महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
हमने बचायी लाख मगर फिर भी उधर गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
उनकी नज़र में कोई तो जादू ज़ुरूर है
जिस पर पड़ी उसी के जिगर तक उतर गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
हसरत भरी निगाह बड़ा काम कर गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
उनके ज़माल-ए-रुख़ पे उन्हीं का ज़माल था
वो चल दिए तो रौनक-ए-शामों सहर गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
वो आएंगे जरूर जो उन तक खबर गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
हमने बचायी लाख मगर फिर भी उधर गयी
महफ़िल में बार बार किसी पर नज़र गयी
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