एक बार अयोध्या जाओ,दो बार द्वारिका
तीन बार जाकर त्रिवेणी में नहाओ
चार बार चित्रकूट नौ बार नासिक में
बार बार बद्रीनाथ चाहे जहाँ जाओ
कोटि बार काशी केदार नाथ रामेश्वर
गया जगन्नाथ चाहे जहां जाओगे
होंन्गे प्रत्यक्ष तुम्हें दरश श्यामा श्याम के
वृन्दावन सा कहीं आनंद नही पाओगे
इसी ने ही पाला मुझको,इसी ने सम्हाला है
परवाह नही है मेरा यार,मुरली वाला है
मुझे हर मुसीबत से बाहर निकाला है
परवाह नही है मेरा यार मुरली वाला है
इसी ने ही पाला मुझको
परवाह नही है मेरा यार मुरली वाला है
करुणा मई करुणा सब बहती माया है
मिट्टी था मैं तो मुझको चंदन बनाया है
अंधेरो को भी मेरे उजालों में ढाला है
परवाह नही है मेरा यार मुरली वाला है
मुझे हर मुसीबत से बाहर निकाला है
परवाह नही है मेरा यार मुरली वाला है
मतलब की है ये दुनिया खूब आजमाया है
मुसीबत में भी मेरे श्याम काम आया है
सांस सांस सिमरे तेरे नाम की ही माला है
मुझे हर मुसीबत से बाहर निकाला है
परवाह नही है मेरा यार मुरली वाला है
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