शायरी दोहे 2022

 मुझे गम नहीं है इसका कि बदल गया जमाना

 मेरी जिंदगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना

प्यार में ताकत है दुनिया को झुकाने की

वरना क्या जरूरत थी राम को शबरी के जूठे बेर खाने की

जो कुछ है तेरे दिल में सब उसको ख़बर है 

बंदे तेरे हर हाल पर भगवान की नजर है

जंगल में रहो या बस्ती में लहरों में रहो या कश्ती में

महंगी में रहो या सच्ची में पर रहो सदा भगवान की भक्ति में

ना पैसा लगता है ना खर्चा लगता है 

राम राम बोलिए बड़ा अच्छा लगता है

शब्द शब्द में ब्रह्म है शब्द शब्द में सार

शब्द सदा ऐसे कहो जिनसे उपजे प्यार

वह तैरते तैरते डूब गए जिन्हे खुद पर गुमान था

 वह डूबते डूबते तर गए जिन पर तू मेहरबान था

सागर मथ कर अमृत पर देव सभी ललचाए

 पर तुम अभ्यंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए





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