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DARBAR ME KHATU WALE KE _ दरबार में खाटू वाले के दुःख
दरबार में खाटू वाले के दुःख
तर्ज - क्या तुम्हें पता है ए गुलशन
दरबार में खाटू वाले के दुःख दर्द मिटाए जाते है,
RAM KAHNE KA MAJA JISKI - राम कहने का मजा, जिसकी जुबान पर आ गया,
राम कहने का मजा, जिसकी जुबान पर आ गया,
मुक्त जीवन हो गया, चारो पदार्थ पा गया ॥
लुटा मज़ा प्रह्लाद ने, इस राम के प्रताप से,
नरसिंह हो दर्शन दिए, त्रिलोक में यश छा गया।।
राम कहने का मजा......
जाती की थी भीलनी, उस प्रेम से सुमिरन किया,
घर आकर परमात्मा, उस हाथ के फ़ल खा गया।।
राम कहने का मजा......
कलिकाल के जो भक्त है, उनका भी रुतबा है बड़ा,
नरसिंह की हुंडी द्वारिका में, सांवरा सिक्रा गया।।
राम कहने का मजा......
क्या भक्ति निर्मल छा रही, देखकर संसार में,
अब्र के मानिंद तुलसी, दास यशवर छा गया।।
राम कहने का मजा......
UTRA SAGAR ME JO USKO MOTI MILA - उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
उतरा सागर में उसको ही मोती मिला।
खोज जिसने भी की मैं उसी को मिला।।
उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
तूने मूरत कहा मैं मुरति वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाषाण था
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
उतरा सागर में जो, उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी, मुझे पा गया
प्रेम तो प्रेम है सीधी सी बात है
प्रेम तो प्रेम है सीधी सी बात है
प्रेम कब पूछता है की क्या जात है
चाहे हिंदू हो चाहे कोई मुसलमान
मुझको रस्खान सलवार पहना गया
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोलापन भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
1. तूने मंदिर में ढूँढा मैं पाषाण था,
तूने मस्जिद में ढूँढा मैं आज़ान था।
देख भीतर हूँ तेरे तेरे पास था,
तूने देखा नहीं मैं दिखा भी नहीं।।
2. देह मिट्टी की मिट्टी में मिल जाएगी,
शान तेरी यह सारी ही घुल जाएगी।।
यूँ न अपने जीवन को तू गंवा।
तू टिकाए नहीं मन टिके भी नहीं।।
3. तूने चाहा नहीं मैं मिला भी नहीं।
तूने ढूँढा नहीं मैं दिखा भी नहीं।।
मैं वो मेहमान हूँ बिन बुलाए हुए।
जो कहीं न गया जो कभी न गया।।
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
तूने मूर्ति कहा मैं मूर्ती वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाशन था
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
ये कहना ग़लत है की उसका पता नही है
ढूँढने की हद तक कोई धुनता नही
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
प्यार प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है
प्यार प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है
प्रेम कब पूचहता है की क्या जात है
चाहे हिंदू हो चाहे कोई मुसलमान
मुझको रस्खान सलवार पहना गया
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
गोविंद गोपाल
यार की मर्ज़ी के आगे
यार का दूं भरके देख
तर्क से मिलता नही
अर्ज़ करके ही तू देख
बे इरादा मरने वेल
बा इरादा मरके देख
सारे तमाशे कर चुका
ये भी तमाशा करके देख
जिंदगी बन जाएगी
तेरे लिए आबे हयात
सब को अपना करके देखा
उनको अपना करके देखा
उनको बना के देख
यार जब तेरा है तो
सारी है तेरी कयनात
जिंदगी पे मरने वेल
जिंदगी में मरके देख
यार की मर्ज़ी के आगे
यार का दूं भरके देख
तर्क से मिलता नही
अर्ज़ करके ही तू देख
अर्ज़ करके ही तू देख
SAKHI RI BANKE BIHARI SE - सखी री बांके बिहारी से
सखी री बांके बिहारी से
सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।
बचायी थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ ॥
ना जाने क्या किया जादू यह तकती रह गयी अखियाँ ।
चमकती हाय बरछी सी कलेजे गड़ गयी आखियाँ ॥
चहू दिश रस भरी चितवन मेरी आखों में लाते हो ।
कहो कैसे कहाँ जाऊं यह पीछे पद गयी अखियाँ ॥
भले तन से निकले प्राण मगर यह छवि ना निकलेगी ।
अँधेरे मन के मंदिर में मणि सी गड़ गयी अखियाँ ॥
kabhi apne man ke bharose na rahna कभी अपने मन के भरोसे न रहना
कभी अपने मन के भरोसे न रहना
ये तन कीमती है मगर है विनाशी, कभी अगले क्षण के भरोसे न रहना।
निकल जाएगी छोड़ काया को पल में, सदा श्वास धन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर
एक क्षण में योगी, एक क्षण में भोगी, पलभर में ग्यानी पल में वियोगी।
बदलता जो क्षण -क्षण में है वृत्ति अपनी, कभी अपने मन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है मगर
हम सोचते काम दुनियाँ के कर लें, धन-धाम अर्जित कर नाम कर लें।
फिर एक दिन बन के साधू रहेंगे, उस एक दिन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर
तुझको जो, मेरा- मेरा कहेंगे,जरूरी नहीं वह भी, तेरे रहेंगे....
मतलब से, मिलते है, दुनियाँ के, साथी, सदा इस मिलन के भरोसे न रहना.ये, तन कीमती है, मगर
"राजेश" अर्जित गुरु ज्ञान कर लो, या प्रेम से राम गुणगान कर लो।
वरना श्री राम नाम रटो नित नियम से, किसी अन्य गुण के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर
EK VIDHATA HI NIRDOSH RAHA - एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
एक विधाता ही बस निर्दोष रहा
तर्ज -दिल का खिलौना हा टूट गया
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ।
वेद शास्त्र का महापंडित ज्ञानी,
रावण था पर था अभिमानी,
शिव का भक्त भी सिया चुरा कर,
कर बैठा ऐसी नादानी,
राम से हरदम रोष रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
युधिष्टर धर्मपुत्र बलकारी,
उसमें ऐब जुए का भारी,
भरी सभा में द्रोपदी की भी,
चीखें सुनकर धर्म पुजारी,
बेबस और खामोश रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
विश्वामित्र ने तब की कमाई,
मेनका अप्सरा पर थी लुटाई,
दुर्वासा थे महा ऋषि पर,
उनमें भी थी एक बुराई,
हरदम क्रोध व जोश रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
सारा जग ही मृगतृष्णा है,
कौन यहां पर दोष बिना है,
नत्था सिंह में दोष हजारों,
जिसने सब का दोष गिना है,
फिर यह कहा निर्दोष रहा ।
सब में कोई ना कोई दोष रहा ।
एक विधाता बस निर्दोष रहा ॥
मैंने भी अवगुण समझाए
में भी कहाँ निर्दोष रहा
WO CHANDNI SA BADAN - वो चांदनी सा बदन ख़ुशबुओं
वो चांदनी सा बदन
वो चांदनी सा बदन ,ख़ुशबुओं का साया है
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आरती अतिपावन पुराण की | धर्म - भक्ति - विज्ञान - खान की || टेक || महापुराण भागवत निर्मल | शुक-मुख-विगलित निगम-कल्ह-फल || परम...
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होरी खेले तो आ जइयो बरसाने रसिया होरी खेले तो। कोरे कोरे कलस मँगाए केसरिया रंग इनमें घुलाए, रंग रेले तो, होरी खेले तो, होरी...