होली खेल रहे नन्दलाल- HOLI KHEL RAHE NAND LAL BRINDAVAN

होली खेल रहे नन्दलाल

सबका हाल बेहाल कर रहे हैं, साथ में चुनरी की भी शोभा बिगाड़ रहे हैं। तब भी भक्त जन मुग्ध नहीं, मन्त्र-मुग्ध हैं।

होली खेल रहे नन्दलालवृन्दावन की कुंज गलिन में
वृन्दावन की कुंज गलिन में, वृन्दावन की कुंज गलिन में
होली खेल रहे……………..

संग सखा श्याम के आये, रंग भर पिचकारी लाए
      सबका !!!! हो सबका करें हाल बेहाल || वृन्दावन की ----------
चल गली रँगीली आए, ढप-झाँझ-मृदंग बजाए
      गाँवें !!!! हो गाँवें नाचें, छेड़ें तान || वृन्दावन की ----------

रंग भर पिचकारी मारी, चूनर की आब बिगारी
      मेरे मुख पे !!!! हो मेरे मुख पे मला गुलाल || वृन्दावन की ----------
छवि निरख श्याम की प्यारी, सब भक्त बजावें तारी

      सब पर !!!! हो सब पर रंग डाल रहे ग्वाल || वृन्दावन की ----------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें