खो गयो बाजु बंद रसिया होरी में- kho gyo baju band rasiya hori me


हनुमान भजन


गौरी के नंदा -GORI KE NANDA

 गौरी के नंदा गजानन,

दोहा - सदा भवानी दाहिनी,
सनमुख रहत गणेश,
पाँच देव रक्षा करे,
ब्रम्हा विष्णु महेश।
विघ्न हरण मंगल करण,
गणनायक गणराज,
रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो,
म्हारा पूरण कर जो काज।।

गौरी के नंदा गजानन गौरी के नंदा,

गौरी के नंदा गजानन,
गौरी के नन्दा,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नन्दा ।।

पिता तुम्हारे है शिव शंकर,
मस्तक पर चँदा,
माता तुम्हारी पार्वती,
ध्यावे जगत बन्दा,
म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा।।

मूसक वाहन दुंद दुन्दाला,
फरसा हाथ लेनदा,
गल वैजंती माल विराजे,
चढ़े पुष्प गंधा,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा।।

जो नर तुमको नहीं सुमरता,
उसका भाग्य मंदा,
जो नर थारी करे सेवना,
चले रिजक धंधा,
म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा।।

विघ्न हरण मंगल करण,
विद्या वर देणदा,
कहता कल्लू राम भजन से,
कटे पाप फंदा,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नंदा।।

गौरी के नंदा गजानन,
गौरी के नन्दा ,
म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,
गौरी के नन्दा ।।


 

o mere ladle gajan pyare pyare-ओ मेरे लाडले गजानन प्यारे प्यारे


bhole baba ka rup nirala re- भोले बाबा का रूप निराला रे


YE SUNDAR SHRINGAR SUHANA LAGTA HE - ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे

ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे 
भगतो का तो दिल दिवाना लगता हे॥
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे ..............

ज्यादा मत देखो नजर लग जाएगी।
ये र्कीतन की रात दोवारा आएगी॥
ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे !


अगर हम दूर  से देखें कन्हैया पास लगते हो !

अगर नज़दीक से देखें हमें तुम खास लगते हो॥
ये सुन्दर सेहरा सुहाना लगता.......... है
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता हे 

ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे !

हजारे बार देखा हे हजारों बार सजते हो।
मगर क्या बात हे मोहन गजब के आज लगते हो॥

ये तेरा अंदाज़ पुराना लगता............. हे 
भगतो का तो दिल दिवाना लगता हे॥

ये सुन्दर श्रृंगार सुहाना लगता हे !

उछालो रंग बनवारी दीवाना आज कर डालो !
ज़रा मुस्का के देखो तुम नज़र के तीर मत मारो !!
भक्तों के दिल पे निशाना लगता......... हे 
DULHE KA SEHRA 

मुकुट सिर मोर का....... MUKUT SIR MOR KA......

मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का


मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥


आजा के भर लूँ तुझे अपनी में बाहों में!
आजा छिपा लूँ तुझे अपनी निगाहों में 

दीवानों ने विचार के, कहा यह पुकार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥

कमल लज्जाये तेरे नैनो को देख के ।
भूली घटाए तेरी कजरे की रेख पे ।
यह मुखड़ा निहार के, सो चाँद गए हार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥

कुर्बान जाऊं तेरी बांकी अदाओं पे ।
पास मेरे आजा तोहे भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।
जमाने को विसार के, दिलो जान टोपे वार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥

रमण बिहारी नहीं तुलना नहीं तुम्हारी ।
तुझ सा ना पहले कोई ना देखा अगाडी ।
दीवानों ने विचार के, कहा यह पुकार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥