Agya me duniyadari sari baba chhod ke

 आ गया मैं दुनियांदारी,

सारी बाबा छोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै।

हार गया मैं इस दुनियां से,
अब तो मुझको थाम ले,
कहा मुझे किसी श्याम भगत ने,
बाबा का तू नाम ले,
अपने पराए छोड़ गए सब,
दिल मेरा ये तोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै।

तीन बाण के कलाधारी,
कला मुझे भी दिखा दे तू,
जैसे दर्शन सबको देता,
वैसे मुझे करा दे तू,
अब मैं खड़ा हूँ द्वार तुम्हारे,
दोनों हाथ जोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै।

मैं ना जानूँ पूजा अर्चन,
तुझको अपना मान लिया,
तू ही दौलत तू ही शौहरत,
इतना बाबा जान लिया,
अपना बना ले इस मित्तल को,
दिल को दिल से जोड़ के,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै।

मुझको है विश्वास मुझे तू,
इक दिन बाबा तारेगा,
तुझ पे भरोसा करने वाला,
जग में कभी ना हारेगा,
जिनपे किया भरोसा मैंने,
छोड़ गए वो रोड़ पे,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै।

आ गया मैं दुनियादारी,
सारी बाबा छोड़ के,
लेके आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पे,
लेने आजा खाटू वाले,
रींगस के उस मोड़ पै।

laut aao bhulakar khataye meri लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी

 

"लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी"

लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी...!
राह में दिल बिछा दूँ अगर तुम कहो...!!
ईद का चाँद निकला सजी हर गली...!
मैं भी घर को सजा दूँ अगर तुम कहो !!
लौट आओ...!!!

की जंग से मुल्क जीते गए है सदा...!
प्यार से जीत लेता है दिल आदमी...!!
ये तुम्हारी निगाहों में नफरत है जो...!
इसको चाहत बना दूँ अगर तुम कहो...!!
लौट आओ...!!!

क्या कहा कि ये अँधेरे न मिट पायेंगे...!
क्या कहा रौशनी अब न हो पायेगी...!!
देके दिल का उजाला चिरागो को मैं...!
रात को दिन बना दूँ अगर तुम कहो .!!
लौट आओ...!!!

वो जुनूँ क्या हुआ वो वफ़ा क्या हुई...!
अब तो चूड़ी भी लाने की फुर्सत नहीं...!!
किस मुहब्बत से कल तक ये कहते थे तुम...!
चाँद तारे भी ला दूँ अगर तुम कहो...!!
लौट आओ...!!!

की सब यहाँ है अपने पराये नहीं...!
और अपनों से कुछ भी छिपाते नहीं...!!
जिक्र जिसमे तुम्हारी जफ़ाओ का है...!
वो गजल भी सुना दूँ अगर तुम कहो...!!

लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी...!
राह में दिल बिछा दूँ अगर तुम कहो...!!

शबीना अदीब ... ✍️✍️

तेरी बिगड़ी बनाएगा विस्वाश जरुरी है,

 तेरा साथ निभायेगा विश्वास है,

तेरी बिगड़ी बनाएगा विश्वास जरुरी है,

जिस दिन भी तू सच्चे मन से इसका हो जाएगा ,
उस दिन से तू हर पल उसको अपने संग पायेगा,
तेरे संग संग चलेगा ये आभास जरुरी है,

होके मगन जब भी तू उसके भजनो को गायेगा,
अगर भरोसा पक्का हो तेरे सामने वो आएगा,
प्यास नैनो की बुझायेगा पर प्यास जरूरी है,

श्याम नाम की मस्ती में तू अरविन्द अब तो खो जा,
छोड़ के चिंता और फ़िकर तू गोद में इसकी सोजा,
हाथ सिर पे फिरायेगा एहसास जरुरी है,

शिवाष्ट्कम्:

 

शिवाष्ट्कम्:

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर, जय जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय सगुण अनामय, निराकार, साकार हरे ,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्रयम्बकेश्वर, जय घुश्मेस्वर, भीमेश्वर, जगतार हरे,
काशीपति, श्री विश्वनाथ जय, मंगलमय अघ-हार हरे,
नीलकण्ठ जय, भूतनाथ, मृत्युंजय, अविकार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे
जय महेश, जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,
किस मुख से हे गुणातीत प्रभु, तव महिमा अपार वर्णन हो,
जय भवकारक, तारक, हारक, पातक-दारक, शिव शम्भो,
दीन दुःखहर, सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाकर शिव शम्भो,
पार लगा दो भवसागर से, बनकर करुणाधार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे
जय मनभावन, जय अतिपावन, शोक-नशावन शिव शम्भो,
सहज वचन हर, जलज-नयन-वर, धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन, शिव शम्भो,
सहज वचन हर, जलज-नयन-वर, धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
मदन-कदन-कर पाप हरन हर-चरन मनन धन शिव शम्भो,
विवसन, विश्वरूप प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे
भोलानाथ कृपालु दयामय, औघड़दानी शिव योगी,
निमित्र मात्र में देते हैं, नवनिधि मनमानी शिव योगी,
सरल ह्रदय अतिकरुणा सागर, अकथ कहानी शिव योगी,
भक्तों पर सर्वस्व लुटा कर बने मसानी शिव योगी,
स्वयं अकिंचन, जनमन रंजन, पर शिव परम उदार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ५॥
आशुतोष इस मोहमयी निद्रा से मुझे जगा देना,
विषय-वेदना से विषयों को माया-धीश छुड़ा देना,
रूप-सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,
दिव्य-ज्ञान-भण्डार-युगल-चरणों में लगन लगा देना,
एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद संचार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे
दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,
शक्तिमान हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,
पूर्ण ब्रह्म हो, दो तुम अपने रूप का सच्चा ज्ञान प्रभो,
स्वामी हो, निज सेवक की सुन लेना करुण पुकार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे
तुम बिन, व्याकुल हूँ प्राणेश्वर जाओ भगवंत हरे,
चरण-शरण की बांह गहो, हे उमा-रमण प्रियकंत हरे,
विरह व्यथित हूँ, दीन दुःखी हूँ, दीन दयालु अनन्त हरे,
आओ तुम मेरे हो जाओ, जाओ श्रीमन्त हरे,
मेरी इस दयनीय दशा पर, कुछ तो करो विचार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे