कान्हा पिचकारी मत मार, चूनर रंग-बिरंगी होय - KANHA PICHKARI MAT MAAR


शब्दार्थ :  कुलवंसिन = कुलीन, औगुन = अवगुण,  गारो = अत्यन्त
कान्हा पिचकारी मत मार, चूनर रंग-बिरंगी होय |

  चूनर नई हमारी प्यारे 
       हे मनमोहन बंसी वारे
             इतनी सुन ले नन्द-दुलारे
पूछेगी वह सास हमारी, कहाँ से लाई भिजोय || 
कान्हा पिचकारी -----

सबको ढंग भयो मतवारो
     दुखदाई है फागुन वारो
             कुलवंसिन को औगुन गारो 
राह मेरी न रोक कान्हा मैं समझाऊँ तोय || 
कान्हा पिचकारी ------

तान दई रंग की पिचकारी
       हँस-हँस के रसिया बनवारी
             भीज गईं सबरी ब्रजनारी
राधा ने हरि का पीताम्बर खींचा मद में खोय ||
 कान्हा पिचकारी ---------


मत मारे दृगन की चोट ओ रसिया, होली में मेरे लग जाएगी - MAT MARE DRAGAN KI CHOT


श्याम पिया मोरी रँग दे चुनरिया ।


ऐसी रँग दे, के रंग नहीं छूटे ।
      धोबिया धोए चाहे सारी उमरिया ॥

लाल ना रँगाऊँ मैं, हरी ना रँगाऊँ ।

      अपने ही रंग में रँग दे चुनरिया ॥

बिना रँगाए मैं घर नहीं जाऊँ ।

      बीत ही जाए चाहे सारी उमरिया ॥

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ।

      प्रभु चरनन पे लागी नजरिया ॥


मत मारे दृगन की चोट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

मैं बेटी वृषभान बाबा कीऔर तुम,
और तुम हो नन्द के ढोट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

मुझको तो लाज बड़े कुल-घर कीऔर तुम,
और तुम में बड़े-बड़े खोट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

पहली चोट बचाय गई कान्हाअरे कर,
अरे कर नैनन की ओट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

दूजी चोट बचाय गई कान्हाअरे कर,
अरे कर घूँघट की ओट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

तीजी चोट बचाय गई कान्हाअरे कर,
अरे कर लहँगा की ओट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

नन्दकिशोर वहीं जाय खेलोजहाँ मिले,
जहाँ मिले तुम्हारी जोट ओ रसियाहोली में मेरे लग जाएगी |

होरी खेले तो आ जइयो बरसाने रसिया होरी खेले तो- HORI KHELE TO AA JAIYO


होरी खेले तो आ जइयो बरसाने रसिया होरी खेले तो।


कोरे कोरे कलस मँगाए
केसरिया रंग इनमें घुलाए,
रंग रेले तो, होरी खेले तो, होरी खेले तो आ जइयो ----


भंग भी लइयो, बादाम भी लइयो

काली मिरच को जाम भी लइयो

भंग पेले तो, रंग रेले तो, होरी खेले तो,
होरी खेले तो आ जइयो ----

रंग भी लइयो, गुलाल भी लइयो


गोपी भी लइयो और ग्वाल भी लइयो


राधा मेले तो, भंग पेले तो, रंग रेले तो, होरी खेले तो,

होरी खेले तो आ जइयो ----

भर भर के पिचकारी मारूँ,
पागल हूँ, पागल कर डारूँ,
धक्का झेले तो, रंग रेले तो, राधा मेले तो, होरी खेले तो,
होरी खेले तो आ जइयो ----
(द्वारा रसिक पागल)

रसिया को नार बनावो री रसिया को- RASIYA KO NAAR BANAO RI

रसिया को नार बनावो री रसिया को।
कटि लहंगा गल माल कंचुकी,
वाको चुनरी शीश उढाओ री।
                                रसिया को॥१॥
बाँह बडा बाजूबंद सोहे,
वाको नकबेसर पहराओ री । 
                              रसिया को ॥२॥
लाल गुलाल दृगन बिच काजर,
वाको बेंदी भाल लगावो री । 
                              रसिया को ॥३॥
आरसी छल्ला और खंगवारी,
 वाको अनपट बिछुआ पहराओ री
                             रसिया को ॥४॥
नारायण करतारी बजाय के,
वाको जसुमति निकट नचाओ री।
                              रसिया को ॥५॥

मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री-MERI CHUNRI ME PAD GAYO DAG RI

मेरी चुनरी में पर गयो दाग री, ऐसो चटक रंग डारो।

औरन की लंग देखत नाहीं, औरन की लंग,
ये तो मोही को, रे ये तो मोही को देखे दिन रात री,
ऐसो चटक रंग डारो।


औरन को अँचरा न छुअत है, औरन को,
याकी मोही सों, रे याकी मोही सों लग रही लाग री,
ऐसो चटक रंग डारो।


ललिता बिसाखा कोई न भावै, ललिता बिसाखा,
ये तो मोहीं सों, रे ये तो मोहीं सों खेले फाग री,
ऐसो चटक रंग डारो।


मात यसोदा भी बरजै न याको, मात यसोदा भी,
ऐसी होरी में, रे ऐसी होरी में लग जाय आग री,

ऐसो चटक रंग डारो।

होली खेलन आयो श्याम - HOLI KHELAN AAYO SHYAM

होली खेलन आयो श्याम
होली खेलन आयो श्याम, आज याहि रंग में बोरो री।


कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर को घोरो री।
मुख ते केशर मलो, करो याहि कारे से गोरो री॥
(रंग-बिरंगो करो आज, याहि कारे से गोरो री॥)
होली खेलन आयो श्याम…।


पास-पड़ौसिन बोलि, याहि आँगन में घेरो री।
पीताम्बर लेउ छीन, याहि पहराय देउ लहँगो री॥
होली खेलन आयो श्याम…।


हरे बाँस की बाँसुरिया, याहि तोड़-मरोड़ी री।
तारी दे दे याहि नचावो, अपनी ओरो री॥
होली खेलन आयो श्याम…।


चन्द्रसखी की यही विनती, करे निहोरो री।
हा हा खाय पड़े जब, पैया तब याहि छोरो री॥
होली खेलन आयो श्याम…।


होली खेलन आयो श्याम, आज याहि रंग में बोरो री।

सखी री कैसे खेली जाये अनोखी होली श्याम की- SAKHI RI KAISE KHELI JAYE

सखी री कैसे खेली जाये अनोखी होली श्याम की
होली श्याम की अनोखी होली श्याम की

या होली में खोय गई मेरी पायल पांव की
अभी तो मैंने नई गढ़ाई बहुतही दाम की
सखी री कैसे खेली जाये अनोखी होली श्याम की

धूम सही न जाये सखी री आठों याम की
हरमत लग जाये ऐसी होली की काम की
सखी री कैसे खेली जाये अनोखी होली श्याम की

या होली हे बहुत बुरी गोवर्धन धाम की
रंग डाले और चाप लगावे अपने नाम की
सखी री कैसे खेली जाये अनोखी होली श्याम की

या होली हे अजर अमर बृन्दावन धाम की
भक्तमंडली ख़ुशी रहे चम्पावती धाम की
सखी री कैसे खेली जाये अनोखी होली श्याम की