MEETHI MEETHI MERE SAWRE KI - मीठी-मीठी मेरे सांवरे की....


 मीठी-मीठी मेरे सांवरे की....

मीठी-मीठी मेरे सांवरे की....
मीठी-मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजै.... मीठी मुरली बाजै....
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,
मीठी-मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजै.... प्यारी बंसी बाजै....
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,

छोटो सो कन्हैयों मेरो बांशुरी बजावै ॥,
यमुना की नारी देखो रास-रचावै,
पकड़ी राधे जी की बईयां....
पकड़ी राधे जी की बईयां, देखो घुमर-घाले,
हो... देखो घुमर-घाले,
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,
मीठी-मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजै... प्यारी बंसी बाजै...
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,

छम-छम बाजे देखो राधे की पैजनियाँ ॥,
नाचे रे कन्हैयों मेरो छोड़ के मुरलियां ॥,
राधे संग में नैन लड़ावे....
राधे संग में नैन लड़ावे, नाचै सागे-सागे,
हो... नाचै सागे-सागे,
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,
मीठी-मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजै... प्यारी बंसी बाजै...
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,

प्यारी-प्यारी लागे देखो जोड़ी राधे-श्याम की ॥,
शान है या जान है या देखो सारे गाँव की ॥,
राधे-श्याम की जोड़ी ने....
राधे-श्याम की जोड़ी ने, हिबड़े माहि राखै,
हो... हिबड़े माहि राखै,
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,
मीठी-मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजै... प्यारी बंसी बाजै...
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥

बाजे रे मुरलियां देखो बाजे रे पैजनियाँ ॥,
भगतां ने बनाले तेरे गाँव की गुजरियां ॥
हो करदे बनवारी यों काम....
हां करदे बनवारी यों काम, तेरो कांई लागै,
हो... तेरो कांई लागै,
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥,
मीठी-मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजै... प्यारी बंसी बाजै...
होकर श्याम की दीवानी राधा-रानी नाचै ॥

 

ARTI AVADH VIHARI KI - आरती अवध बिहारी की, दयामयी जनकदुलारी की।।

आरती अवध बिहारी की, दयामयी जनकदुलारी की।।

आरती अवध बिहारी की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


सिंहासन सोहे युगल सरकार,
परस्पर हँसी हेरत हर बार,
मधुर कछु बोल लेत मन मोल,
ललित छवि प्रीतम प्यारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


अलोकत पाय अंजनीलाल,
निरखि पग पंकज होत निहाल,
कहत रघुराई धन्य सेवकाई,
पवनसुत गिरिवर धारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


भरतजू ठाड़े भाव विभोर,
लखन रिपु दमन लाल करजोर,
लखे मुख चंद लेत आनंद,
धन्य शोभा धनुधारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


आरती जो कोई जन गावे,
प्रभु पद प्रेम अवश्य पावे,
शरण राजेश दवे अवधेस,
बोलिए जय जय भयहारी की,
दयामयी जनकदुलारी की,
आरतीं अवध बिहारीं की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


आरती अवध बिहारी की,
दयामयी जनकदुलारी की।।


 

इतनी जल्दी करो ना जाने की ITNI JALDI KARO NA JAANE KI

इतनी जल्दी करो ना जाने की

हर लम्हा गुजरता है खता वार हमारा
मरना भी अब तो मरना है दुश्वार हमारा
हमने तो सिर्फ आस लगाई है हरी से
है उसके सिवा कौन मददगार हमारा

इतनी जल्दी करो ना जाने की
सांस रुक जाएगी दीवाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की ………

आप आए बहार आई है
जागी किस्मत गरीब खाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की……….

आओ मेरे करीब आ जाओ
आरजू है गले लगाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की……….

रूठना है तो रूठ जाओ तुम
हमको फुर्सत नहीं मनाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की……….

धड़कने और बढ़ गई दिल की
क्या जरूरत थी मुस्कुराने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की………



बेस्ट शायरी best shayri



    बेस्ट  शायरी 

आंखें तो प्यार में दिल की जुबान होती हैं,
सच्ची चाहत तो सदा बे जुबान होती है,
प्यार में दर्द भी मिले तो मत घबराना,
सुना है दर्द से चाहत और जवान होती है।

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा।

जोड़कर रिश्ता मोहब्बत का किसी से,
उसे तन्हा अकेले छोड़ा नहीं जाता,
कांच से होते है यह दिल के रिश्ते,
इन दिल के रिश्तों को यु ही तोड़ा नहीं जाता।

मोहब्बत कि ज़ंज़ीर से डर लगता है,
कुछ अपनी तकलीफ से डर लगता है,
जो मुझे तुजसे जुदा करते है,
हाथ कि वो लकीरो से डर लगता है।

प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं,
बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नही।

हमारी दास्तां उसे कहां कबूल थी,
मेरी वफायें उसके लिये फिजूल थीं,
कोई आस नहीं लेकिन कोई इतना बतादो,
मैंने चाहा उसे क्या ये मेरी भूल थी।

दर्द में इस दिल को तड़पते देखा,
अपने सामने हर रिश्ते को बिखरते देखा,
कितने प्यार से सजाये ख्वाबों की दुनिया,
उसी आँखों से अपने उजड़ते देखा। 


पहले कभी ये यादें ये तनहाई थी,
कभी दिल पे मदहोशी छायी ना थी,
जाने क्या असर कर गयीं उसकी बातें,
वरना इस तरह कभी याद किसी की आयी ना थी।

रात की तन्हाई में उसको आवाज़ दिया करते हैं,
रात में सितारों से उनका ज़िक्र किया करते हैं,
वो आयें या ना आयें हमारे ख्वाबों में,
हम तो बस उन्ही का इंतज़ार किया करते हैं।

प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पे मरना सिखा देता है,
प्यार नहीं किया तो करके देख लो यार,
ज़ालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।

जान से ज्यादा प्यार उन्हें किया करते थे,
याद उन्हें दिन रात किया करते थे,
अब उन राहों से गुज़रा नहीं जाता,
जहाँ बैठकर उनका इंतजार किया करते थे।

जिंदगी कितनी खूबसूरत होती,
अगर तेरी चाहत अधूरी ना होती,
कुछ उलझने कुछ मजबूरियां होती बेशक,
मगर प्यार में इतनी दूरियां ना होती।

 



DOSTI KA BHAROSA NAHI - दुश्मनी की तो क्या पूछिये दोस्ती का भरोसा नहीं. dushmani ka to kya puchiye

 

दुश्मनी की तो क्या पूछिये दोस्ती का भरोसा नहीं.

दुश्मनी की तो क्या पूछिये
दोस्ती का भरोसा नहीं.
आप मुझ से भी पर्दा करें,
अब किसी का भरोसा नही.

कल ये मेरे भी आँगन में थी,
जिसपे तुमको गुरूर आज है.
कल ये शायद तुझे छोड़ दे,
इस ख़ुशी का भरोसा नही.

क्या ज़रूरी है हर रात में,
चाँद तुमको मिले जानेजाँ.
जुगनुओं से भी निस्बत रखो,
चाँदनी का भरोसा नही.

रात दिन मुस्तकिल कोशिशें,
ज़िन्दगी कैसे बेहतर बने.
इतने दुख ज़िन्दगी के लिये,
और इसी का भरोसा नही.

ये तकल्लुफ भला कब तलक,
मेरे नज़दीक आ जाइये.
कल रहे न रहे क्या पता,
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं.

पत्थरों से कहो राज़-ए- दिल,
ये ना देंगे दवा आप को.
ऐ नदीम आज के दौर में,
आदमी का भरोसा नही.

 

रफ्ता रफ्ता वो मेरी हस्ती का सामा हो गए

 रफ़्ता रफ़्ता वो मेरे हस्ती का सामां हो गए

पहले जां, फिर जान-ए-जां
फिर जान-ए-जाना हो गए
रफ़्ता...

दिन-ब-दिन बढ़ती गईं, उस हुस्न की रानाइयां पहले गुल, फिर गुलबदन, फिर गुलबदाना हो गए रफ़्ता... आप तो नज़दीक से, नज़दीकतर आते गए पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के महमां हो गए रफ़्ता... प्यार जब हद से बढ़ा, सारे तकल्लुफ़ मिट गए आप से फिर तुम हुए, फिर तू का उनवा हो गए
रफ़्ता...


कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे

कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे

तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे
जागते-जागते इक उम्र कटी हो जैसे
जान बाकी है मगर साँस रुकी हो जैसे

हर मुलाकात पे महसूस यही होता है
मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे

राह चलते हुए अक्सर ये गुमां होता है
वो नज़र छुप के मुझे देख रही हो जैसे

एक लम्हें में सिमट आया सदियों का सफ़र
ज़िन्दगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे

इस तरह पहरों तुझे सोचता रहता हूँ मैं
मेरी हर साँस तेरे नाम लिखी हो जैसे
कोई फरियाद...