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SHRI RAM JI HAMARE SAB KAM KAR RAHE HAI

श्री राम जी हमारे,

श्री राम जी हमारे,

सब काम कर रहे है,

हम राम के सहारे,

हम राम के सहारे,

विश्राम कर रहे है,

श्री राम जी हमारे,

सब काम कर रहे है।।



ये राम की कृपा है,

कलयुग से कठिन युग में,

निश्चिन्त हो के हरी का,

गुणगान कर रहे है,

श्री राम जी हमारें,

सब काम कर रहे है।।



ये राम की है महिमा,

शंकर से सिद्ध योगी,

पीकर के विष हलाहल,

विश्राम कर रहे है,

श्री राम जी हमारें,

सब काम कर रहे है।।



भक्तो की साधना की,

खेती हरी भरी है,

ये है कृपा की वर्षा,

हम सब भी तर रहे है,

श्री राम जी हमारें,

सब काम कर रहे है।।



जो हो चूका जो होगा,

जो हो रहा है जग में,

विश्वास भक्त का है,

सब राम कर रहे है,

श्री राम जी हमारें,

सब काम कर रहे है।।



श्री राम जी हमारे,

सब काम कर रहे है,

हम राम के सहारे,

हम राम के सहारे,

विश्राम कर रहे है,

श्री राम जी हमारे,

सब काम कर रहे है।।


 

DARBAR ME KHATU WALE KE _ दरबार में खाटू वाले के दुःख


                       दरबार में खाटू वाले के दुःख 

तर्ज - क्या तुम्हें पता है ए गुलशन

दरबार में खाटू वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है,
गर्दिश के सताए लोग यहाँ सिने से लगाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है

ये महफ़िल है मतवालों की हर भक्त यहाँ मतवाला है,
भर भर के जाम इबादत के यहाँ खूब पिलाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के...........

जिन भक्तों पे ऐ जग वालों, है खास इनायत इस दर की
उनको ही बुलावा आता है दरबार बुलाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के.......

किस्मत के मारे कहाँ रहे जिनका ना ठोर ठिकाना है,
जो श्याम शरण में आते है पलकों पे बिठाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के.....

मत घबराओ ऐ जग वालों इस दर पे शीश झुकाने से,
जिनका भी झुका है शीश यहाँ मुकाम वो ऊँचा पाते है,
दरबार में खाटु वाले के.....

RAM KAHNE KA MAJA JISKI - राम कहने का मजा, जिसकी जुबान पर आ गया,

राम कहने का मजा, जिसकी जुबान पर आ गया,
मुक्त जीवन हो गया, चारो पदार्थ पा गया ॥

लुटा मज़ा प्रह्लाद ने, इस राम के प्रताप से,
नरसिंह हो दर्शन दिए, त्रिलोक में यश छा गया।।
राम कहने का मजा......

जाती की थी भीलनी, उस प्रेम से सुमिरन किया,
घर आकर परमात्मा, उस हाथ के फ़ल खा गया।।
राम कहने का मजा......

कलिकाल के जो भक्त है, उनका भी रुतबा है बड़ा,
नरसिंह की हुंडी द्वारिका में, सांवरा सिक्रा गया।।
राम कहने का मजा......

क्या भक्ति निर्मल छा रही, देखकर संसार में,
अब्र के मानिंद तुलसी, दास यशवर छा गया।।
राम कहने का मजा......

UTRA SAGAR ME JO USKO MOTI MILA - उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया

 उतरा सागर में उसको ही मोती मिला।
खोज जिसने भी की मैं उसी को मिला।।

उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया

खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया

तूने मूरत  कहा मैं मुरति वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाषाण  था

ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है

धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया

उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया

ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही

तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही

उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया

प्रेम तो प्रेम  है सीधी सी बात है
प्रेम तो प्रेम है सीधी सी बात है
प्रेम कब पूछता  है की क्या जात है
चाहे हिंदू हो चाहे कोई मुसलमान
मुझको रस्खान सलवार पहना गया

खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोलापन  भा गया

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले

 

 

 



1. तूने मंदिर में ढूँढा मैं पाषाण था,
तूने मस्जिद में ढूँढा मैं आज़ान था।
देख भीतर हूँ तेरे तेरे पास था,
तूने देखा नहीं मैं दिखा भी नहीं।।

2. देह मिट्टी की मिट्टी में मिल जाएगी,
शान तेरी यह सारी ही घुल जाएगी।।
यूँ न अपने जीवन को तू गंवा।
तू टिकाए नहीं मन टिके भी नहीं।।

3. तूने चाहा नहीं मैं मिला भी नहीं।
तूने ढूँढा नहीं मैं दिखा भी नहीं।।
मैं वो मेहमान हूँ बिन बुलाए हुए।
जो कहीं न गया जो कभी न गया।।

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया

नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया

तूने मूर्ति कहा मैं मूर्ती वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाशन था

ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है

धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया

ये कहना ग़लत है की उसका पता नही है
ढूँढने की हद तक कोई धुनता नही

खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया

ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही

तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही

खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया

प्यार प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है
प्यार प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है
प्रेम कब पूचहता है की क्या जात है
चाहे हिंदू हो चाहे कोई मुसलमान
मुझको रस्खान सलवार पहना गया

खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले

गोविंद गोपाल

यार की मर्ज़ी के आगे
यार का दूं भरके देख
तर्क से मिलता नही
अर्ज़ करके ही तू देख

बे इरादा मरने वेल
बा इरादा मरके देख
सारे तमाशे कर चुका
ये भी तमाशा करके देख
जिंदगी बन जाएगी
तेरे लिए आबे हयात
सब को अपना करके देखा
उनको अपना करके देखा
उनको बना के देख

यार जब तेरा है तो
सारी है तेरी कयनात
जिंदगी पे मरने वेल
जिंदगी में मरके देख

यार की मर्ज़ी के आगे
यार का दूं भरके देख
तर्क से मिलता नही
अर्ज़ करके ही तू देख
अर्ज़ करके ही तू देख

मुझमें हर रंग अब तुम्हारा है-MUJHME HAR RANG AB TUMHARA HAI


        मुझमें हर रंग अब तुम्हारा है



मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है,
अब तो कह दो, के तू हमारा है |

रूठी राधा को मनाने आओ 
श्याम  मुरली तो बजाने आओ 
 
धुंडती  है तुम्हें ब्रज की बाला 
रास मधुबन मे रचाने आओ 

रह तकते हेन ये ये ग्वाल वाले 
फिर से माखन को चुराने आओ 

गजल

मंजिल मिली, मुराद मिली, मुदा मिला,
सब कुछ मुझे मिला, जो तेरा नक्श-ऐ-पा मिला |

जब दूर तक ना कोई, फकीर आशना मिला,
तेरा नियाज़-मंद, तेरे दर से जा मिला |

 

आलम-ऐ-शोक में, ना जाने क्यों,
मेने हर दम, तुम्हें पुकारा है |

तू तो सब ही के पास है मोजूद,
कोन कहता है, तू हमारा है |

तेरे सदके में ये तमाम जहान,
अपनी ठोकर पे मेने मारा है |

राज़ को राज़ क्यों समझते हो,
राज़ दुनिया पे आशिकारा है |


 


एक बार जो रघुबर की - EK BAR JO RAGHUVAR KI


                            एक बार जो रघुबर की

नजरो का इशारा हो जाये... तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।
एक बार जो रघुबर की.....


श्री राम तुम्हारे चरणों में,
आशीष सभी को मिलती है... यह धूल तुम्हारी मिल जाये,
जीवन का सहारा हो जाये।
एक बार जो रघुबर की.....


सरकार तुम्हारी महफ़िल में,
तकदीर बनाई जाती है.... मेरी भी बिगड़ी बन जाये,
एहसान तुम्हारा हो जाये।
एक बार जो रघुबर की.....


ये श्री राम का मंदिर है,
भागीरथी गंगा बहती है.... सब लोग यहाँ पे तरते है,
भव पार सभी का हो जाये।
एक बार जो रघुबर की,
नजरो का इशारा हो जाये....

एक बार जो रघुबर की,
नजरो का इशारा हो जाये.. तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।
एक बार जो रघुबर की.....


श्री राम तुम्हारे चरणों में,
आशीष सभी को मिलती है.. यह धूल तुम्हारी मिल जाये,
जीवन का सहारा हो जाये।
एक बार जो रघुबर की.....


सरकार तुम्हारी महफ़िल में,
तकदीर बनाई जाती है.... मेरी भी बिगड़ी बन जाये,
एहसान तुम्हारा हो जाये।
एक बार जो रघुबर की.....


ये श्री राम का मंदिर है,
भागीरथी गंगा बहती है... सब लोग यहाँ पे तरते है,
भव पार सभी का हो जाये।
एक बार जो रघुबर की,
नजरो का इशारा हो जाये....
नजरो का इशारा हो जाये... तेरी लगन में खो जाऊँ मैं,
दुनिया से किनारा हो जाये।।
एक बार जो रघुबर की.....


श्री राम तुम्हारे चरणों में,
आशीष सभी को मिलती है.. यह धूल तुम्हारी मिल जाये,
जीवन का सहारा हो जाये।
एक बार जो रघुबर की.....


सरकार तुम्हारी महफ़िल में,
तकदीर बनाई जाती है.... मेरी भी बिगड़ी बन जाये,
एहसान तुम्हारा हो जाये।
एक बार जो रघुबर की.....


ये श्री राम का मंदिर है,
भागीरथी गंगा बहती है.... सब लोग यहाँ पे तरते है,
भव पार सभी का हो जाये।
एक बार जो रघुबर की,
नजरो का इशारा हो जाये....


 

DIL ME BASA HUAA HAI - दिल में बसा हुआ है, मेरे प्यार आपका,

दिल में बसा हुआ है, मेरे प्यार आपका

 तेरी सूरत को जब से देखा, बेहोश हुए मदहोश हुए,
अब प्रीत की रीत निभा ले जरा,चरणों में झुका कर सर बैठे,
पलकों में छुपा लूं श्याम तुम्हें, यह तन मन तुझ पर वार दिया,
जब से पकड़ा तेरे दामन को, दुनिया से किनारा कर बैठे,

दिल में बसा हुआ है, मेरे प्यार आपका,
होता है रोज ख्वाब में, दीदार आपका,
दिल में बसा हुआ है

ओ कान्हा बंसी वाले, हकीकत यह बात है,
यह जाँ भी आपकी है, संसार आपका,
दिल में बसा हुआ है,

उठती है जब भी दिल में, दीदार की तमन्ना,
मन में बना है मंदिर, दरबार आपका,
दिल में बसा हुआ है

जानू ना पूजा वंदन, कैसे करूं तुम्हारा,
किस विधि करूं तुम्हारा,  सत्कार आपका,
दिल में बसा हुआ है, मेरे प्यार आपका,
होता है रोज ख्वाब में, दीदार आपका,
दिल में बसा हुआ है मेरे प्यार आपका


 

TERI MEHRBANI KA HAI BOJH ITNA - तेरी मेहरबानी का है बोज इतना,

 तेरी मेहरबानी का है बोज इतना,
की मैं तो उठाने के काबिल नही हूँ ।

मैं आ तो गया हूँ मगर जानता हूँ,
तेरे दर पे आने के काबिल नही हूँ ॥

ज़माने की चाहत में खुद को भुलाया,
तेरा नाम हरगिज़ जुबा पे ना लाया ।
गुन्हेगार हूँ मैं खतावार हूँ मैं,
तुझे मुहं दिखने के काबिल नही हूँ ॥

तुम्ही ने अदा की मुझे जिंदगानी,
मगर तेरी महिमा मैंने ना जानी ।
कर्जदार तेरी दया का हूँ इतना,
कि कर्जा चुकाने के काबिल नही हूँ ॥

ये माना कि दाता है तू कुल जहान का,
मगर झोली आगे फैला दूँ मैं कैसे ।
जो पहले दिया था वो कुछ कम नही है,
उसी को निभाने के काबिल नही हूँ ॥

तमन्ना यही है की सर को झुका दू,
तेरा दीद दिल में मैं एक बार पालू ।
सिवा दिल के टुकड़ो के ऐ मेरे दाता,
कुछ भी चडाने के काबिल नही हूँ



जल जाए जिह्वा पापिनी .....राम के नाम बिना

राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट
अंत काल पछतायेगा जब प्राण जाएंगे छूट

राम के नाम बिना रे मूरख,..... राम के नाम बिना
राम के नाम बिना रे मूरख....... राम के नाम बिना


जल जाए जिह्वा पापिनी .....राम के नाम बिना
जल जाए जिह्वा पापिनी ......राम के नाम बिना


1.    क्षत्रिय आन बिन, विप्र ज्ञान बिन,वेद पुराण बिना
        क्षत्रिय आन बिन, विप्र ज्ञान बिन, घर संतान बिना रे मूरख घर संतान बिना
        देह प्राण बिन हाथ दान बिन भोजन मान बिना रे मूरख भोजन  मान बिना
        मोर का हे बेकार नाचना मोहन श्याम बिना
        जल जाए जिह्वा पापिनी......... राम के नाम बिना 

2.    पंछी पंख बिना, बिच्छू डंक बिना, आरति शंख बिना,रे मूरख  आरति शंख बिना
        गणित अंक बिना, कमल पंक बिना, निशा मयंक बिना रे मूरख निशा मयंक बिना

        ब्यर्थ भ्रमण चिंतन, भाषण सब , अच्छे काम बिना

        जल जाए जिह्वा पापिनी......... राम के नाम बिना 

3.    प्रिया कंत बिन मठ महंत बिना हाथी दंत बिना रे मूरख हाथी दंत बिना
        ग्राम पंच बिना ऋतु बसंत बिना आदि अंत बिना अरे मूरख आदि अंत बिना
        नारी पुरुष बिना ऐसे जैसे अश्व लगाम बिना
        जल जाए जिह्वा पापिनी....... राम के नाम बिना

https://youtu.be/HJFZiLFLOfY

 

क्षत्रिय आन बिना , विप्र ज्ञान बिना, घर संतान बिना,
देह प्रान बिना, हाथ दान बिना, भोजन मान बिना 

हम सब का बेकार है जीना , रघुवर नाम बिना,,,
जल जाए जिहवा पापिनी, राम के नाम बिना

पंछी पंख बिना, बिच्छू डंक बिना, आरति शंख बिना,
गणित अंक बिना, कमल पंक बिना, निशा मयंक बिना

 ब्यर्थ भ्रमण चिंतन भाषण सब , अच्छे काम बिना
जल जाए जिहवा पापिनी, राम के नाम बिना


प्रिया कंत बिना , हस्ती  दंत बिना, आदि अंत बिना,
वेद मंत्र बिना, मठ महंत बिना, कुटिया संत बिना
भजन बिना नर ऐसे जैसे , अश्व लगाम बिना,,,
जल जाए जिहवा पापिनी,राम के नाम बिना


पुष्प बाग बिना , संत त्याग बिना, गाना राग बिना,
शीश नमन बिना, नयन दरस बिना, नारी सुहाग बिना

 संत कहे ये जग है सूना, आत्म ज्ञान बिना,,,
जल जाए जिहवा पापिनी, राम के नाम बिना
 

यदि नाथ का नाम daya nidhi he

 यदि नाथ का नाम दयानिधि है

तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की 
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है 

जहाँ वेद निषाद का आदर है
जहाँ जाद अजनिल का घर है
वही भेष बदल कर उसी घर में
हम जा ठहेरेंगे कभी न कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की 
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है 

जिस अंग की शोभा सुहावनी है
जिस श्यामल रंग में मोहिनी है
उसी रूप सुधा से स्नेहियो के
दृग प्याल भरेंगे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की 
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी 
यदि नाथ का नाम दयानिधि है 

हम द्वार पर आपके आअ ज खड़े
मुद्दत से इसी जिद पर अड़े
अब्सिंधू तारे जो बड़े से बड़े
तो बिंदु तरे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की 
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी
यदि नाथ का नाम दयानिधि है
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हरी दुखियारी जन की
दुःख क्लेश हरेंगे कभी ना कभी 
यदि नाथ का नाम दयानिधि है

HAMARE SATH SHRI RAGHUNATH हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

 हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता
शरण में रख दिया जब माथा तो किस बात की चिंता

किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता
किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता

किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता
किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता

तेरे स्वामी,
तेरे स्वामी को रहती है, तेरे हर बात की चिंता
तेरे स्वामी को रहती है, तेरे हर बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की
न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की
न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की

रहे हर स्वास
रहे हर स्वास में भगवान के प्रिय नाम की चिंता
रहे हर स्वास में भगवान के प्रिय नाम की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में
विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में
विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में

उन्ही का हा, उन्ही का हा
उन्ही का हा कर रहे गुण गान तो किस बात की चिंता
उन्ही का हा कर रहे गुण गान तो किस बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

हुई भक्त पर किरपा बनाया दास प्रभु अपना
हुई भक्त पर किरपा बनाया दास प्रभु अपना
हुई भक्त पर किरपा बनाया दास प्रभु अपना

उन्ही के हाथ,
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता

शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता

किस बात की चिंता, अरे किस बात की चिंता
किस बात की चिंता, किस बात की चिंता

न जाने कौन से गुण पर दया निधि

 प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .

अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की दु:ख व्यथा सुनकर।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में आँसु बहाते हैं ॥

कि जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप दुर्योधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर, भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की, दु: ख कथा सुनकर ।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में , श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में , आँसु बहाते हैं ॥

कठिनता से चरण धोकर मिले कुछ 'बिन्दु' विधि हर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के घर जाकर लुटाते हैं ॥

शबरी संवार रास्ता

 शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी 

शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी

आँखों से रोज अपनि राहे बुहारती
कांटे लगे ना कोई कोमल है राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

डलिया में बेर बागो से चुन चुन के ला रही
खट्टे हो चाहे मीठे खायेंगे राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

आये जब श्री राम जी चरणों में गिर पड़ी
अंसुअन से धो रही है चरणों को राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

सुन्दर बिछा के आसन बैठाया राम को
दिया कंद मूल लाकर खाए है राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी


 

हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत, SHRI RAM KI BADOLAT

 हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत,

और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत


श्री राम नाम जप के लंका से जीत आए,

हनुमान सिद्धि पा गए हरि नाम की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं....


कुछ पुण्य हो रहा है जो सूरज निकल रहा है,

धरती थमी है सदियों से इंसान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


हमें  गर्व हो रहा है विज्ञान की बदौलत,

विज्ञान का वजूद है भगवान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


मेरे लिए अतिथि भगवान के बराबर,

सर करते है न्यौछावर मेहमान के बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


लब पे हंसी नहीं तो जीना भी है क्या जीना,

पहचान है जहाँ में मुस्कान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...

RAM BANE HE DULHA राम बने हैं दूल्हा सीताजी दुल्हनिया

 राम बने हैं दूल्हा सीताजी दुल्हनिया

 आज होगा रे लगन सीताजी का राम संग 

बड़ी शुभ है घड़ीx2 

सब हरसाये सभी देते हैं बधाइयां 

कैसी जोड़ी है सजी, सींता संग राम की 

आये देव सभी x2 

राम बनेंगे आज सियावर,जानकी राम प्रिया हो 

मंदिर मंदिर घर घर छाई चारो तरफ खुशियां हो 

जनक दुलारी ने रघुवर का x2 

आज किया है वरन हो 

राम उढ़ाने आये सींता को चुनरियाx2 

आज होगा रे लगन सीताजी का राम संग 

बड़ी शुभ है घड़ीx2 

धर्म  निभाना है राजा को आज तो एक पिता का 

करनाहै कन्यादान जनक को आज तो अपनी सुता का 

जनक भरे हैं नैन में आंसू x2 

दिल मे बड़ी ये दुआ हो 

तुमको लगे ना लाडो किसी की नज़रिया x2 

आज होगा रे लगन सीताजी का राम संग 

बड़ी शुभ है घड़ीx2 

अवधपुरी के सब हर नारी आज भरे हैं उमंग से

 दसरथ हर्षित हर्षित हैं सब माताएं इस संग से 

रघुनंदन ने पूरा किया है x2 

आज तो सबका स्वपन हो 

राम ब्याह के लाये सींता को नगरिया x2 

आज होगा रे लगन सीताजी का राम संग 

 बड़ी शुभ है घड़ीx2 

कौन दिशा में लेके

 


kekai tune loot liya केकैयी तूने लूट लिया,

 केकैयी तूने लूट लिया, दशरथ के खजाने को,
तू तरस जाएगी रानी मांग अपनी सजाने को,

भाल तरसेगा बिंदिया को,
आंख तरसेगी कजरे को,
हाथ तरसेंगे कंगन को,
बाल तरसेंगे गजरे को,
तू तरस जाएगी रानी सबसे मिलने मिलाने को,
मार पाई ना तू मन को
तूने जाना है धन जन को,
रघुकुल के जीवन को,
राम भेजे है वन को,
तूने रस्ता चुना रानी सीधा नरक में जाने को,

राम प्राणों से प्यारे मेरे
नैनो के है तारे मेरे
तूने वर मांगा था मुझसे
ये उम्मीद ना थी तुझसे
रानी वन में ना तुम भेजो रघुकुल के घराने को

MUJHE PINE KA SHOK NAHI

देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े dekha lakhan hal to shri ram ro pade


देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े ।
अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े ॥

लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही ।
मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही ।
रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े ॥

करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर ।
क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर ।
जितने थे मन में राम के, अरमान रो पड़े ॥

सुग्रीव जामवंत, सुनो ऐ अंगद बलवान ।
लछमण नहीं बचा तो, तग दूँगा मै भी प्राण ।
धरती पे जो पड़ा था, धनुषबाण रो पड़े ॥

देखा जो जामवंत ने, तो हनुमान उड़ गए ।
सूर्योदय से ही पहले, बूटी ले मुड़ गए ।
गले लगा हनुमान को भगवान रो पड़े ॥