श्याम तेरी वंशी पागल कर जाती है- SHYAM TERI VANSHI PAGAL KAR JATI HE

मेरे श्याम तेरी बंसी पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।
सोने की होती जो, ना जाने क्या करती,
जब बांस की होकर यह दुनिया को नचाती है।
दुख दर्दों को सहना वंशी ने सिखाया है,
इसके छेद हैं सीने में, फिर भी मुस्काती है।
तुम गोरे होते जो, ना जाने क्या करते,
जब काले रंग पे यह दुनिया मर जाती है।
गर शादी होती तो न जाने क्या होता,
बिन शादी के राधा कितना इतराती हैं।
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो,
कभी माखन खाने की मन में आ जाती है।

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