मोहन नैना आपके नौका के आकर
जो जन इनमे इनमे बस सो जान है गए पार।।
आ पिया इन नैनं में पालक धाप तोहे लू
ना मैं तोहे देखु गैर को न तोहे देखन दूँ।।
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं
अब जाऊं कहां मैं सांवरिया।।
पीया छोड़ गए दिल तोड़ गए दिल
अब बांके फिरू मैं बावरिया
अब बांके फिरू मैं बावरिया।।
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं
अब जाऊं कहां मैं सांवरिया।।
तिरछी चितवन बाकी है अदा
तेरे नैन कटीले कजरारे
अब तेरे बिना जी लगता नहीं
अब काहे सताए सांवरिया तेरी।।
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं
अब जाऊं कहां मैं सांवरिया।।
मुरली की मीठी तानों पर
दिल मेरा कन्हैया खोने लगा
अब आके सुना दे बांसुरिया
अब मिल भी जाओ सांवरिया।।
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं
अब जाऊं कहां मैं सांवरिया।।
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