SUDAMA JI

RACHA HE SHRISTI KO // रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है, जो पेड़ हमने लगाया पहले, उसी का फल हम अब पा रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है इसी धरा से शरीर पाए, इसी धरा में फिर सब समाए, है …

dar dar bhatk raha hu teri dosti ke piche दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे

दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे, क्या सजा मिली है मुझको तेरी दोस्त के पीछे, दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे मैं गरीब हु तो क्या है दीनो के नाथ तुम हो, होठो पे है उदासी तेरी रोशनी के पीछे दर दर भटक रहा हु …

ज़्यादा पोस्ट लोड करें
कोई परिणाम नहीं मिला

चलो तुम तोड़ दो ये दिल