कन्हैया ने कहा राधा,बता तू किसकी रानी है
बुरा है हाल तेरा, शर्म से क्यो पानी है
क्रोध आया तो राधा ने कहा ,सुन चोर माखन के।
मैं उसकी हूँ दीवानी.... जिसकी ये दुनिया दीवानी है!!
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हम तेरे शहर में आये है- गज़ल
जब भी मिलते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं
हम तो मौसम की तरह रोज़ बदल जाते हैं
हम अभी तक हैं गिरफ़्तार-ए-मुहब्बत यारो
ठोकरें खा के सुना था कि सम्भल जाते हैं
ये कभी अपनी जफ़ा पर न हुआ शर्मिन्दा
हम समझते रहे पत्थर भी पिघल जाते हैं
उम्र भर जिनकी वफ़ाओं पे भरोसा किये
वक़्त पड़ने पे वही लोग बदल जाते हैं
लाख दुश्मन ही सही मिलके तो देखो एक बार।
प्यार की आंच से ,पत्थर भी पिघल जाते है
बेहुनर शख्स से मिलकर, ये एहसास हुआ
खोटे सिक्के भी तो,बाज़ार में चल जाते हैं।।
ठोकरें खाके न सम्हला तो, ये तेरी क़िस्मत
लोग तो एक ही ठोकर में सम्हल जाते हैं।।
जब भी मिलते है तो कतरा के निकल जाते है
नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है,
बांके बिहारी ने उसे अपना बनाया है,
जय राधे, जय राधे, जय श्री कृष्ण बोलो जय राधे….
नाम मेरी राधा रानी का, सदा देता सहारा है,
तू भी एक बार जप ले, यह नाम बड़ा प्यारा है,
जय राधे, जय राधे, जय श्री कृष्ण बोलो जय राधे….
राधा राधा नाम वाली, फेरी जिसने माला है,
उस पर रीझ गया, मेरा मुरली वाला है,
जय राधे, जय राधे, जय श्री कृष्ण बोलो जय राधे….
राधा राधा नाम का तो, हुआ पागल जमाना है,
प्यारा तीनों लोको से, श्री जी का बरसाना है,
जय राधे, जय राधे, जय श्री कृष्ण बोलो जय राधे….
राधा राधा नाम वाली चढ़ गई हमें मस्ती है,
‘चित्र विचित्र’ पे कृपा राधा रानी की बरसती है,
जय राधे, जय राधे, जय श्री कृष्ण बोलो जय राधे….
रूठी राधा को मनाने आओ ।
ढूँढती है तुझे ब्रज की बाला,
रास मधुबन में रचाने आओ ।
राह तकते हैं यह गवाले कब से,
फिर से माखन को चुराने आओ ।
इंद्र फिर कोप कर रहा बृज पर,
नख पर गिरिवर को उठाने आओ ।
अपने ‘शर्मा’ को फिर से मनमोहन,
पाठ गीता का पढ़ाने आओ ।
उतरा सागर में उसको ही मोती मिला।
खोज जिसने भी की मैं उसी को मिला।।उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
तूने मूर्ति कहा मैं मूर्ती वान था
तूने पत्थर कहा मैं भी पाशन था
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
ये तो तेरे ही विश्वाश की बात है
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
धन्ना जात बुलाया मैं झट आ गया
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
उतरा सागर में जो उसको मोती मिले
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
ये कहना ग़लत है की उसका पता नही है
ढूँढने की हद तक कोई धुनता नही
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया
ये तो सच है की तूने बुलाया नही
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
मैं विदुरानी के छिलके तक खा गया
तूने प्रेम से मुझको खिलाया नही
खोज की जिसने मेरी मुझे पा गया
नुकता ची संका वाडी को मैना मिला
मुझको तो सबरी का भोला पं भा गया