तुम्हे क्या बताऊं ए राजदान
तेरे सामने मेरा हाल है
तेरी एक निगाह की बात है
मेरी जिंदगी का सवाल है
तुमको पाया है जमाने से किनारा करके
तुम बदल देते हो किस्मत को इशारा करके
अपनी निस्बत पे कोई रंग न चढ़ने देंगे
फूल तो फूल है पत्ता न उखड़ने देंगे
वो मेरा दामने हस्ती न उजड़ने देंगे
मेरे बाबा मेरा कुछ ना बिगड़ने देंगे
ऐसा नवाजा आपने बाबा की कसम
सब मेरे मुकद्दर की तरफ देख रहे हैं
मैं तो यहां सरकार की महफिल में मगन हूं
और सरकार मेरे घर की तरफ देख रहे हैं
तुमको पाया है जमाने से किनारा करके
तुम बदल देते हो किस्मत को इशारा करके
माल ओ दौलत की तमन्ना ना मुझे शोहरत की
कुछ भी दे दे तेरी चौखट का उतारा करके
लाज रख लो मेरी मैं आपका कहलाता हूं
आपके भक्तों में सरकार गिना जाता हूं
जब कभी मंजिलें तन्हाई से घबराता हूं में तो बाबा तेरे दर पे चला आता हूं
उनके टुकड़ों पर पलते हैं हजारों लाखों
मुझको भी फक्र है मैं आपका दिया खाता हूं
अरे जमाने से कह कर के सुकू पाता हूं पकड़ दामन मैं तेरा
मैं तेरा पागल कहलाता हूं
छानकर खाक जमाने की यही सोचा है ...मेरे बाबा
उम्र काटूँ तेरे टुकड़ों पर गुजारा करके
क्यों किसी गैर के दर पर मैं झुकाऊं सर को
मुझको तो आप ने भेजा है पहले से अपना करके
यूं तो क्या क्या नजर नहीं आता
कोई तुमसा नजर नहीं आता
झोलियां सबकी भर दी जाती हैं
देने वाला नजर नहीं आता
गम सभी राहतों तस्कीन में ढल जाते हैं
जब करम होता है हालात बदल जाते हैं
रख ही लेते हैं भरम उनके करम के सदके
जब किसी बात पर दीवाने मचल जाते हैं
ना तो हंसने में मजा है ना मज़ा रोने में
छुप गए तुम कहां ये हाल हमारा करके
मैंने पाई है "शकील" सारे जमाने की खुशी
इनकी चौखट की गुलामी को गवारा करके
बे सहारों को दिया तूने सहारा दाता
बस तेरी एक नजर पर हो गुजारा दाता
नाम लेकर तेरा जिस ने पुकारा दाता
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