवा में तैयार,
अपने प्रभु का ये तो भक्त निराला है,
देखो देखो आ गया......
भक्ति का भण्डार है ये प्रेम का सागर,
माँग लो अनमोल धन ये हाथ फैला कर,
खुलवा लो जो बंद करम का ताला है,
देखो देखो आ गया.....
कर रहे है भक्त सारे प्रार्थना इतनी,
भक्तिरस हमको चखा दो भक्त शिरोमणि,
“बिन्नू” ने चरणों मे डेरा डाला है,
देखो देखो आ गया .........
दुल्हे का चेहरा सुहाना लगता
बजरंग बाण
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान।।
हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।।
कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कानन कुंडल कुंचित केसा ।।
काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।
तेज प्रताप महा जग बंदन ।।
राम काज करिबे को आतुर ।।
राम लखन सीता मन बसिया ।।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।
रामचन्द्र के काज सँवारे ।।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।।
तुम मम प्रिय भरतहि सैम भाई ।।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ।।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीँ ।।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
तुम रच्छक काहू को डर ना ।।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ।।
महाबीर जब नाम सुनावै ।।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।
तिन के काज सकल तुम साजा ।।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
है परसिद्ध जात उजियारा ।।
असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अस बर दीन जानकी माता ।।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं ।।
छूटहि बंदि महा सुख होई ।।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।।
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।
राम लषन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।।
छम छम नाचे वीर हनुमाना
जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली -हनुमान भजन
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आरती अतिपावन पुराण की | धर्म - भक्ति - विज्ञान - खान की || टेक || महापुराण भागवत निर्मल | शुक-मुख-विगलित निगम-कल्ह-फल || परम...
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नन्द के द्वार मची होली सूरदास जी की दृष्टि में कुँवर कन्हैया की होली कैसी है ? बाबा नन्द के द्वार पर होली की धूम है। एक ओर पाँच वर्ष के...