अंदाज में - धन्वंतरि दास जी महाराज के
किसी से उनकी मंजिल का पता तर्ज
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जाएगा ||
कभी दुनियाँ से डरते थे छुप छुप याद करते थे
लो अब परदा उठा बैठे जो होगा देखा जाएगा
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जायेगा ||
कभी यह ख़याल था दुनियाँ हमें बदनाम कर देगी
शर्म अब बेच खा बैठे जो होगा देखा जाएगा
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जायेगा ||
दीवाने बन गए तेरे तो फिर दुनियाँ से क्या मतलब
तेरी गलियों में आ बैठे जो होगा देखा जाएगा
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जायेगा
लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा
तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जायेगा ||
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