GANESH लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
GANESH लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

GIRIJA KE LADLE - GORI KE LADLE गौरी के लाड़ले महिमा तेरी महान

गौरी के लाड़ले महिमा तेरी महान,
करता है सबसे पहले पूजा तेरी जहान,
गौरी के लाड़ले महिमा तेरी महान,

चंदन चौकी पे बिराजे दाता गजशिश धारी,
शीश स्वर्ण मुकुट गले मोतियन माला प्यारी,
रिद्धि सिद्धि अंग संग छवि सबसे है न्यारी,
भोग लड्डुवन का लगे करे मूसे की सवारी,
पुरे हो काम तब ही पहले तुम्हारा ध्यान,
गौरी के लाडले महिमा तेरी महान,

माता गौरी जी के लाल शिव भोले के दुलारे,
रखे भक्तो की लाज काज बिगड़े सवारे,
अन  धन ज्ञान मान से वो भरते भंडारे,
तेरा नाम सरल जो भी मन से पुकारे,
बिन मांगे लख्खा पाए मुंह माँगा तुमसे दान,
गौरी के लाड़ले महिमा तेरी महान,
करता है सबसे पहले पूजा तेरी जहान,
गौरी के लाडले महिमा तेरी महान,



न जाने कौन से गुण पर दया निधि

 प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .

अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की दु:ख व्यथा सुनकर।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में आँसु बहाते हैं ॥

कि जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप दुर्योधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर, भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की, दु: ख कथा सुनकर ।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में , श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में , आँसु बहाते हैं ॥

कठिनता से चरण धोकर मिले कुछ 'बिन्दु' विधि हर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के घर जाकर लुटाते हैं ॥

गजानन पधारो आसन सम्हारो-Gajanan Padharo Aasan Samharo

गजानन पधारो आसन संभालो

 करूं वंदना मेरी और निहारो.....

गजानन पधारो आसन संभालो....2

रिद्धि और सिद्धि  दाता दासी तुम्हारी....

सदा सिंघवाहिनी शक्ति माता तुम्हारी ......

नीलकंठ गंगाधर जग को सहारो....

गजानन पधारो आसन सम्हारो....

अंधों को आँख देते कोढ़िन को काया...

स्वामी गणों के बन के गणपति कहाया.....

लडुअन के भोग दाता लगे  तुमको प्यारा....

गजानंद पधारो  आसन संभालो.....

विघ्नों को विघ्नों को हरने वाले मंगल कराओ....

भक्ति से स्वामी अपने दया बरसाओ.....

भटकी हुई नैया तुम पार लगाओ....

 गजानन पधारो आसन संभालो

करू वंदना मेरी ओर निहारो 

गजानन पधारो आसन सम्हारो


 

SHIV KE PYARE GANESH शिव के प्यारे गणेश

 शिव के प्यारे गणेश, काटो विघन कलेश.

मेरे अंगना पधारो मैं तर जाऊंगा...

 इक दया की नजर आप करदो इधर .

मेरी बिगड़ी सुधारो मैं तर जाऊंगा...

रिद्धि सिद्धि के दाता कहें आपको .

 ज्ञान बुद्धि विधाता कहें आपको ...

 कर के मूषे सबारी चले आइये .

 मेरा नर तन सँवारो, मैं तर जाऊंगा ....

 चार मौदक के लड्डू चढ़ायें तुम्हें .

सारे देवों से पहले मनायें तुम्हें ...

नाम सुमरन करें शीश चरनन धरें .

पार भव से उतारो मैं तर जाऊंगा .....

 आपके दर पे जो भी सवाली आया .

 आज तक कोई दर से न खाली गया .....

मैं हूँ पापी अधम, है शरण में पदम्.

गीत मेरे निहारो, मैं तर जाऊंगा ........

MERE RASHKE QAMAR

VEENA VALI MA SHARE वीणा वाली माँ शारदे वीणा तुम बजा देना

 वीणा वाली माँ शारदे वीणा तुम बजा देना

 मैया अपनी वीणा से जरा रस बरसा देना 

श्वेत वसन वाली है,हंस की सवारी है 

प्रेम भरे आँचल को मुझी पे उढा देना

 तू जग से न्यारी है जग तेरा पुजारी है 

प्रेम भाव से सब रहें ऐसा ज्ञान दे जाना

 स्वर का तो ज्ञान नही,लय का ठिकाना नही 

संगीत सागर से  स्वर सुधा पिला देना 

 तुम से मेरी अर्जी है,आगे तेरी मर्जी है 

अंधकार मिट जाए ज्ञान का प्रकाश देना 

तुम तो ठहरे परदेसी धुन पर वंदना

 

SABSE PAHE TUMHE . सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,

 

सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ, 
गौरी सूत गणराज, 
तुम हो देवों के सरताज, 
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, 
मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज।।

गंगाजल स्नान कराऊँ, 
केसर चंदन तिलक लगाऊं, 
रंग बिरंगे फुल मे लाऊँ, 
सजा सजा तुमको पह्राऊ, 
लम्बोदर गजवदन विनायक, 
राखो मेरी लाज, तुम हो देवों के सरताज।। 

जो गणपति को प्रथम मनाता, 
उसका सारा दुख मीट जाता, 
रिद्धि सिध्दि सुख सम्पति पाता, 
भव से बेड़ा पार हो जाता, 
मेरी नैया पार करो, 
मैं तेरा लगाऊं ध्यान, तुम हो देवों के सरताज।।

पार्वती के पुत्र हो प्यारे, 
सारे जग के तुम रखवाले, 
भोलेनाथ है पिता तुम्हारे, 
सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारें, 
मेरे सारे दुख मीट जाये, 
देवों यही वरदान, तुम हो देवों के सरताज।। 

सबसे पहले तुम्हे मनाऊ, 
गौरी सूत गणराज 
तुम हो देवों के सरताज, 
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, 
मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज।।

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान

 

HE GAJANN AAPKI DARKAR हे गजानन आपकी दरकार है

 

हे गजानन आपकी दरकार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
हे गजानन आपकी दरकार है।।

शुभ घडी आई सुहानी आइये, 
सिद्धि साथ अपने लाइये, 
आपकी महिमा तो अपरम्पार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
हे गजानन आपकी दरकार है।। 

सबसे पहले आपकी सेवा करे, 
चरणों में सर को झुका वंदन करे, 
पहनिए फूलों के लाए हार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
हे गजानन आपकी दरकार है।। 

देवताओं का लगा जमघट यहाँ, 
ये बताए आप अब तक है कहाँ, 
हम सभी को आपका इंतजार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
हे गजानन आपकी दरकार है।। 

श्याम भक्तो की विनय सुन लीजिये, 
सब की अर्जी है दर्शन दीजिये, 
आपसे उत्सव की जय जयकार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
हे गजानन आपकी दरकार है।।

 हे गजानन आपकी दरकार है,
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
श्याम प्यारे का सजा दरबार है, 
हे गजानन आपकी दरकार है।।

दिल के अरमां आंसुओ में बह गए

 

RIDDHI SIDHI KE DATA रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति, MERE RASHE KAMAR

 

रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति, 
आपकी मेहरबानी हमें चाहिये, 
पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका, 
लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये, 
रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति। 

रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति, 
आपकी मेहरबानी हमें चाहिये, 
पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका,
लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये, 
रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति।। 

सर झुकाता हूँ चरणों मे सुन लीजिये, 
आज बिगड़ी हमारी बना लीजिये, 
ना तमन्ना है धन की ना सर ताज की, 
तेरे चरणों की सेवा हमें चाहिये, 
रिध्दि सिद्धि के दाता सुणो गणपति।। 

तेरी भक्ति का दील मे नशा चूर हो, 
बस आँखो मे बाबा तेरा नूर हो, 
कण्ठ पे शारदा माँ हमेशा रहे, 
रिध्धि सिद्धि का वर ही हमें चाहिये, 
रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति।। 

सारे देवों मे गुणवान दाता हो तुम, 
सारे वेदों मे ज्ञानो के ज्ञाता हो तुम, 
ज्ञान देदो भजन गीत गाते रहे, 
बस यही ज़िन्दगानी हमें चाहिये, 
रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति।। 

रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो गणपति, 
आपकी मेहरबानी हमें चाहिये, 
पहले सुमिरन करूँ गणपति आपका, 
लब पे मीठी सी वाणी हमें चाहिये, 
रिध्दि सिद्धि के दाता सुनो