RAM KO MANG LE MERE PYARE राम को मांग ले मेरे प्यारे

 राम को मांग ले मेरे प्यारे,

उमर भर को सहारा मिलेगा,
राम को माँग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा,
सिर्फ इनकी शरण ही में तुझको,
सिर्फ इनकी शरण में ही सबको,
जिंदगी भर गुज़ारा मिलेगा,
राम को मांग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा।

कितना दो हाथों से ले सकेगा,
देने वाले की है लाख बाँहें,
इनका दामन पकड़ कर तो देखो,
(इसकी बाँह पकड़ कर तो देखों)
ख़ुशनुमा सा नज़ारा मिलेगा,
राम को मांग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा।
(राम को माँग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा। )

खुद को तनहा समझता है तू,
जर्रे जर्रे में है ये समाया,
(कण कण में वह समाया है)
दुख में आवाज देकर तो देखों,
दिल से आवाज देकर तो देखो,
कौशल्या का दुलारा मिलेगा,
राम को मांग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा।
(राम को माँग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा। )

रुप नैनों में इनका बसा लो,
नाम लेते रहो चलते फिरते,
चाहे तूफां हो या भँवर हो,
हर सफर में किनारा मिलेगा
राम को मांग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा।

राम को मांग ले मेरे प्यारे,
उमर भर को सहारा मिलेगा,
राम को माँग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा,
सिर्फ इनकी शरण ही में तुझको,
सिर्फ इनकी शरण में ही सबको,
जिंदगी भर गुज़ारा मिलेगा,
राम को मांग ले मेरे प्यारे,
उम्र भर को सहारा मिलेगा।

हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत, SHRI RAM KI BADOLAT

 हम सांस ले रहे है इस जान की बदौलत,

और जान जिस्म में है श्री राम की बदौलत


श्री राम नाम जप के लंका से जीत आए,

हनुमान सिद्धि पा गए हरि नाम की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं....


कुछ पुण्य हो रहा है जो सूरज निकल रहा है,

धरती थमी है सदियों से इंसान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


हमें  गर्व हो रहा है विज्ञान की बदौलत,

विज्ञान का वजूद है भगवान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


मेरे लिए अतिथि भगवान के बराबर,

सर करते है न्यौछावर मेहमान के बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...


लब पे हंसी नहीं तो जीना भी है क्या जीना,

पहचान है जहाँ में मुस्कान की बदौलत,

हम सांस ले रहे हैं...

SHIV SHAMBHU SA NIRALA KOI DEVTA शिव शम्भू सा निराला

 शिव शंभू सा निराला, कोई देवता नहीं है 

जैसा भी है डमरू वाला, कोई देवता नहीं है

सिर पर बसी है गंगा माथे पर चंद्रमा है 

नंदी की है सवारी अर्धांगिनी उमा है

 गले सर्प की है माला, कोई देवता नही है

 शिव शम्भू सा निराला कोई देवता नही है

अमृत की कामना से सब मथ रहे थे सागर 

निकला है जिससे विष जो वो गए हराहर 

वो जहर को पीने वाला कोई देवता नहीं है 

शिव शंभू से निराला कोई देवता नहीं है

आशा हुई निराशा जाए तो किसी के द्वारे

तुझे छोड़कर महेश्वर अब किसको हम पुकारे

 सोना है.....महक वाला कोई देवता नहीं है 

शिव शंभू से निराला कोई देवता नहीं है


mohabbat se mohabbat ka मोहब्बत से मोहब्बत का तकाजा क्यों किया तुमने

 हमसे वादा तो वफाओं का किया जाता है
वक्त पड़ने पर मुंह फेर लिया जाता है
तेरी महफिल का अंदाज ही अलग है साकी
यारा मुंह देख के पैमाना दिया जाता है
रूहें यूँ तन के लिबासों में बसर करती हैं
चिट्टियां जैसे लिफाफे में बसर करती है
 कल तेरी याद  ने हीं बताया मुझको
तेरी नींदे मेरे ख्वाबों में बसर करती है
मोहब्बत से मोहब्बत का तकाजा क्यों किया तुमने
झुकी नज़रों से मिलने का इशारा क्यों किया तुमने
मेरा दिल तो नहीं टूटा मेरे जज्बात टूटे हैं
नआना था नहीं आते ये वादा क्यों किया तुमने
मेरी मंजिल मोहब्बत है तुम्हारी भूख है दुनिया
मोहब्बत कर नहीं सकते
तमाशा क्यों किया तुमने
जो तुमने हाथ पकड़ा था तो
कुछ दूर भी चलते
सफर आसान हो जाता
किनारा क्यों किया तुमने
जो मां का दिल दुखाते हैं
उन्हीं से पूछता हूं मैं
ये जन्नत छोड़ कर दोजख का
 सौदा क्यों किया करो

तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी, TUMNE LAKHON KI KISMAT

 


तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी,
अब सँवरने की बारी हमारी,
तेरी चौखट पे जो भी झुका है,
उसको दुनियाँ ने सर पे रखा है,
तेरे रुतबे का क्या क्या सबब दे,
इतनी ताकत नहीं है हमारी,
तुमने लाखो की किस्मत सँवारी,
अब संवरने की बारी हमारी,

आस तेरी भरोसा तुम्ही पर है श्याम,
तू ही मोहन कन्हैयाँ तू ही तो है राम,
दर पे आए बेगाने दीवाने बड़े,
भर दो झोली खड़े है भगत ये तेरे,
जब तलक तू सँवारे ना बिगड़ी,
तेरे दर से ना जाए सवाली,
तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी,
अब सँवरने की बारी हमारी,

हम सुधरना भी चाहें कहो क्या करें,
तेरी मोह माया से बौल कितना लड़े,
हम है नर तेरे जैसे नारायण नहीं,
तुम अगर साथ दो होगी तेरी कहीं,
रजा तेरी में हम तो है राजी,
श्याम करना ना हमसे नाराज़ी,
तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी,
अब सँवरने की बारी हमारी,

तू जो चाहें तो बहरा भी सुनने लगे,
लूला लंगड़ा पहाड़ों पे चढने लगे,
जिंदगी मौत सब कुछ तेरे हाथ है,
तुम अगर साथ हो तो फिर क्या बात है,
तेरे रहमों करम पे पड़े हैं,
जाने कब होगी रहमत तुम्हारी,
तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी,
अब सँवरने की बारी हमारी,

तुम हो दानी तो हम है भिखारी तेरे,
तुम हो ठाकुर तो हम है पुजारी तेरे,
जया भक्तों से क्यों इतना कतराते हो,
ऐसा क्या माँगा देने में घबराते हो,
ख़ुदगर्जों ने अर्जी सुना दी,
अब कृपा की है मर्जी तुम्हारी,
तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी,
अब सँवरने की बारी हमारी,
तुमने लाख़ों की क़िस्मत सँवारी,
अब सँवरने की बारी हमारी,
तेरी चौखट पे जो भी झुका है,
उसको दुनियाँ ने सर पे रखा है,
तेरे रुतबे का क्या क्या सबब दे,
इतनी ताकत नहीं है हमारी,
तुमने लाखो की किस्मत सँवारी,
अब संवरने की बारी हमारी,

mati ka khilo na mati me mil माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा

 

मान मेरा कहना, नहीं तो पछतायेगा।
माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा

मात पिता तेरा,कुटुंब कबीला।

विपदा पड़े पर,कोई ना किसी का।

एक दिन हंसा,अकेला उड़ जायेगा।

मिट्टी का खिलौना, मिट्टी में मिल जायेगा।
                                                                    मान मेरा.......

बेटा बेटा क्या करता है।बेटा तेरा एक दिन,
पडोसी बन जायेगा।

माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा
                                                                  मान मेरा........

बेटी बेटी क्या करता है। बेटी तेरी एक दिन,
जवाई ले जायेगा।

माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा
                                                            मान मेरा.........

पडोसी पडोसी क्या करता है। पडोसी तो एक दिन,
जला कर चला जायेगा।
माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा
                                                   मान मेरा..........

धन दौलत तेरे, कोठी रे बंगले।
इन से ममता,छोड़ दे पगले।
सब कुछ तेरा,यही रह जायेगा।
माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा
                                                        मान मेरा...........

मनुस्ये जनम तूने, पाया रे बन्दे।
करम ना कर तू ,जग में गंदे।
जैसा बीज बोया तू ,वैसा फल पायेगा।
माटी का खिलौना माटी में मिल जाएगा
                                                मान मेरा...........

RAM KO DEKH KAR KE JANAK राम को देख कर के जनक नंदिनी (तेरा दिल मेरे पास रहने दे)

 राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग़ में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी ॥

यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग,
ले धनुष दानवो को लगे काटने ।
एक ही बाण में ताड़का राक्षसी,
गिर जमी पर पड़ी की पड़ी रह गयी ॥

राम को मन के मंदिर में अस्थान दे
कर लगी सोचने मन में यह जानकी ।
तोड़ पाएंगे कैसे यह धनुष कुंवर,
मन में चिंता बड़ी की बड़ी रह गयी ॥

विश्व के सारे राजा जनकपुर में जब,
शिव धनुष तोड़ पाने में असफल हुए ।
तब श्री राम ने तोडा को दंड को,
सब की आँखे बड़ी की बड़ी रह गयी ॥

तीन दिन तक तपस्या की रघुवीर ने,
सिंधु जाने का रास्ता न उनको दिया ।
ले धनुष राम जी ने की जब गर्जना,
उसकी लहरे रुकी की रह गयी ॥