मुझे गम नहीं है इसका कि बदल गया जमाना
मेरी जिंदगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना
प्यार में ताकत है दुनिया को झुकाने की
वरना क्या जरूरत थी राम को शबरी के जूठे बेर खाने की
जो कुछ है तेरे दिल में सब उसको ख़बर है
बंदे तेरे हर हाल पर भगवान की नजर है
जंगल में रहो या बस्ती में लहरों में रहो या कश्ती में
महंगी में रहो या सच्ची में पर रहो सदा भगवान की भक्ति में
ना पैसा लगता है ना खर्चा लगता है
राम राम बोलिए बड़ा अच्छा लगता है
शब्द शब्द में ब्रह्म है शब्द शब्द में सार
शब्द सदा ऐसे कहो जिनसे उपजे प्यार
वह तैरते तैरते डूब गए जिन्हे खुद पर गुमान था
वह डूबते डूबते तर गए जिन पर तू मेहरबान था
सागर मथ कर अमृत पर देव सभी ललचाए
पर तुम अभ्यंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए
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