गोकुल की हर गली में, मथुरा की हर गली में- GOKUL KI HAR GALI ME MATHURA

गोकुल की हर गली में, मथुरा की हर गली में

गोकुल की हर गली में, मथुरा की हर गली में

कान्हा को ढूंढता हूँ, दुनियाँ की हर गली में 

गोकुल गया तो सोचा, माखन चुराता होगा 
या फिर कदम के निचे, बंशी बजाता होगा 
गुजरी की हर गली में, ग्वालन की हर गली में 
कान्हा को ढूंढता हूँ दुनियाँ की हर गली में 

शायद किसी नारि का, चीर बढा।ता होगा 
या फिर विष के प्याले को, अमृत बनाता होगा 
मीरां की हर गली में, भक्तों की हर गली में 
कान्हा को ढूंढता हूँ दुनियाँ की हर गली में 

गोकुल की हर गली में, मथुरा की हर गली में 
कान्हा को ढूंढता हूँ दुनियाँ की हर गली में

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