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SAKHI RI BANKE BIHARI SE - सखी री बांके बिहारी से
सखी री बांके बिहारी से
सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।
kabhi apne man ke bharose na rahna कभी अपने मन के भरोसे न रहना
कभी अपने मन के भरोसे न रहना
ये तन कीमती है मगर है विनाशी, कभी अगले क्षण के भरोसे न रहना।
निकल जाएगी छोड़ काया को पल में, सदा श्वास धन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर
एक क्षण में योगी, एक क्षण में भोगी, पलभर में ग्यानी पल में वियोगी।
बदलता जो क्षण -क्षण में है वृत्ति अपनी, कभी अपने मन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है मगर
हम सोचते काम दुनियाँ के कर लें, धन-धाम अर्जित कर नाम कर लें।
फिर एक दिन बन के साधू रहेंगे, उस एक दिन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर
तुझको जो, मेरा- मेरा कहेंगे,जरूरी नहीं वह भी, तेरे रहेंगे....
मतलब से, मिलते है, दुनियाँ के, साथी, सदा इस मिलन के भरोसे न रहना.ये, तन कीमती है, मगर
"राजेश" अर्जित गुरु ज्ञान कर लो, या प्रेम से राम गुणगान कर लो।
वरना श्री राम नाम रटो नित नियम से, किसी अन्य गुण के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर
EK VIDHATA HI NIRDOSH RAHA - एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
एक विधाता ही बस निर्दोष रहा
तर्ज -दिल का खिलौना हा टूट गया
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ।
वेद शास्त्र का महापंडित ज्ञानी,
रावण था पर था अभिमानी,
शिव का भक्त भी सिया चुरा कर,
कर बैठा ऐसी नादानी,
राम से हरदम रोष रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
युधिष्टर धर्मपुत्र बलकारी,
उसमें ऐब जुए का भारी,
भरी सभा में द्रोपदी की भी,
चीखें सुनकर धर्म पुजारी,
बेबस और खामोश रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
विश्वामित्र ने तब की कमाई,
मेनका अप्सरा पर थी लुटाई,
दुर्वासा थे महा ऋषि पर,
उनमें भी थी एक बुराई,
हरदम क्रोध व जोश रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
सारा जग ही मृगतृष्णा है,
कौन यहां पर दोष बिना है,
नत्था सिंह में दोष हजारों,
जिसने सब का दोष गिना है,
फिर यह कहा निर्दोष रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
मैंने भी अवगुण समझाए
में भी कहाँ निर्दोष रहा
WO CHANDNI SA BADAN - वो चांदनी सा बदन ख़ुशबुओं
वो चांदनी सा बदन
वो चांदनी सा बदन ,ख़ुशबुओं का साया है
KOI LASHKAR HAI KI BADHTE HUYE GAM AA TE HAI - कोई लश्कर है कि बढ़ते हुए ग़म आते हैं
कोई लश्कर है कि बढ़ते हुए ग़म आते हैं
कोई लश्कर है कि बढ़ते हुए ग़म आते हैं
YE KASAK DIL KI DIL ME JAMI RAH GAI ये कसक दिल की दिल
ये कसक दिल की दिल
ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गई
TAKDEER BADAL JATI HAI तकदीर बदल जाती है
तकदीर बदल जाती है बरसाना आने से,
बरसाना आने से राधा गुण गाने से,
बिन कारन करुना बरसावत प्रेम सो प्यारी दवार भुलावत,
जन्मो की प्यास जाती है दर्शन मिल जाने से,
बरसाना आने से राधा गुण गाने से,
तकदीर बदल जाती है
मांगत भीख कृपा की राधे,
तुम करुनामई प्रेम अगाधे ,
मुझे ब्रिज की याद आती है दरबार में आने से.
बरसाना आने से राधा गुण गाने से,
तकदीर बदल जाती है
जप ताप साधन, एक ना जानू,
ना कछु पूजन की विधि जानू,
प्यारे की याद आती है राधा गुण गाने से,
बरसाना आने से राधा गुण गाने से,
तकदीर बदल जाती है
तकदीर बदल जाती है वृद्धावन आने से,
वृन्दावन आने से वृन्दावन आने से,
तकदीर बदल जाती है वृद्धावन आने से,
वृन्दावन में बांके बिहारी राधा वल्लभ की छवि प्यारी,
दर्शन पाने से तकदीर बदल जाती है वृद्धावन आने से,
घर घर तुलसी ठाकुर सेवा माखन मिश्री दूध का लेवा,
भोग लगाने से तकदीर बदल जाती है वृद्धावन आने से,
वृन्दावन में यमुना मइयां,मधुर मधुर कदमन की छइयां,
यमुना नहाने से यमुना नहाने से,
तकदीर बदल जाती है वृद्धावन आने से,
आपसे.......
गज़ल
शुष्क जीवन हुआ है सजल आपसे
भाग्य मेरा हुआ है प्रबल आपसे
अब तो जो कुछ लिखूँ कथ्य बस आप हैं
मेरे मुक्तक,रुबाई,ग़ज़ल आपसे
आपकी दो भुजाएँ किनारे मेरे
और मै हूँ नदी इक धवल आपसे
राशिफल क्यों पढूँ अपना अख़बार में
आज है आपसे और कल आपसे
आपको जब निहारा तो खिल खिल गयी
नैन मेरे हुए हैं कमल आपसे
एक से थे दिवस एक सी थी निशा
किन्तु अब हर घड़ी है नवल आपसे
मेरी मेहंदी में हों ख़ुशबुयें आपकी
माँगती हूँ वचन ये अटल आपसे
~सोनरूपा
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आरती अतिपावन पुराण की | धर्म - भक्ति - विज्ञान - खान की || टेक || महापुराण भागवत निर्मल | शुक-मुख-विगलित निगम-कल्ह-फल || परम...
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होरी खेले तो आ जइयो बरसाने रसिया होरी खेले तो। कोरे कोरे कलस मँगाए केसरिया रंग इनमें घुलाए, रंग रेले तो, होरी खेले तो, होरी...