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ise kahte hai bajrang bala इसे कहते हैं बजरंगबाला

इसे कहते हैं बजरंगबाला

प्रेम के रंग में ऐसी डूबी बन गया एक ही रूप
अपने आप से बाते करके हो गयी मैं बदनाम
साँसों की माला पे सिमरु मैं जय श्री राम

राम नाम जपते है मस्ती में रहते है
देव है ये सबसे निराला
इसे कहते हैं बजरंगबाला
ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला

मंगल को जन्मे है मंगल ही करते
शुक्र और शनि जिनका पानी है भरते
राम का दीवाना है कहता ये जमाना है
देव है ये सबसे निराला इसे कहते हैं बजरंगबाला
ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला

नारियल हो के साथ सवा रुपैया
भेंट जो चढ़ाए पार कर देते नैया
बिगड़ी ये बनाते है गले से लगाते है
ऐसे है अंजनी के लाला
इसे कहते हैं बजरंगबाला
ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला

सिर पे मुकुट कुण्डल कानो में सोहे
झांकी निराली जो भक्तों को मोहे
बाँध के लंगोटा जो लेके हाथ सोटा जो
दुष्टों का मुंह करते काला
इसे कहते हैं बजरंगबाला
ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला

जानकी के प्यारे है अंजनी के दुलारे है
कलयुग में हमसब भक्तों के सहारे है
राम का दीवाना है कहता जमाना है
नरसी को तुमने संभाला
इसे कहते हैं बजरंगबाला
ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला

राम नाम जपते है मस्ती में रहते है
देव है ये सबसे निराला इसे कहते हैं बजरंगबाला
ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला

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न जाने कौन से गुण पर दया निधि

 प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .

अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की दु:ख व्यथा सुनकर।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में आँसु बहाते हैं ॥

कि जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप दुर्योधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर, भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की, दु: ख कथा सुनकर ।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में , श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में , आँसु बहाते हैं ॥

कठिनता से चरण धोकर मिले कुछ 'बिन्दु' विधि हर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के घर जाकर लुटाते हैं ॥

KIRTAN ME AB RANG .कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है

 

तर्ज _  काली कमली वाला 


कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है,
देखो देखो आ गया बजरंग बाला है,
जहाँ जहाँ कीर्तन प्रभु का होता है,
नाचे हनुमत होकर के मतवाला है,
कीर्तन मे अब रंग.......

पाँव में घुँघरू बांधे है हाथ में करताल,
ठुमक ठुमक कर झूमता है अंजनी का लाल,
पी रहा मस्ती का भर भरकर प्याला है,
देखो देखो आ गया..........

राम का दरबार हो या श्याम का दरबार,
रहता है हनुमान हरदम सेवा में तैयार,
अपने प्रभु का ये तो भक्त निराला है,
देखो देखो आ गया......

भक्ति का भण्डार है ये प्रेम का सागर,
माँग लो अनमोल धन ये हाथ फैला कर,
खुलवा लो जो बंद करम का ताला है,
देखो देखो आ गया.....

कर रहे है भक्त सारे प्रार्थना इतनी,
भक्तिरस हमको चखा दो भक्त शिरोमणि,
“बिन्नू” ने चरणों मे डेरा डाला है,
देखो देखो आ गया .........

 

दुल्हे का चेहरा सुहाना लगता

 

MA ANJI KE LAL माँ अंजनी के लाल

 ना कजरे की धार 

माँ अंजनी के लाल 
कलयुग कर दियो निहाल 
ओ पवन पुत्र हनुमान 
तुम श्री राम के सेवक हो 

शिव शंकर के अवतार 
मेरे बालाजी सरकार
ओ पवन पुत्र हनुमान 
तुम श्री राम के सेवक हो 

तू माँ अंजनी का जाया 
शिव अवतारी कहलाया 
पाकर के अद्भुत शक्ति 
संसार में मान बढाया 

तेरी सूरत कुछ कपी सी 
कुछ मानव सी सुहाय
मन में राम समाए 
और तन सिंदूर रमाये 
तेरी छाती बज्र समाये 
तुम श्री राम के सेवक हो 

जब हरण हुआ सीता का 
कुछ पता नही लग पाया 
तूने जा के लंका नगरी 
माँ सीता का पता लगाया 
तूने राक्षस सब पछाड़े
पहले गरजे फिर दहाड़े 
                                                                सबको मिलकर दिए पछाड़

माँ अंजनी के लाल 
कलयुग कर दियो निहाल 
ओ पवन पुत्र हनुमान 
तुम श्री राम के सेवक हो 


LEKE SANJEEVNI SANKAT KO .वीर बजरंगी लखन भैया को बचाने आजा

 

लेके संजीवनी संकट को मिटाने आजा,
वीर बजरंगी लखन भैया को बचाने आजा

देर हो जाये गी तो प्राण निकल जायेगे,
माँ सुमिरता को कौन मुँह दिखाए गए ,
सब कहे गे की यहाँ राम ने नादानी की,
अपनी पत्नी के लिए भाई की क़ुरबानी दी,
आपने इस राम को आप यश से बचाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन भैया को बचाने आजा,

दुःख में नल नील याम्वन्त और सुग्रीव याहा,
मेरे हनुमंत तुमने करदी इतनी देर कहा,
पुरे ब्रह्माण्ड में न ऐसा कोई शोक हुआ,
की जिसकी आह आहात ये तीनो लोक हुआ,
गीत अब अंजू का देवेंदर सुनाने आजा,
मेरे बजरंगी लखन भैया को बचाने आजा,

RAM KE DAS RASTA DIKHA DO -राम के दास रस्ता दिखा दो

तर्ज़-- इश्क़ में हम तुम्हे कई बताएं

राम के दास रस्ता दिखा दो राम जी से मुझे तुम मिला दो,
हाथ जोड़े मैं कब से खड़ा हूं गलतियों को मेरी तुम भुला दो,
राम के दास रस्ता दिखा दो..........

रोया जब भी तुम्हीं ने संभाला ,
हर मुसीबत से बाहर निकाला,
मुझको भक्ति का प्याला पिला दो,
राम जी से मुझे तुम मिला दो,
राम के दास रस्ता दिखा दो.........

कौन सा काम तुमसे जो ना हो,
भोले भगवान की आत्मा हो,
लहरी चंदन वो घिसना सिखा दो,
राम जी से मुझे तुम मिला दो,
राम के दास रस्ता दिख दो......... 

राम के दास रस्ता दिखा दो राम जी से मुझे तुम मिला दो,
हाथ जोड़े मैं कब से खड़ा हूं गलतियों को मेरी तुम भुला दो,
राम के दास रस्ता दिखा दो..........

https://youtu.be/si9NO7CFEvw