बाबा मेरा काम करोगे बोलो क्या लोगे,
सिर पर हाथ दरो गये बोलो क्या लोगे,
छोटी सी है नाव मेरी बाबा जी इसको पार करो गये,
बोलो क्या लोगे,
जीवन चार दिन का है तुम्हारा साथ क्या मंग्ये
बड़ी छोटी सी जिंदगानी तुम्हारा हाथ क्या मांगे
लम्बी उम्र जो दोगे बोलो क्या लोगे,
सिर पर हाथ दरो गये बोलो क्या लोगे
मेरी नैया पुराणी है मुझे उस पार जाना है,
बड़ा कमजोर हु बाबा तुम्हे माजी बनाना है,
सबको पार करो गये बोलो क्या लोगे,
बाबा मेरा काम करोगे....
हजारो गम छुपये है लाखो बार रोये है
मगर अफ़सोस बनवारी मेरे सरकार सोये है
दिल की बात सुनो गये बोलो क्या लोगे
बाबा मेरा काम करोगे......
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Kanha mera kam karoge kya loge बाबा मेरा काम करोगे बोलो क्या लोगे, baba mera kam kroge bolo kya loge
गजानन पधारो आसन सम्हारो-Gajanan Padharo Aasan Samharo
गजानन पधारो आसन संभालो
करूं वंदना मेरी और निहारो.....
गजानन पधारो आसन संभालो....2
रिद्धि और सिद्धि दाता दासी तुम्हारी....
सदा सिंघवाहिनी शक्ति माता तुम्हारी ......
नीलकंठ गंगाधर जग को सहारो....
गजानन पधारो आसन सम्हारो....
अंधों को आँख देते कोढ़िन को काया...
स्वामी गणों के बन के गणपति कहाया.....
लडुअन के भोग दाता लगे तुमको प्यारा....
गजानंद पधारो आसन संभालो.....
विघ्नों को विघ्नों को हरने वाले मंगल कराओ....
भक्ति से स्वामी अपने दया बरसाओ.....
भटकी हुई नैया तुम पार लगाओ....
गजानन पधारो आसन संभालो
करू वंदना मेरी ओर निहारो
गजानन पधारो आसन सम्हारो
देर न हो जाये कहीं देर न हो जाये Der n ho jaye ahi
सभा में द्रोपती, रो रो के, पुकारे आओ
कहाँ छुपे हो प्रभु, नंद दुलारे आओ
लाज अबला की, लूटी जा रही है, मनमोहन
भक्त वत्तस्ल प्रभु, निर्बल के, सहारे आओ
कब आओगे ॥॥, लाज मेरी लूट जाएगी क्या, तब आओगे
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
आ जा रे,,, मोहन लाज न मेरी लूट जाए,
देर क्यों लगाए श्याम, देर क्यों लगाए ll
सुना है लाज तुमने, कितनो की बचाई है ll
और बिगड़ी भी सुना, लाखों की बनाई है,
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
आ जा रे,,, लाज न मेरी लूट जाए,
देर क्यों लगाए श्याम, देर क्यों लगाए ll
जब भक्त की तेरे लाज गई,
तब क्या होगा फिर आने से ll
जब खेती सूख गई तो,
क्या होगा अमृत बरसाने से,
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
आ जा रे,,, लाज न मेरी लूट जाए,
देर क्यों लगाए श्याम, देर क्यों लगाए ll
अब तो अपने सभी, हो गए पराए,
बैठे सब हैं यहां, सर को झुकाए ll
दुशाशन खींचे मेरी, साड़ी सभा में ll
इज़्ज़त मेरी, बचे न बचाए ll
सारी दुनियां के आगे,,,बदनाम मोहन,,,,,ll
हो जाओगे,,मैं जान दे दूँगी जो,,, तुम नहीं आओगे
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
आ जा रे,,, लाज न मेरी लूट जाए,
देर क्यों लगाए श्याम, देर क्यों लगाए ll
अब तो होता नहीं, सब्र आ जा,
लेने द्रोपती की, खबर आ जा,
शर्मा बेचैन है, दर्शन के लिए,
देर से ही सही, मगर आ जा,
" दुःख की घड़ी है,,, आ जा,
विपदा पड़ी है,,, आ जा,
नैया भंवर में मेरी,
आकर पड़ी है आ जा श्याम " ll
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
आ जा रे,,, मोहन लाज न मेरी लूट जाए,
देर क्यों लगाए श्याम, देर क्यों लगाए ll
गाऊँऊ की कसम है " तुझे, ग्वालों की कसम है "
ओ राधा की कसम है " तुझे, रुक्मण की कसम है "
आ जा,,, कि तेरे, भक्तों की कसम है
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
आ जा रे,,, लाज न मेरी लूट जाए,
देर न हो जाए कहीं, देर न हो जाए ll
देर क्यों लगाए श्याम, देर क्यों लगाए ll
आ जा ओ मोहन तेरी, बहना पुकारती है ll
बहना पुकारती है, बहना पुकारती है,
लाज बचा जा तेरी, बहना पुकारती है ll
आ जा ओ मोहन तेरी, बहना पुकारती है ll
सुन के पुकार, श्याम आए हैं,
लाज बहना की, वो बचाए हैं
थक गया दुष्ट, दुशाशन तो भी,
ढेर साड़ी के, वो लगाए हैं
सुन के पुकार, श्याम आऐ हैं
लाज बहना की, वो बचाए हैं,,,,,,,
बूटी हरि के नाम की buti hari ke nam ki
बूटी हरि के नाम की सबको पिलाके पी ।
चितवन को चित के चोर से चित को चुराके पी ॥
अंतरा
पीने की तमन्ना है तो खुद मिटाके पी ।
ब्रम्हा ने चारो वेदों की पुस्तक बनाके पी ॥ बूटी ॥
शंकर ने अपने शीश पे गंगा चढ़ाके पी।
ठोकर से श्री राम ने पत्थर जगाके पी ।
बजरंग बली ने रावण की लंका जलाके पी ॥ बूटी ॥
पृथ्वी का भार शेष के सिर पर उठाके पी ।
बालि ने चोट बाण की सीने पर खाके पी ॥ बूटी ॥
अर्जुन ने ज्ञान गीता का अमृत बनाके पी ।
श्री जी बाबा ने भक्तों को भागवत सुनाके पी ॥ बूटी ॥
संतो ने ज्ञान सागर को गागर बनाके पी ।
भक्तों ने गुरु चरण रज मस्तक लगाके पी ॥ बूटी ॥
यह हर्ष हवस की मंडी है
कोई आए कोई जाए ये तमाशा क्या है
मैं तो समझा नहीं यह महफिल ए दुनिया क्या है
यह हर्ष हवस की मंडी है
अनमोल रतन बिक जाते हैं
कागज के कड़क के नोटों पर
दुनिया के चमन बिक जाते हैं
ये हर्ष हवस की मंडी है
अनमोल रतन बिक जाते हैं
हर चीज यहां पर बिकती है
हर चीज का सौदा होता है
इज्जत भी बेची जाती है
ईमान खरीदे जाते हैं
यह हरष हबस की मंडी है
अनमोल रतन बिक जाते हैं
बिकते हैं मुल्लों के सजदे
पंडित के भजन बिक जाते हैं
बिकती है दुल्हन की रातें
मुर्दों के कफन बिक जाते हैं
यह हरष हवस की मंडी है
अनमोल रतन बिक जाते हैं
यह हर्ष हवस की मंडी है
अनमोल रतन बिक जाते हैं
कागज के कड़क के नोटों पर
दुनिया के चमन बिक जाते हैं
ये इश्क़ हवस की मंडी है , अनमोल रतन बिक जाते है ,
मुल्लाओ के सजदे बिकते है ,पंडित के भजन बिक जाते है
मंदिर भी यहाँ पर बिकता है , मस्जिद भी ख़रीदी जाती है चाँदी के खनकते सिक्कों पर ,शायर के शकुन बिक जाते है
बिकती है सुहाग की रात यहाँ , दुल्हन के चलन बिक जाते है
दुनिया के चलन का ज़िक्र ही क्या , मुर्दों के कफ़न बिक जाते है।
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आरती अतिपावन पुराण की | धर्म - भक्ति - विज्ञान - खान की || टेक || महापुराण भागवत निर्मल | शुक-मुख-विगलित निगम-कल्ह-फल || परम...
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नन्द के द्वार मची होली सूरदास जी की दृष्टि में कुँवर कन्हैया की होली कैसी है ? बाबा नन्द के द्वार पर होली की धूम है। एक ओर पाँच वर्ष के...