मैं तो रटू श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में,

 मैं तो रटू श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में,

रहू खोई खोई आठो याम, बिरज की गलियों में ।।

इत उत डोलू कही कही राधा, मिट जाए जीवन की बाधा, 

कहीं मिल जाए घनश्याम, बिरज की गलियों में,

मैं तो हूँ श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में ।।

उलझी उलझी ब्रज की कुंजन में, सेवा कुंज और निधि वन में,

जीवन की हो जाए शाम, बिरज की गलियों में,

मैं तो हूँ श्री राधा राधा नाम,

बिरज की गलियन में ।।

अब तो आस यही जीवन की,

रज मिल जाए मोहे श्री चरणन की, जब निकले तन सो प्राण, बिरज की गलियों में,

मैं तो हूँ श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में ।।

मैं तो रटू श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में, रहू खोई खोई आठो याम, बिरज की गलियों में ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें