नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँ, नेक आगे आ- NEK AGE AA SHYAM TOPE



नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ
       हाँ रे नेक आगे आहम्बै नेक आगे आ
       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

रंग डारूँ तेरे अंगन सारूँरंग डारूँ तेरे अंगन सारूँ लाला,
       तेरे गालन पेतेरे गालन पे, गुलचा मारूँ नेक आगे आ
       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

 टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँटेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया बाँधूँ लाला
       तेरी पगिया पेतेरी पगिया पे फुलड़ी डारूँनेक आगे आ
       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

ब्रज दूल्हा तू छैल अनोखाब्रज दूल्हा तू छैल अनोखा लाला
       तोपे तन-मन-धन-जोबन वारूँनेक आगे आ

       नेक आगे आ श्याम तोपे रंग डारूँनेक आगे आ।

डार गयो री, डार गयो री, रंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर DAR GAYO RI DAR GAYO RI

डार गयो रीडार गयो रीरंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

तान दई मम तन पिचकारी,
            फ़ट्यो कंचुकी चीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
चूनर बिगर गई जरतारी,
            कसकत दृगन अबीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
जैसे-तैसे इन अँखियन से,
            धोय तो डारो अबीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।
मृदु मुसकाय कान्ह नैनन के,
      मारत तीर गंभीररंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

डार गयो रीडार गयो रीरंगीलो रंग डार गयो री मेरी बीर।

फाग खेलन बरसाने आए हैं, नटवर नन्दकिशोर- FAG KHELAN BARSANE AAYE HEN

 फाग खेलन बरसाने आए हैंनटवर नन्दकिशोर
नटवर नन्दकिशोरनटवर नन्दकिशोरफाग खेलन --------

घेर लई सब गली रंगीली,
       छाय रही सब छवि छवीली,
             जिन अबीरजिन अबीरजिन अबीर,
गुलाल उड़ाए हैंमारत भर-भर झोरफाग खेलन --------

सह रहे चोट ग्वाल ढालन पे,
       केसर कीच मलैं गालन पे,
             जिन हरियलजिन हरियलजिन हरियल
बाँस मँगाए हैंचलन लगे चहुँ ओरफाग खेलन --------

भई अबीर घोर अँधियारी,
       दीखत नाहिं कोई नर और नारी,
               जिन राधेजिन राधेजिन राधे,
सैन चलाए हैंपकरे माखन-चोरफाग खेलन --------

जुल-मिल के सब सखियाँ आईं,
       उमड़ घटा अम्बर पे छाई,
             जिन ढोलजिन ढोलजिन ढोल
मृदंग बजाए हैंबंसी की घनघोरफाग खेलन --------

जो लाला घर जानो चाहो,
       तो होरी को फगुआ लाओ
             जिन श्याम नेजिन श्याम नेजिन श्याम ने
सखा बुलाए हैंनाचत कर-कर शोरफाग खेलन --------

राधे जू के हा-हा खाओ,
             सब सखियन कै घर पहुँचाओ

जिन घासीरामजिन घासीराम पथ गाए हैंलगी श्याम से डोर।

होली खेल रहे नन्दलाल- HOLI KHEL RAHE NAND LAL BRINDAVAN

होली खेल रहे नन्दलाल

सबका हाल बेहाल कर रहे हैं, साथ में चुनरी की भी शोभा बिगाड़ रहे हैं। तब भी भक्त जन मुग्ध नहीं, मन्त्र-मुग्ध हैं।

होली खेल रहे नन्दलालवृन्दावन की कुंज गलिन में
वृन्दावन की कुंज गलिन में, वृन्दावन की कुंज गलिन में
होली खेल रहे……………..

संग सखा श्याम के आये, रंग भर पिचकारी लाए
      सबका !!!! हो सबका करें हाल बेहाल || वृन्दावन की ----------
चल गली रँगीली आए, ढप-झाँझ-मृदंग बजाए
      गाँवें !!!! हो गाँवें नाचें, छेड़ें तान || वृन्दावन की ----------

रंग भर पिचकारी मारी, चूनर की आब बिगारी
      मेरे मुख पे !!!! हो मेरे मुख पे मला गुलाल || वृन्दावन की ----------
छवि निरख श्याम की प्यारी, सब भक्त बजावें तारी

      सब पर !!!! हो सब पर रंग डाल रहे ग्वाल || वृन्दावन की ----------

आज बिरज में होरी रे रसिया- AAJ BIRAJ ME HORI RE RASIYA

आज बिरज में होरी रे रसिया
       होली रे रसियाबरजोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------
चोवा चन्दन और अगरजा,
   केसर मृगमद घोरी रे रसिया ॥ आज बिरज में -----------

इधर से आए कुँवर कन्हैयाइधर से आए कुँवर कन्हैया
       उधर से राधा गोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------
अपने-अपने घर से निकलींअपने-अपने घर से निकलीं
       कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------

कौन के हाथ कनक पिचकारीकौन के हाथ कनक पिचकारी
       कौन के हाथ कमोरी रे रसिया  आज बिरज में -----------
राधा के हाथ कनक पिचकारीराधा के हाथ कनक पिचकारी
       श्याम के हाथ कमोरी रे रसिया  आज बिरज में ----------

कितना लाल-गुलाल मँगायाकितना लाल-गुलाल मँगाया
       कितनी मँगाई केसर रे रसियाआज बिरज में -----------
सौ मन लाल-गुलाल मँगायासौ मन लाल-गुलाल मँगाया
       दस मन केसर घोली रे रसिया  आज बिरज में -----------

उड़ा गुलाल लाल हुए बादलउड़ा गुलाल लाल हुए बादल
       केसर हवा में घुली रे रसिया  आज बिरज में -----------
बज रहे ताल मृदंग-झाँझ-ढपबज रहे ताल मृदंग-झाँझ-ढप
       और नगाड़ों की जोड़ी रे रसिया   आज बिरज में -----------

चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छविचन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि

       युग-युग जिए यह जोड़ी रे रसिया आज बिरज में -----------

नन्द के द्वार मची होली- NAND KE DWAR MACHI HOLI

नन्द के द्वार मची होली

सूरदास जी की दृष्टि में कुँवर कन्हैया की होली कैसी है? बाबा नन्द के द्वार पर होली की धूम है। एक ओर पाँच वर्ष के कुँवर कन्हैया खड़े हैं तो दूसरी ओर सात वर्ष की राधा रानी। प्रभु इस जोड़ी को बनाए रखें, यह सूर जी की विनती है। (कहते हैं कि दस वर्ष की आयु में कंस के निमंत्रण पर कृष्ण कुश्ती लड़ने उसके दरबार में चले गए थे।)


बाबा नन्द के द्वार मची होलीबाबा नन्द के |

इधर खड़े हैं कुँवर कन्हैया-लाला
      उधर खड़ी राधा गोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

पाँच बरस के कुँवर कन्हैया-लाला
      सात बरस-की राधा गोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

 हाथ में लाल गुलाल पिचकरा
      मारत हैं भर बरजोरीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को

      अविचल रहियो यह जोड़ीबाबा नन्द के || नन्द के द्वार....

कान्हा पिचकारी मत मारे, मेरे घर सास लड़ेगी रे- KANHA PICHKARI MAT MARE

कान्हा पिचकारी मत मारे


यह गोपी पहले वाली से अधिक चतुर सुजान दिखाई देती है। कान्हा पिचकारी की धार मारें, उससे पहले ही चिरौरी कर रही है। उस समय के समाज का क्या सही चित्रण कर रही है। सास गालियाँ तो देगी ही (जब वह भीगी चुनरी और टूटी माला लेकर घर पहुँचेगी), रोटी भी नहीं देगी।  ननद बिजुलिया पिया से एक की चारऔर चार की सोलह लगाएगी।

कान्हा पिचकारी मत मारे, मेरे घर सास लड़ेगी रे
सास लड़ेगी रे, मेरे घर नन्द लड़ेगी रे || कान्हा पिचकारी ------

सास डुकरिया मेरी बड़ी खोटी, गारी दे, ना देगी रोटी
द्योरानी-जिठानी मेरी जनम की दुश्मन, सुबह करेंगी रे || कान्हा पिचकारी ------

जा-जा झूठ पिया से बोले, एक की चार, चार की सोलह
ननद बिजुलिया जाय पिया के कान भरेगी रे || कान्हा पिचकारी ------

कुछ नहीं बिगड़े श्याम तुम्हारा, मुझे होएगा देश-निकाला
ब्रज की नारी दे ताली, मेरी हँसी करेंगी रे || कान्हा पिचकारी ------

हा-हा खाऊँ पडूँ तोरी पइयाँ, डालो श्याम मती गलबहियाँ
नाजुक मोतिन की माला मेरी टूट पड़ेगी रे || कान्हा पिचकारी ------