मुझे ऐसी लगन तू लगा दे, मैं तेरे बिना पल ना रहूँ

 मुझे ऐसी लगन तू लगा दे, 

मैं तेरे बिना पल ना रहूँ


सामने बैठे रहो, दिल को करार आएगा
जितना देखेंगे तुम्हे उतना प्यार आएगा
दिल मे प्यार वाला दीप जला दे,
मैं तेरे बिना पल ना रहूँ...

जैसे जल बिन मछली जी ना पाए
ऐसे ही तड़पुं मैं तेरे लिए श्याम
अपनी प्यारी मुरलिया सुना दे,
मैं तेरे बिना पल ना रहूँ...

दिल को चुराया तूने कुछ ना कहा मैंने
इतना तरसाया तूने, सब कुछ सहा मैंने
अपनी प्यारी सुरतिया दिखा दे,
मैं तेरे बिना पल ना रहूँ...

तेरे चरणों की धुल में मैं मिल जाऊं
अब आस यही कहीं दूर ना जाऊं
ऐसा भक्ति का रंग चड़ा दे,
मैं तेरे बिना पल ना रहूँ...

padharo mehfil me tum gori ke lala पधारो महफिल में तुम गौरा के लाला

 प्रथम गजानंद पूजिए,जिनसे होती सब काम!
आन विराजो महफिल में, मेरी बिगड़ी बना दो बात!
गणेश को प्रणाम,महादेव को प्रणाम है !
इस ठोर को प्रणाम गुरुदेव को प्रणाम है !
साज को प्रणाम,सब समाज को प्रणाम है!
वृंदावन के बसैया,श्री कृष्ण को प्रणाम है!
गुरूमूर्ति मुख चंद्रमा,सेवक नयन चकोर!
अष्ट प्रहर नखत रहूं, श्री गुरु चरणन की ओर!
गौरी के लाला तेरा .....बोलबाला
पधारो महफिल में तुम गौरा के लाला !
रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता,भक्त जनों के भाग्य विधाता!
 दरश से हमें देना तुम, गोरी के लाला !
पधारो महफिल में तुम गौरा के लाला !
गोरा की आंखों के तारे ,भक्तजनों के हो राज दुलारे !
शंकर को लेकर आना -भोले को लेकर आना,
तुम गोरा के लाला !
पधारो महफिल में तुम,गौरा के लाला
आज महफिल में मैं,तुमको मनाऊं!
आज महफिल में हम तुमको बुलाएं,
आरती वंदन कर शीश झुकाऊं,
 सम्मति को लेकर आना
 रिद्धि सिद्धि को लाना
 सुख संपति को लाना
तुम गोरा के लाला पधारो
महफिल में तुम गोरा के लाला

गोरी के लाला रखियो जी रखियो माहरी लाज जी,

 


गोरी के लाला रखियो जी रखियो माहरी लाज जी,
हाथ जोड़ थारी करू वंदना सुन लीजियो महाराज जी,
गोरी के लाला रखियो जी रखियो माहरी लाज जी,

इक दंत देया वंत कहावो महिमा थारी भारी,
चार भुजा मते तिलक विराजे शोभा सब से न्यारी,
करो सवारी मुश्क की थे देवो के सरताज जी,
गोरी के लाला रखियो जी रखियो माहरी लाज जी,

ध्यान धरे जो प्रथम तिहारो मन वंचित फल पावे,
मिट जावे सब विघन विनाछक रिधि सीधी घर आवे,
सब की नियाँ पार करो  माने करियो भव सु पार जी,
गोरी के लाला रखियो जी रखियो माहरी लाज जी,

पूजा पाठ ना आवे  कोई कैसे तुम्हे मनाऊ,
अवगुण माहरे ध्यान ना धरियों चरनन शीश निभाऊ,
प्रीत सदा चरनन की पाऊ दीजियो  मोहे वरदान जी,
गोरी के लाला रखियो जी रखियो माहरी लाज जी,

न जाने कौन से गुण पर दया निधि

 प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .

अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..

ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की दु:ख व्यथा सुनकर।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में आँसु बहाते हैं ॥

कि जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं ।
यही सद् ग्रंथ कहते हैं, यही हरि भक्त गाते हैं ॥

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप दुर्योधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर, भोग छिलकों का लगाते हैं ॥

न आये मधुपुरी से गोपियों की, दु: ख कथा सुनकर ।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं ॥

न रोये बन गमन में , श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में , आँसु बहाते हैं ॥

कठिनता से चरण धोकर मिले कुछ 'बिन्दु' विधि हर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के घर जाकर लुटाते हैं ॥

राम भक्त ले चला रे राम की निशानी

 

राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भरत शीश धरी लीन्ही
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी (राम भक्त ले चला रे राम की निशानी)
शीश पर खड़ाऊँ अखियुं में पानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी निशानी (राम भक्त ले चला रे राम की निशानी)
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
शीश खड़ाऊ ले चला ऐसे
राम सिया जी संग हो जैसे
अब इनकी छाँव में रहेगी राजधानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी निशानी (राम भक्त ले चला रे राम की निशानी)
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
एक दिन तुम मुझे छोड़ कर चली गयी थी
आज मे तुझे छोड़ कर जा रहा हू
पल छिन लागे सदिओं जैसे चौदह बरस कटेंगे कैसे
जाने समय क्या खेल रचेगा कौन मरेगा कौन बचेगा
कब रे मिलन के फूल खिलेंगे नदियाँ के दो फूल मिलेंगे
जी करता है यही बस जाए
हिल मिल चौदह बरस बिताए
राम बिन कठिन है एक घड़ी बितानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी (राम भक्त ले चला रे राम की निशानी)
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
तन मन बचन उमंगी अनुरागा
धीर धुरंधर धीरज त्यागा
भावना में बह चले धीर वीर ज्ञानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी
शीश पर खड़ाऊँ अखियुं में पानी
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी (राम भक्त ले चला रे राम की निशानी)
राम भक्त ले चला रे राम की निशानी

शबरी संवार रास्ता

 शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी 

शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी

आँखों से रोज अपनि राहे बुहारती
कांटे लगे ना कोई कोमल है राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

डलिया में बेर बागो से चुन चुन के ला रही
खट्टे हो चाहे मीठे खायेंगे राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

आये जब श्री राम जी चरणों में गिर पड़ी
अंसुअन से धो रही है चरणों को राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

सुन्दर बिछा के आसन बैठाया राम को
दिया कंद मूल लाकर खाए है राम जी
शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी

शबरी संवार रास्ता आयेंगे राम जी
मेरा भी धन्य जीवन बनायेंगे रामजी


 

है जिंदगी कितनी खूबसूरत जिन्हें अभी ये पता नही हैं

 है जिंदगी कितनी खूबसूरत  

जिन्हें अभी ये पता नही हैं 

कोई बहुत प्यार करने वाला 

जिन्हें अभी मिला नही हैं ।। 

है जिंदगी कितनी खूबसूरत  

जिन्हें अभी ये पता नही हैं 

कोई बहुत प्यार करने वाला 

जिन्हें अभी मिला नही हैं ।।

चले जो आंधी वो तिनका तिनका 

बिखर जाए आसिया गम नही हैं 

चले जो आंधी वो तिनका तिनका 

बिखर आसिया गम नही हैं 

जो तोड़ दे मेरे हौसलो को  

अभी तूफा उठा नहीं हैं 

है जिंदगी कितनी खूबसूरत  

जिन्हें अभी ये पता नही हैं....।।

हमे तो मतलब है सिर्फ तुमसे 

हमारे दिल मे तू ही तू है 

हमे तो मतलब है सिर्फ तुमसे 

हमारे दिल मे तू ही तू है 

तुमसे मोहब्बत तुमसे शिकायत 

और किसी से गिला नही हैं 

है जिंदगी कितनी खूबसूरत  

जिन्हें अभी ये पता नही हैं....।।

मेरी निगाओ से दूर मत जा 

सुकुनै दिल बंदिल में समाजा 

मेरी निगाओ से दूर मत जा 

सुकुनै दिल बंदिल में समाजा 

हे कह रही हैं हर एक धङकन 

तेरा बिना कुछ मजा नही हैं ।। 

है जिंदगी कितनी खूबसूरत  

जिन्हें अभी ये पता नही हैं.... ।।

है जिंदगी कितनी खूबसूरत  

जिन्हें अभी ये पता नही हैं 

कोई बहुत प्यार करने वाला 

जिन्हें अभी मिला नही हैं ।।