laut aao bhulakar khataye meri लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी

 

"लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी"

लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी...!
राह में दिल बिछा दूँ अगर तुम कहो...!!
ईद का चाँद निकला सजी हर गली...!
मैं भी घर को सजा दूँ अगर तुम कहो !!
लौट आओ...!!!

की जंग से मुल्क जीते गए है सदा...!
प्यार से जीत लेता है दिल आदमी...!!
ये तुम्हारी निगाहों में नफरत है जो...!
इसको चाहत बना दूँ अगर तुम कहो...!!
लौट आओ...!!!

क्या कहा कि ये अँधेरे न मिट पायेंगे...!
क्या कहा रौशनी अब न हो पायेगी...!!
देके दिल का उजाला चिरागो को मैं...!
रात को दिन बना दूँ अगर तुम कहो .!!
लौट आओ...!!!

वो जुनूँ क्या हुआ वो वफ़ा क्या हुई...!
अब तो चूड़ी भी लाने की फुर्सत नहीं...!!
किस मुहब्बत से कल तक ये कहते थे तुम...!
चाँद तारे भी ला दूँ अगर तुम कहो...!!
लौट आओ...!!!

की सब यहाँ है अपने पराये नहीं...!
और अपनों से कुछ भी छिपाते नहीं...!!
जिक्र जिसमे तुम्हारी जफ़ाओ का है...!
वो गजल भी सुना दूँ अगर तुम कहो...!!

लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी...!
राह में दिल बिछा दूँ अगर तुम कहो...!!

शबीना अदीब ... ✍️✍️

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