करो मन चलने की तैयारी।

दोहा 

जाते नहीं है कोई 

दुनिया से दूर चलके 

आ  मिलते है  सब यही पर 

कपड़े बदल बदल के 



 करो मन चलने की तैयारी।
आये हो तो जाना होगा,
शाश्वत नियम निभाना होगा।
सूरज रोज़ किया करता है,
ढ़लने की तैयारी।


स्वप्न सभी रह गए अधूरे,
जाने कौन करेगा पूरे।
कालबली सम्पन्न कर चुका,
छलने की तैयारी।


हमसे कोई तंग न होगा,
महफ़िल होगी रंग न होगा।
गंगा के तट धू-धू करके ,
जलने की तैयारी।
करो मन चलने की तैयारी।

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