बिन पिये नशा हो जाता है// BIN PIYE NASHA HO JATA HAI

बिन पिये नशा हो जाता है

जो राधे राधे गाता  है

बिन पिये नशा हो जाता है
जब सुरत देखू मोहन की

मनमोहन मदन मुरारी है
जन जन का पालनहारी है
एह दिल उस पर ही आता है
जब.......

घुंघराली लट मुख पर लटके
कानो में कंडल है छलके
जब मन्द मन्द मुस्काता है
जब.......

अंदाज़ निराले है उनके
दुख दर्द मिटाये जीवन के
मेरा रोम रोम हर्षाता है
जब........

वानी में सरस विवार सरल
आंखो में है अंदाज़ उमंग
आनन्द नन्द बरसाता है
जब........

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