रंग रंग राधा हुयी, कान्हा हुए गुलाल,
वृंदावन होली हुआ सखियां रचें धमाल ।।
वृंदावन होली हुआ सखियां रचें धमाल ।।
होली राधा श्याम की और न होली कोय,
जो मन रांचे श्याम रंग, रंग चढे ना कोय।।
नंदग्राम की भीड़ में गुमे नंद के लाल,
सारी माया एक है क्या मोहन क्या ग्वाल।।
जो मन रांचे श्याम रंग, रंग चढे ना कोय।।
नंदग्राम की भीड़ में गुमे नंद के लाल,
सारी माया एक है क्या मोहन क्या ग्वाल।।
आसमान टेसू हुआ धरती सब पुखराज,
मन सारा केसर हुआ तन सारा ऋतुराज।।
मन सारा केसर हुआ तन सारा ऋतुराज।।
बार बार का टोंकना बार बार मनुहार,
धूम धुलेंडी गांव भर आंगन भर त्योहार ।।
धूम धुलेंडी गांव भर आंगन भर त्योहार ।।
फागुन बैठा देहरी कोठे चढ़ा गुलाल,
होली टप्पा दादरा चैती सब चौपाल।।
होली टप्पा दादरा चैती सब चौपाल।।
सरसों पीली चूनरी उड़ी हवा के संग,
नयी धूप में खुल रहे मन के बाजूबंद।।
नयी धूप में खुल रहे मन के बाजूबंद।।
महानगर की व्यस्तता मौसम घोले भंग,
इक दिन की आवारगी छुट्टी होली रंग।।
इक दिन की आवारगी छुट्टी होली रंग।।
अंजुरी में भरपूर हों सदा रूप रस गंध,
जीवन में अठखेलियां करता रहे बसंत ।।
जीवन में अठखेलियां करता रहे बसंत ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें