सवैया

GANG KE DOHE कवि गंग के दोहे

वृद्धावस्था में हरी नाम (कवित) बाँभन को जनम जनेऊ मेलि जानी बूझि, जीभ ही बिगारिबे कौ जाच्यो जन जन में। कहै कवि गंग कहा कीजै जौ न जाने जात, बाउ ग्यान देखौ जु बुढ़ाई ध्यान धन में। काम क्रोध लोभ मोह तिनहि के बस परयो, तिहुँ पुर नायक बिसारियो तिहुँ पन म…

मोस्ट दोहे सवैया

ऋणग्रस्तता (सवैया) नटवा लौं नटै न टरै पुनि मोदी, सु डाँडिन में बहु भाव भरै। सजि गाजै बजाज अवाज मृदंग लौं, बाँकियै तान गिनौरी लरै। पट धोबी धरै, अरु नाई नरै, सु तमोलिन बोलिन बोल धरै। कबि गंग के अंगन मंगनहार, दिना दस तें नित नृत्य करै।। कानी आँख (सव…

BRAJ KE SAWAIYAA ब्रज के सवैया - 3

अनमोल सवैया व दोहा, 1.कहे सन्त सगराम सुण ए, धन री धणीयाणी, सुकरत कर भज राम, धोय कर बहते पाणी। बहते जळ कर धोयले, मौकों दियो महाराज, कारज करले जीव रो, करणो हैं सो आज। करणो हैं सो आज, काल री कोई न जाणी, कहे सन्त सगराम सुण ए, धन री धणीयाणी।।…

सवैया -सुजान-रसखान (रसखान)

https://ia600100.us.archive.org/29/items/Pushtimarg/SujanRashkanvraj-Hindi.pdf   सुजान-रसखान (रसखान) 1. सवैया मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को…

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चलो तुम तोड़ दो ये दिल