परदे में बैठे बैठे यूँ ना मुस्कुराइए-PARDE ME BAITHE BAITHE YUN

परदे में बैठे बैठे यूँ ना मुस्कुराइए

परदे में बैठे बैठे यूँ ना मुस्कुराइए,
आ गए तेरे दीवाने ज़रा पर्दा हटाइए ।

पर्दा तेरा हमे नहीं मंजूर सांवरे,
बैठा है छुप के दीवानो से क्यों दूर सांवरे ।
मैं भी तो आया दो कदम, ज़रा तुम भी बढ़ाइए,
आ गए तेरे दीवाने ज़रा पर्दा हटाइए ॥

हम चाहने वाले हैं तेरे, हमे है तुमसे मोहोबत,
कर दो करम ज़रा दिखा दो, अब सांवरी सूरत ।
प्यासी निगाहे दीद की, जरा नजरे मिलाइए,
आ गए तेरे दीवाने ज़रा पर्दा हटाइए ॥

तेरी इक झलक को प्यारे मेरा अब दिल बेकरार है,
दीदार की तमन्ना मुझे अब तेरा इंतजार यही ।
रह रह के हमे इस तरह, यूँ न सताइए,
आ गए तेरे दीवाने ज़रा पर्दा हटाइए ॥

तू ही जिंदगी है बंदगी, तू ही आरजू हमारी,
अरमान मेरे दिल का करो पूरा बांके बिहारी ।
‘चित्र विचत्र’ को अपने प्रेम का पागल बनाइये ,
आ गए तेरे दीवाने ज़रा पर्दा हटाइए ॥

बजरंग बाण

दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान।।

हनुमान चालीसा

                      दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ।।
               चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।।
महाबीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुंचित केसा ।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।
शंकर सुवन केशरीनंदन ।
तेज प्रताप महा जग बंदन ।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ।।
लाय सजीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सैम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ।।
जुग सहस्त्र जोजन यर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीँ ।।
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तें काँपै ।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
संकट तें हनुमान छुड़ावैं ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जात उजियारा ।।
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अंत काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरु देव की नाईं ।।
जो सत पार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।।
                   दोहा
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।
राम लषन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।।

श्याम तेरी वंशी पागल कर जाती है- SHYAM TERI VANSHI PAGAL KAR JATI HE

मेरे श्याम तेरी बंसी पागल कर जाती है,
मुस्कान तेरी मीठी घायल कर जाती है।
सोने की होती जो, ना जाने क्या करती,
जब बांस की होकर यह दुनिया को नचाती है।
दुख दर्दों को सहना वंशी ने सिखाया है,
इसके छेद हैं सीने में, फिर भी मुस्काती है।
तुम गोरे होते जो, ना जाने क्या करते,
जब काले रंग पे यह दुनिया मर जाती है।
गर शादी होती तो न जाने क्या होता,
बिन शादी के राधा कितना इतराती हैं।
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो,
कभी माखन खाने की मन में आ जाती है।

ram kahani suno re ram kanahi kahat sunat aave ankhio me pan राम कहानी सुनो रे राम कहानी

राम कहानी सुनो रे राम कहानी
कहत सुनत आवे आँखों में पानी

श्री राम जय जय राम

दशरथ के राज दुलारे, कौशल्या की आँख के तारे
वे सूर्य वंश के सूरज, वे रघुकुल के उज्जयारे
राजीव नयन बोलें मधुभरी वाणी
राम कहानी सुनो रे राम कहानी...

शिव धनुष भंग प्रभु करके, ले आए सीता वर के
घर त्याग भये वनवासी, पित की आज्ञा सर धर के
लखन सिया ले संग, छोड़ी रजधानी
राम कहानी सुनो रे राम कहानी...

खल भेष भिक्षु धर के, भिक्षा का आग्रह करके
उस जनक सुता सीता को, छल बल से ले गया हर के 
बड़ा दुःख पावे राजा राम जी की रानी
राम कहानी सुनो रे राम कहानी...

श्री राम ने मोहे पठायो, मैं राम दूत बन आयो
सीता माँ की सेवा में रघुवर को संदेसा लायो
और संग लायो प्रभु मुद्रिका निसानी 
राम कहानी सुनो रे राम कहानी...

छम छम नाचे वीर हनुमाना

छम छम नाचे वीर हनुमान
        पावो में घुंघरू बाँध के नाचे, मेरा बजरंग प्यारा ॥

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ।
कहेते है लोग इसे राम का दीवाना ॥

पाँवो मे घुंगूरू बाँध के नाचे ,
रामजी का नाम इन्हे बड़ा प्यारा लागे ।
राम ने भी देखो इसे खूब पहचाना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ॥

जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्री राम का,
लगता है पहेरा वहाँ वीर हनुमान का ।
राम के चरण मे है इनका टिकना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ॥

नाच नाच प्रभु श्री राम को रिझवे,
‘बनवारी’ रात दिन नाचता ही जाए ।
भक्तो मे भक्त बड़ा, दुनिया ने माना,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना ॥

जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली -हनुमान भजन

जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली

जय हो जय तो तुम्हारी जी बजरंगबली,
ले के शिव रूप आना गज़ब हो गया ।
त्रेता युग में थे तुम आये, द्वार में भी,
तेरा कलयुग में आना गज़ब हो गया ॥
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बचपन की कहानी निराली बड़ी,
जब लगी भूख बजरंग मचलने लगे ।
फल समझ कर उड़े आप आकाश में,
तेरा सूरज को खाना गज़ब हो गया ॥
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कूदे लंका में जब मच गयी खलबली,
मारे चुन चुन के असुरों को बजरंगबली ।
मार डाले अक्षे को पटक के वोही,
तेरा लंका जलाना गज़ब हो गया ॥
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आके शक्ति लगी जो लखन लाल को,
राम जी देख रोये लखन लाल को ।
लेके संजीवन बूटी पवन वेग से,
पूरा पर्वत उठाना गज़ब हो गया ॥
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जब विभिक्षण संग बैठे थे श्री राम जी,
और चरणों में हाजिर थे हनुमान जी ।
सुन के ताना विभिक्षण का अनजानी के लाल,
फाड़ सीना दिखाना गज़ब हो गया ॥
                                                       
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