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DARBAR ME KHATU WALE KE _ दरबार में खाटू वाले के दुःख


                       दरबार में खाटू वाले के दुःख 

तर्ज - क्या तुम्हें पता है ए गुलशन

दरबार में खाटू वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है,
गर्दिश के सताए लोग यहाँ सिने से लगाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है

ये महफ़िल है मतवालों की हर भक्त यहाँ मतवाला है,
भर भर के जाम इबादत के यहाँ खूब पिलाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के...........

जिन भक्तों पे ऐ जग वालों, है खास इनायत इस दर की
उनको ही बुलावा आता है दरबार बुलाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के.......

किस्मत के मारे कहाँ रहे जिनका ना ठोर ठिकाना है,
जो श्याम शरण में आते है पलकों पे बिठाए जाते है,
दरबार में खाटु वाले के.....

मत घबराओ ऐ जग वालों इस दर पे शीश झुकाने से,
जिनका भी झुका है शीश यहाँ मुकाम वो ऊँचा पाते है,
दरबार में खाटु वाले के.....

Bageshwar astak बागेश्वर अष्टक

 

बागेश्वर अष्टक

 दिनांक शिवरात्री विक्रम संवत 2027.

ओमकार स्वरूप श्री वागीशं गंग जटाधरम । 

गले मुण्डन माल नेत्र विशाल श्री वृषभध्वजम ॥

चन्द्रमौलि त्रिनेत्र शंकर भस्म अंग विभूषितम।

बागीश नाथ अनाथ के तुम नाथ हो विश्वेश्वरम

जटा मुकुट सुकर्ण कुण्डल सर्प अंग सुशोभितम 

विन्ध्य माला शैलमध्ये आसनम पदमासनम 

आदिदेव सुदेव श्री महादेव हर विश्वम्भरम 

बागीश नाथ अनाथ के तुम.....

रुद्ररुप सुतेजकान्ती पान कियो हलाहलम।

विल्वपत्रे सुपुष्पमाला गंध धूप नेवेद्यकम 

हाथ डमरु त्रिशुल सोहे गौरि संग सदाशिवम्। बागीश नाथ.....

सोमनाथ श्री मल्लिकार्जुन महाकाल, रामेश्वरम तुम्बकेश्वर भीमाशंकर घृष्णेश्वर दुख हरम,

विश्व, वैद्य, केदार हर, नागेश, ओमकारेश्वरम | बागीश नाथ... 

क्षेत्रपाल सुपाल भैरव योगिनी संग भूषितम् ।

गगन बेधित गंगधारा, आदि अंत समाहितम ॥

चन्द्रशेखर हे महेश्वर परम प्रिय परमेश्वरम | बागीशनाथ...

मंद मंद सुगंध शीतल वायु बहे निरन्तरम।

बागीश की अनुपम कृपा से भक्तजन पावैं गतिम

दर्श स्पर्शजोर शिव मेटदै उनके भरम।  बागीशनाथ... 

नील कंठ हिमाल जलधर देव मेरे प्रिय परम

शुद्ध बुद्धि प्रकाश भरदो दूर करदो सब भरम दुःख, शोक, अशांति पापों का करो क्षय हे शिवम । बागीश नाथ... 

रविवार सुभद्र चौदस प्राप्त फलदाय रमण चम्पावति निवासी कियो मंगल दायकम । 

कृपा रहे सदैव हे बागीशर्डशमहेश्वरम्। बागीशनाथ...

 "चम्पावती निवासी स्व. श्री राधारमण नागर "

कृत रचित

स्व. श्रीमति घमि बेन (प्रमिला मेहता भोपाल)


पुत्र संजीव अलंका, प्रसून, राज नागर, चाँचौड़ा