SHYAM MAKHAN CHURATE श्याम माखन चुराते चुराते

श्याम माखन चुराते चुराते, अब तो दिल भी चुराने लगे है।

वो बहाना बनाते बनाते ,अब दीवाना बनाने लगे है।।

पहले गऊऐ चराते थे वन में ,मस्त रहते थे मुरली की धुन में।

अब वो ग्वालो की टोली बनाके,रोज़ पनघट पे आने लगे है।।

श्याम माखन चुराते चुराते, अब तो दिल भी चुराने लगें हैं |
राधा रानी को ले कर कन्हिया, अब तो रास रचाने लगें हैं ||

देवकी के गर्भ से जो जाए, माँ यशोदा के लाल कहाए |
ग्वाल बालों के संग मे कन्हिया, अब तो गौए चराने लगें हैं ||

मोह ब्रह्मा का जिस ने घटाया, मान इन्द्र का जिस ने मिटाया |
स्वम बन कर पुजारी कन्हिया, अब तो गिरिवर पूजाने लगें है ||

श्याम ने ऐसी वंसी बजायी, तान सखिओं के दिल मे समायी |

राधा रानी को ले कर कन्हिया, रास मधुवन रचाने लगें है || 

दीन बंधु ज़माने के दाता, संत भक्तो के है जो विधाता |
दया ले कर शरण राधा रानी की, उनका गुणगान गाने लगें है ||

jo prem gali जो प्रेम गली में



जो प्रेम गली में आये नही,
प्रीतम का ठिकाना क्या जाने,
जिसने कभी प्रीत लगाई नही,
वह प्रेम निभाना क्या जाने,
जो प्रेम गली में आये नही,
प्रीतम का ठिकाना क्या जाने।

जो वेद पढ़े और भेद करे,
मन में नही निर्मलता आई।
कोई कितना चाहे ज्ञानी बने,
भगवान को पाना क्या जाने।
जो प्रेम गली में आये नही,
प्रीतम का ठिकाना क्या जाने।

यह दुनिया गोरख धंधा है,
सब जग माया में अंधा है।
जिस अंधे ने प्रभु को देखा नही,
वह रूप बखाना क्या जाने।
जो प्रेम गली में आये नही,
प्रीतम का ठिकाना क्या जाने।

जिस दिल में ना पैदा दर्द हुआ,
वह पीर पराई क्या जाने,
जो प्रेम गली में आये नही,
प्रीतम का ठिकाना क्या जाने।

मीरा है दीवानी मोहन की,
संसार दीवाना क्या जाने।
जो प्रेम गली में आये नही,
प्रीतम का ठिकाना क्या जाने।

आवारा हवा का झोंका हू

भजन प्रभु का सुमिरन करले स्वर्ग तुझे मिल जाएगा

आसमान में उड़ने बाले मिट्टी में मिल जायेगा
प्रभू सुमिरन करले स्वर्ग तुझे मिल जायेगा
आसमान में उड़ने बाले मिट्टी में मिल जायेगा
कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी काम न तेरे आएगी
माटी में बनी ये काया माटी में मिल जायेगी
प्रेम तू करले प्रभू से मोक्ष तुझे मिल जायेगा
आसमान में उड़ने बाले मिट्टी में मिल जायेगा
है दस्तूर जग का कोई साथ नहीं आयेगा
गाडी बंगला महल अटारी यहीं रह जायेगा
राम नाम अनमोल रतन भव से तर जायेगा
आसमान में उड़ने बाले मिट्टी में मिल जायेगा

KIRTAN ME AB RANG .कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है

 

तर्ज _  काली कमली वाला 


कीर्तन मे अब रंग बरसने वाला है,
देखो देखो आ गया बजरंग बाला है,
जहाँ जहाँ कीर्तन प्रभु का होता है,
नाचे हनुमत होकर के मतवाला है,
कीर्तन मे अब रंग.......

पाँव में घुँघरू बांधे है हाथ में करताल,
ठुमक ठुमक कर झूमता है अंजनी का लाल,
पी रहा मस्ती का भर भरकर प्याला है,
देखो देखो आ गया..........

राम का दरबार हो या श्याम का दरबार,
रहता है हनुमान हरदम सेवा में तैयार,
अपने प्रभु का ये तो भक्त निराला है,
देखो देखो आ गया......

भक्ति का भण्डार है ये प्रेम का सागर,
माँग लो अनमोल धन ये हाथ फैला कर,
खुलवा लो जो बंद करम का ताला है,
देखो देखो आ गया.....

कर रहे है भक्त सारे प्रार्थना इतनी,
भक्तिरस हमको चखा दो भक्त शिरोमणि,
“बिन्नू” ने चरणों मे डेरा डाला है,
देखो देखो आ गया .........

 

दुल्हे का चेहरा सुहाना लगता

 

SHIV KE PYARE GANESH शिव के प्यारे गणेश

 शिव के प्यारे गणेश, काटो विघन कलेश.

मेरे अंगना पधारो मैं तर जाऊंगा...

 इक दया की नजर आप करदो इधर .

मेरी बिगड़ी सुधारो मैं तर जाऊंगा...

रिद्धि सिद्धि के दाता कहें आपको .

 ज्ञान बुद्धि विधाता कहें आपको ...

 कर के मूषे सबारी चले आइये .

 मेरा नर तन सँवारो, मैं तर जाऊंगा ....

 चार मौदक के लड्डू चढ़ायें तुम्हें .

सारे देवों से पहले मनायें तुम्हें ...

नाम सुमरन करें शीश चरनन धरें .

पार भव से उतारो मैं तर जाऊंगा .....

 आपके दर पे जो भी सवाली आया .

 आज तक कोई दर से न खाली गया .....

मैं हूँ पापी अधम, है शरण में पदम्.

गीत मेरे निहारो, मैं तर जाऊंगा ........

MERE RASHKE QAMAR

VEENA VALI MA SHARE वीणा वाली माँ शारदे वीणा तुम बजा देना

 वीणा वाली माँ शारदे वीणा तुम बजा देना

 मैया अपनी वीणा से जरा रस बरसा देना 

श्वेत वसन वाली है,हंस की सवारी है 

प्रेम भरे आँचल को मुझी पे उढा देना

 तू जग से न्यारी है जग तेरा पुजारी है 

प्रेम भाव से सब रहें ऐसा ज्ञान दे जाना

 स्वर का तो ज्ञान नही,लय का ठिकाना नही 

संगीत सागर से  स्वर सुधा पिला देना 

 तुम से मेरी अर्जी है,आगे तेरी मर्जी है 

अंधकार मिट जाए ज्ञान का प्रकाश देना 

तुम तो ठहरे परदेसी धुन पर वंदना

 

SABSE PAHE TUMHE . सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,

 

सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ, 
गौरी सूत गणराज, 
तुम हो देवों के सरताज, 
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, 
मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज।।

गंगाजल स्नान कराऊँ, 
केसर चंदन तिलक लगाऊं, 
रंग बिरंगे फुल मे लाऊँ, 
सजा सजा तुमको पह्राऊ, 
लम्बोदर गजवदन विनायक, 
राखो मेरी लाज, तुम हो देवों के सरताज।। 

जो गणपति को प्रथम मनाता, 
उसका सारा दुख मीट जाता, 
रिद्धि सिध्दि सुख सम्पति पाता, 
भव से बेड़ा पार हो जाता, 
मेरी नैया पार करो, 
मैं तेरा लगाऊं ध्यान, तुम हो देवों के सरताज।।

पार्वती के पुत्र हो प्यारे, 
सारे जग के तुम रखवाले, 
भोलेनाथ है पिता तुम्हारे, 
सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारें, 
मेरे सारे दुख मीट जाये, 
देवों यही वरदान, तुम हो देवों के सरताज।। 

सबसे पहले तुम्हे मनाऊ, 
गौरी सूत गणराज 
तुम हो देवों के सरताज, 
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला, 
मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज।।

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान