केकैयी तूने लूट लिया, दशरथ के खजाने को,
तू तरस जाएगी रानी मांग अपनी सजाने को,
भाल तरसेगा बिंदिया को,
आंख तरसेगी कजरे को,
हाथ तरसेंगे कंगन को,
बाल तरसेंगे गजरे को,
तू तरस जाएगी रानी सबसे मिलने मिलाने को,
मार पाई ना तू मन को
तूने जाना है धन जन को,
रघुकुल के जीवन को,
राम भेजे है वन को,
तूने रस्ता चुना रानी सीधा नरक में जाने को,
राम प्राणों से प्यारे मेरे
नैनो के है तारे मेरे
तूने वर मांगा था मुझसे
ये उम्मीद ना थी तुझसे
रानी वन में ना तुम भेजो रघुकुल के घराने को
MUJHE PINE KA SHOK NAHI
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