घर की जरूरतों ने मुसाफिर

 

ख्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की

आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है||

अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे

जिसकी जितनी जरूरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे ||

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर

मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है ||

मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका

चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ||

ऐसा नहीं कि मुझमेंकोई ऐब नहीं है

पर सच कहता हूँ मुझमें कोई फरेब नहीं है||

सोचा था घर बनाकर बैठूँगा सुकून से

पर घर की जरूरतों ने मुसाफिर बना डाला मुझे ||

जीवन की भागदौड़ में क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?

हँसती-खेलती जिन्दगी भी आम हो जाती है ||

एक सबेरा था जब हँसकर उठते थे हम

और आज कई बार बिना मुस्कुराए ही शाम हो जाती है||

कितने दूर निकल गए रिश्तों को निभाते-निभाते

खुद को खो दिया हमने अपनों को पाते-पाते ||

लोग कहते हैं हम मुस्कुराते बहुत हैं

और हम थक गए दर्द छुपाते-छुपाते ||

खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ

लापरवाह हूँ ख़ुद के लिए मगर सबकी परवाह करता हूँ ||

मालूम है कोई मोल नहीं है मेरा फिर भीकुछ अनमोल लोगों से रिश्ते रखता हूँ।

MOHE HORI ME KAR GAYO मोहे होरी में कर गयो तंग

 मोहे होरी में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
हिया मोरा उमंग में,
होरी खेले साँवरा,
श्री राधा जी के संग में,

मोहे होरी में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,

ग्वाल बालन संग घेर लई मोहे,
एकली जान के,
भर भर मारे रंग पिचकारी मेरे,
सनमुख तान के,
या ने ऐसो, या ने ऐसो,
या ने ऐसो मचायो हुरदंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,

जित जाऊँ मेरे पीछे डोले,
जान जान के अटके,
ना माने होरी में कहूं की ये तो,
गलिन गलिन में मटके,
ना ऐ होरी, ना ऐ होरी,
ना ऐ होरी खेलन को ढंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,

रंग बिरंगे "चित्र विचित्र"
बनाए दिए होरी में,
पिचकारी में रंग रीत गयो,
भर ले कमोरी ते,
पागल ने, पागल ने,
पागल ने छनाए दई भंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होली में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
मोहे होरी में कर गयो तंग,
ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,
मोहें होरी में कर गयो तंग,
ये रसियां माने ना मेरी,

CHALO KHELENGE HOLI चलो खेलेंगे होली

 श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

बाग़ है यह अलबेला,
लगा कुंजो में मेला।
हर कोई नाचे गाये,
रहे कोई ना अकेला।

झूम कर सब ये बोलो,
हर बरस आये यह होली॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

कभी वृन्दावन खेले,
कभी बरसाने खेले।
कभी गोकुल में खेले,
कभी बरसाने खेले।

रंगी नंदगाव की गलीयाँ,
रंगी भानु की हवेली॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

ग्वाल तुम संग में लाना,
मेरे संग सखीयाँ होंगी।
उन्हें तुम रंग लगाना,
चाह वो करती होंगी।

तुम्हे मैं दूंगी गारी,
काहे खेलत हो होरी॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

कभी गुलाल उडाए,
कभी मारे पिचकारी।
कभी रंग जाए राधा,
कभी रंग जाए बिहारी ।

है कैसा मस्त महिना,
है कैसी सुन्दर जोड़ी॥

चलो खेलेंगे होली,
चलो खेलेंगे होली।
श्याम से श्यामा बोली,
चलो खेलेंगे होली॥

RANG DAR GAYO RI रंग डार गयो री, मोपे सांवरा

 रंग डार गयो री मोपे साँवरा,
रंग डार गयो री मोपे सांवरा,
मर गयी लाज़न हे री मेरी बीर,
मैं का करुं सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

मारी तान के ऐसी मोपे, पिचकारी,
मारी तान के ऐसी मोपैं,  पिचकारी,
मेरो भीज्यों तन को चीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

रंग डारी चुनर कोरी रै,
रंग डारी चुनर कोरी रे,
मेरे भर गयो नैनन अबीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

मेरो पीछा ना छोड़े ये होरी में,
मेरो पीछा ना छोड़े ये होली में,
एक नन्द गाँव को अहीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

पागल के चित्र विचित्र संग,
पागल के चित्र विचित्र संग,
होरी भई यमुना के तीर,
मैं का करूँ सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

रंग डार गयो री, मोपे सांवरा,
मर गयी लाज़न हे री मेरी बीर,
मैं का करु सजनी होरी में,
रंग डार गयो री, मोपे सांवरा।

SAKHI RI METO FAG MANAUNGI सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी

 डफ ढोल बजाऊंगी
सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी.....x3

बरसने में आज मची है आज सखी रंगाली होली,
ओह्ह सखी रंगाली होली......
हा हा सखी रंगाली होली......
भरली सबने रंग पिचकारी ।।

भरली रंग घूमोरी रंग में रंग जाऊंगी ।।
सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी......
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।
हरे गुलाबी नीला पिला उड़ रयो है भारी,
केसर की जिन गलियों में रंग गए नर नारी,
ओह्ह रंग गए नर नारी......
हा हा रंग गए नर नारी......

में भी रंग उड़ाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी,
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

अभी गुलाल उड़े अंबर में फ़ाग मचे चहु ओर,
ओह्ह फ़ाग मचे चहु ओर......
हा हा फ़ाग मचे चहु ओर......
इत में घेरी गली रंगाली उत में साथ विघोर,
ओह्ह उत में साथ विघोर........
हा हा उत में साथ विघोर.........

अब एक न मानूँगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी,
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

चित्र विचित्र पागल के संग में होरी के रसिया गावे,
ओह्ह होरी के रसिया गावे......
हा हा होरी के रसिया गावे.......
अजर अमरिया ब्रज की होरी दरश करत सत पावे,
ओह्ह दरश करत सत पावे.....
हा हा दरश करत सत पावे......

प्रेम रास में पाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी,
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।
डफ ढोल बजाऊंगी सखी री में तो फ़ाग मनाऊंगी ।।

RADHE KHELAN PADHARO राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

 होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
श्यामा खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

श्री वृन्दावन में श्री मधुवन में
राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

आई बसंत बहार करे कोयल पुकार
पड़े रंगन की फुहार श्री वृन्दावन में

कर के सोलह श्रृंगार आई मिल के ब्रज नार
गावैं होरी की धमार श्री वृन्दावन में

लियें हाथन गुलाल मारी पिचकारी की धार
रंग सों रंग दिए नंदकुमार श्री वृन्दावन में

राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में
होरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में

बोलिये मान सरोवर वारी की जय
श्री अलबेली सरकार की जय
श्री राधावल्लभ लाल की जय
जय जय श्री राधे ! श्री हरिवंश !!

FAG KHELAN BARSANE AAYE HE फाग खेलन बरसाने आये हैं

 फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर
घेर लई सब गली रंगीली
छाय रही छबि छटा छबीली
जिन ढोल मृदंग बजाये हैं
बंसी की घनघोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

जुर मिल के सब सखियाँ आई
उमड घटा अंबर में छाई
जिन अबीर गुलाल उडाये हैं
मारत भर भर झोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

ले रहे चोट ग्वाल ढालन पे
केसर कीच मले गालन पे
जिन हरियल बांस मंगाये हैं
चलन लगे चहुँ ओर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

भई अबीर घोर अंधियारी,
दीखत नही कोऊ नर और नारी
जिन राधे सेन चलाये हैं
पकडे माखन चोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

जो लाला घर जानो चाहो
तो होरी को फगुवा लाओ
जिन श्याम सखा बुलाए हैं
बांटत भर भर झोर।
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर

राधे जू के हा हा खाओ
सब सखियन के घर पहुँचाओ
जिन घासीराम पद गाए हैं
लगी श्याम संग डोर
फाग खेलन बरसाने आये हैं
नटवर नंद किशोर