गज़ल
शुष्क जीवन हुआ है सजल आपसे
भाग्य मेरा हुआ है प्रबल आपसे
अब तो जो कुछ लिखूँ कथ्य बस आप हैं
मेरे मुक्तक,रुबाई,ग़ज़ल आपसे
आपकी दो भुजाएँ किनारे मेरे
और मै हूँ नदी इक धवल आपसे
राशिफल क्यों पढूँ अपना अख़बार में
आज है आपसे और कल आपसे
आपको जब निहारा तो खिल खिल गयी
नैन मेरे हुए हैं कमल आपसे
एक से थे दिवस एक सी थी निशा
किन्तु अब हर घड़ी है नवल आपसे
मेरी मेहंदी में हों ख़ुशबुयें आपकी
माँगती हूँ वचन ये अटल आपसे
~सोनरूपा
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