सुन्दरकाण्ड

न जाने कौन से गुण पर दया निधि

प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा . अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा .. ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं । यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥ नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का । विदुर…

सुन्दर काण्ड- संपूर्ण- SUNDAR KAND SAMPURNA

सुन्दर काण्ड श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीरामचरितमानस **** पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड श्लोक शांन्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरि…

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चलो तुम तोड़ दो ये दिल