दुश्मनी की तो क्या पूछिये दोस्ती का भरोसा नहीं.
दुश्मनी की तो क्या पूछिये
दोस्ती का भरोसा नहीं.
आप मुझ से भी पर्दा करें,
अब किसी का भरोसा नही.
कल ये मेरे भी आँगन में थी,
जिसपे तुमको गुरूर आज है.
कल ये शायद तुझे छोड़ दे,
इस ख़ुशी का भरोसा नही.
क्या ज़रूरी है हर रात में,
चाँद तुमको मिले जानेजाँ.
जुगनुओं से भी निस्बत रखो,
चाँदनी का भरोसा नही.
रात दिन मुस्तकिल कोशिशें,
ज़िन्दगी कैसे बेहतर बने.
इतने दुख ज़िन्दगी के लिये,
और इसी का भरोसा नही.
ये तकल्लुफ भला कब तलक,
मेरे नज़दीक आ जाइये.
कल रहे न रहे क्या पता,
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं.
पत्थरों से कहो राज़-ए- दिल,
ये ना देंगे दवा आप को.
ऐ नदीम आज के दौर में,
आदमी का भरोसा नही.