मैं तो रटू श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में,

 मैं तो रटू श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में,

रहू खोई खोई आठो याम, बिरज की गलियों में ।।

इत उत डोलू कही कही राधा, मिट जाए जीवन की बाधा, 

कहीं मिल जाए घनश्याम, बिरज की गलियों में,

मैं तो हूँ श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में ।।

उलझी उलझी ब्रज की कुंजन में, सेवा कुंज और निधि वन में,

जीवन की हो जाए शाम, बिरज की गलियों में,

मैं तो हूँ श्री राधा राधा नाम,

बिरज की गलियन में ।।

अब तो आस यही जीवन की,

रज मिल जाए मोहे श्री चरणन की, जब निकले तन सो प्राण, बिरज की गलियों में,

मैं तो हूँ श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में ।।

मैं तो रटू श्री राधा राधा नाम, बिरज की गलियन में, रहू खोई खोई आठो याम, बिरज की गलियों में ।।

एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता

मेरे बाँके बिहारी मोपे कृपा करो ..........
एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता

करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता 

तुम हो अधम जनों का उद्धार करने वाले

तुम हो अधम जनों का उद्धार करने वाले
उद्धार करने वाले
मैं हूँ अधम जनों का सरदार मेरे दाता

एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता

करुणा निधान करुणा, करनी पड़ेगी तुमको
करुणा निधान करुणा, करनी पड़ेगी तुमको
करनी पड़ेगी तुमको
तब ही तो कहते तुमको, करतार मेरे दाता

एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता
मेरे बाँके बिहारी की ऊंची अटरिया 
मोसे उतरो  चढ़ो ना  जाए 
कोई कहदो मेरे श्याम से
 मेरी बहियाँ पकड़ ले जाए 

अच्छा हूँ या बुरा हूँ, प्रभु दास हूँ तुम्हारा
अच्छा हूँ या बुरा हूँ, प्रभु दास हूँ तुम्हारा
प्रभु दास हूँ तुम्हारा
जीवन था मेरे तुम पर, सब भार तुमपर दाता

उठाव - मेरे बाँके बिहारी मोपे कृपा करो ..........

एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता

एक भक्त की है विनती, भक्तों में कर लो गिनती
एक भक्त की है विनती, भक्तों में कर लो गिनती
भक्तों में कर लो गिनती
कर दो सभी पे इतना, उपकार मेरे दाता

एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
एक अरज मेरी सुन लो, सरकार मेरे दाता
करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता
करदो अधम की नैया, भव पार मेरे दाता

उठाव - मेरे बाँके बिहारी मोपे कृपा करो ..........

NA JANE KYON BAHUT ROYA TUMHARI YAAD ME MOHAN न जाने क्यों बहुत रोया तुम्हारी याद में मोहन |

न जाने क्यों बहुत रोया तुम्हारी याद में मोहन |

जितना दिया सरकार ने मुझको, उतनी मेरी औकात नही

ये तो करम उनका वरना मुझमे तो कोई बात नही


प्रीतम ये मत जानियो, तुम बिछड़े मोहे चैन !!

जैसे जल बिन माछरी तड़पत हूं दिन रैन !!


तेरी खातिर कन्हैया मैं जोगन बनी, खाख तन पे लगी कि लगी रह गई

पीछे मुड़कर तो तुमने देखा ही नही, मेरी पूजा में कोई कमी रह गई


न जाने क्यों बहुत रोया तुम्हारी याद में मोहन |

कभी न नींद भर सोया,तुम्हारी याद में मोहन|| 


अगर तुम ज्ञान से मिलते,तो ज्ञानी बहुत हैं जग में |

मिले उसको जो जग खोया,तुम्हारी याद में मोहन ||


सबर की हो गई हद,अब सहा जाता नही हमसे

अश्रु से तन बदन धोया, तुम्हारी याद में मोहन


न तुम पूजा से मिल पाते, न हम कोई पुण्य कर पाते |

मैं गठरी पाप की ढोया तुम्हारी याद में मोहन||


ज़माना रूठ जाए ,पर न रूठो तुम मेरे दाता |

पुराना जन्म जन्मो का कन्हैया आपसे नाता

मैं ठोकर दुनिया की खाया तुम्हारी याद में मोहन ||


दया करदो मेरे प्यारे तुम्ही दाता कहाते  हो

नैनो में नीर है मेरे, मुझे तुम क्यों रुलाते हो

तड़प अब सह नही पाया, तुम्हारी याद में मोहन


न जाने क्यों बहुत रोया तुम्हारी याद में मोहन |

कभी न नींद भर सोया,तुम्हारी याद में मोहन|| 

 तर्ज

*किसी से उनकी मंज़िल का*

* लगन तुमसे लगा बैठे *

बनो इतने न निर्मोही, दया सागर कहाते हो

सभी कष्ट हरते हो, हमे फ़िर क्यों सताते हो


जो दोगे दर्श निज जन को, तुम्हारा हर्ज क्या होगा

न आते जो बुलाने से,

मुझे इतना रुलाते हो


*बनो इतने न निर्मोही.....*

इसी चिंता में रहता हूं,

तुम्हे किस तरह पाऊँ।।

घनश्याम तुम्हारे मिलने को

जीवन की बाजी लगा चुके

तुम मानो या न हमे मानो

हम तुमको अपना बना चुके


यदि दुर्गति प्रभु मेरी होगी

अपकिरत भी तेरी होगी

क्योकि....

हम नन्द सुवन गोपाल के हैं

यह बात जगत को बता चुके

इसी चिंता में रहता हूँ

तुम्हें मैं किस तरह पाउ


पुकारूँ तुमको, जिसे सुन दौड़े आते हो

बनो इतने निर्मोही दया सागर कहाते हो

करोगे राम के मन की ,

घड़ी वह कौन आवेगी,

करोगे राम के मन की

मिलोगे कब जनै मोहन

मुझे तुम बहुत भाते हो


*बनो इतने न निर्मोही

दया सागर कहाते हो*

करो मन चलने की तैयारी।

दोहा 

जाते नहीं है कोई 

दुनिया से दूर चलके 

आ  मिलते है  सब यही पर 

कपड़े बदल बदल के 



 करो मन चलने की तैयारी।
आये हो तो जाना होगा,
शाश्वत नियम निभाना होगा।
सूरज रोज़ किया करता है,
ढ़लने की तैयारी।


स्वप्न सभी रह गए अधूरे,
जाने कौन करेगा पूरे।
कालबली सम्पन्न कर चुका,
छलने की तैयारी।


हमसे कोई तंग न होगा,
महफ़िल होगी रंग न होगा।
गंगा के तट धू-धू करके ,
जलने की तैयारी।
करो मन चलने की तैयारी।


 मुंदरी उरझि गई राधिका की लट बीच,

ढूंढत फिरत स्याम, अपनी मुंदरिया।

ललिता ने पाय लई, मुंदरी सहेज लई,
स्याम जू को जाय दई, हीरे की मुंदरिया।
बोली इठलाय कछू भेंट तो निकारो, स्याम
बोले स्याम, चूमि लेव, मोरी या अंगुरिया।
चूमत हंसत जात, 'ललिता' कहत जात,
राम करे खोय जाय, तोरी या बंसुरिया॥