चलो तुम तोड़ दो ये दिल....
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तुम्हे लगता है अश्कों की घटाएँ अब नहीं होंगी,
ग़लतफहमी तुम्हारी है ख़तायें अब नहीं होंगी,
कोई ज़ालिम मुहब्बत मे तुम्हे जब छोड़ जायेगा,
तुम्हे बर्बादियों के रास्ते पर मोड़ जायेगा,
करोगे याद उस दिन तुम मगर होंगे न हम हासिल,
चलो तुम तोड़ दो ये दिल, चलो तुम तोड़ दो ये दिल,
हमारे साथ जब तक थे तुम्हे ग़म छुल नहीं पाए,
मगर अफ़सोस तुम इन धड़कनों में घुल नहीं पाए,
मेरा चेहरा तुम्हारे सामने अब जब भी आएगा,
भले ख़ामोश होंगे लब मगर दिल मुस्कुरायेगा,
लो कर दो क़त्ल मेरा है इजाज़त ऐ मेरे क़ातिल,
चलो तुम तोड़ दो …… …… … … … ...... .. …....।
चलो अब जा रहा हूं मै तुम्हारी छोड़ कर दुनिया,
नहीं मैं लौट पाऊंगा तकोगी तुम फकत रस्ता,
तुम्हारे ज़ख्म पर भरने कोई मरहम न आएगा,
मेरे जैसा तुम्हारा अब कोई हमदम न आयेगा,
तुम्हे हर पल लगेगी अब तुम्हारी सांस ये बोझिल,
चलो तुम तोड़ दो ..................................…।
✍️ आशीष कविगुरु