'जय-जय राम'मन चातक यह कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,चरणों में तेरे बसते है, जग के सारे धाम..जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम. नगर अयोध्या में तुम जन्मे, दशरथ पुत्र कहाये,गुरु थे विश्वामित्र तुम्हारे, कौशल्या के जाये,ऋषि मुनियों की रक्षा करके, धन्य किया है नाम ..मन चातक यह कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,वाल्मीकि, तुलसी से साधक, बाँटे जग में ज्ञान... जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम..मित्र संत सुग्रीव तुम्हारे, केवट-शबरी साधक,भ्रात लक्ष्मण साथ तुम्हारे, राक्षस सारे बाधक,बालि व रावण को संहारा, सौंपा अपना धाम ..जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम..था जटायु सा मित्र तुम्हारा, आया रण में काम ..मन चातक यह कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम, शिव जी ठहरे साधक तेरे, हनुमत भक्त कहाते,जिन पर कृपा तुम्हारी होती वो तेरे हो जाते,सभी भक्तजन रहें शरण में, मिले तुम्हारा धाम ..जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम..जग में हम सब चाहें तुझसे, भक्ति हृदय में राम .. मन चातक यह कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,मोक्ष-आदि क्या तुमसे माँगूं , कर्मयोग तुम देना,जब भी जग में मैं गिर जाऊँ, मुझको अपना लेना,कृष्ण, कल्कि प्रिय रूप तुम्हारे, परमब्रह्म है नाम ..प्रतिक्षण करूँ वंदना तेरी, भाव मुझे दो राम .. जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम..मन चातक यह कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम, चलता जो भी राह तुम्हारी, जग उसका हो जाता,लव-कुश जैसे पुत्र वो पाए, भरत से मिलते भ्राता,उसके दिल में तुम बस जाना जो ले तेरा नाम ..भक्ति भाव में अम्बरीष ये, करता तुम्हें प्रणाम . जय-जय राम सीताराम, जय-जय राम सीताराम.मन चातक यह कब से प्यासा, दर्शन दे दो राम,चरणों में तेरे बसते है, जग के सारे धाम.जय-जय राम सीता राम जय-जय राम सीता राम…
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जय-जय राम सीताराम-JAY JAY RAM SEETA RAM
मेरे सरकार का दीदार बड़ा प्यारा है
मेरे सरकार का दीदार बड़ा प्यारा है
मेरे सरकार का दीदार बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा गोविन्द बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा गोविन्द बड़ा प्यारा है
.तेरे नैना कटीले मोटे मोटे रसीले
तेरे नैना कटीले मोटे मोटे रसीले।
दिल को छीन लिया तेरी प्यारी हसी
दिल को छीन लिया तेरी प्यारी हसी
प्यारी अंखियों में लगा कजरा बड़ा प्यारा है
प्यारी अंखियों में लगा कजरा बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा……..
लटों ने लूट लिया जिगर घायल ये किया
लटों ने लूट लिया जिगर घायल ये किया
तेरी प्यारी अदा ने मुझे बैचैन किया
तेरी प्यारी अदा ने मुझे बैचैन किया
मेरे सीने में तेरा दर्द बड़ा प्यारा है
मेरे सीने में तेरा दर्द बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा…….
मेरे सरकार का दीदार बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा गोविन्द बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा गोविन्द बड़ा प्यारा है
.तेरे नैना कटीले मोटे मोटे रसीले
तेरे नैना कटीले मोटे मोटे रसीले।
दिल को छीन लिया तेरी प्यारी हसी
दिल को छीन लिया तेरी प्यारी हसी
प्यारी अंखियों में लगा कजरा बड़ा प्यारा है
प्यारी अंखियों में लगा कजरा बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा……..
लटों ने लूट लिया जिगर घायल ये किया
लटों ने लूट लिया जिगर घायल ये किया
तेरी प्यारी अदा ने मुझे बैचैन किया
तेरी प्यारी अदा ने मुझे बैचैन किया
मेरे सीने में तेरा दर्द बड़ा प्यारा है
मेरे सीने में तेरा दर्द बड़ा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा…….
ओ मेरे श्याम पिया तेरे बिन तड़पे
ओ मेरे श्याम पिया तेरे बिन तड़पे
प्रेम तुम से ही किया तूने क्या जादू
तेरी यांदो में थिरके अंग मेरा सारा है
तेरी यांदो में थिरके अंग मेरा सारा है
कृष्ण मेरा प्यारा…….
तेरी यांदो में थिरके अंग मेरा सारा है
तेरी यांदो में थिरके अंग मेरा सारा है
कृष्ण मेरा प्यारा…….
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मेरे सरकार का दीदार बड़ा प्यारा है ……..
मेरे सरकार का दीदार बड़ा प्यारा है ……..
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की - NAND KE ANAND BHAYO
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की
सारे ब्रज में शोर मचा है, गोकुल में है हल्ला
नन्द यशोदा के घर जन्मा सोहणा सोहणा लल्ला
बल्ले बल्ले बधाई सारे भगतां ने
धन घड़ी धन भाग्य हमारा ऐसा शुभ दिन आया
हम भगतों की रक्षा करने कृष्णा कन्हैया आया
बल्ले बल्ले बधाई सारे भगतां ने
बाल कृष्णा के दर्शन करने देवी देवता आएं
पलने में पालनहारी को देख सभी सुख पाएं
बल्ले बल्ले बधाई सारे भगतां ने
सोड़ा सोड़ा चाँद सा मुखड़ा नजर नहीं लग जावे
लल्ला के मस्तक पे मैया काली टिकी लगावे
बल्ले बल्ले बधाई सारे भगतां ने
बनवारी जन्माष्टमी आई घर घर थाल बजाओ
झूमो नाचो ख़ुशी मनाओ जय जयकार लगाओ
बल्ले बल्ले बधाई सारे भगतां ने
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया- PRAGTE HE CHARON BHAIYA
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया
बाजे बधाईयां बाजे शहनाईंयां
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया
गलिन गलिन में धूम मची है-2
बाज रही शहनाईयां अवध में बाजे बधाईयां
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया
जगमत जगमत दिवला जलत है-2
झिलमिल होत अटरिया अवध में बाजे बधाईयां
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया
मईया लुटावे हीरे मोती-2
राजा लुटावे रुपइया अवध में बाजे बधाईयां
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया
झांझ मृदंग ताल ढप बाजे-2
नाचे ता ता थइया अवध में बाजे बधाईयां
प्रकटे हैं चारों भैया अवध में बाजे बधाईया
आज की बधाई राजा दशरथ जी के-AAJ KI BADHAI RAJA DASHRATH JI KE
आज की बधाई राजा दशरथ जी के
गंगा फूले यमुना फूले अति सुख पाइके
सरयू मैया ऐसे फूले राम के नहाय से
आज की बधाई राजा दशरथ जी के
चंपा चमेली जूही ऐसे फूले अति सुख पाइके
महलों में कौशल्या फूले अति सुख पाइके
आज की बधाई राजा दशरथ जी के
सूरज फूले चंदा फूले अति हर्षाय के
मोती जैसे चावल फूले राम के शीश पे लगाय के
आज की बधाई राजा दशरथ जी के
ऋषि मुनि महर्षि फूले अति हर्षाय के
वशिष्ट मुनि ऐसे फूले नाम रखवाय के
आज की बधाई राजा दशरथ जी के
ब्रम्हा फूले विष्णु फूले आनंद मनाय के
तुलसी दास ऐसे फूले राम गुण गाय के
आज की बधाई राजा दशरथ जी के
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ- HE RAJA RAM TERI ARTI UTARUN
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ
आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ,
कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल छबि को सदा निहारूँ,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
बाम भाग शोभति जग जननी,
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हिरदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
बधन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
भये प्रगट कृपाला-BHAYE PRAGAT KRIPALA
भये प्रगट कृपाला
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी .
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ..
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ..
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ..
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता .
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ..
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै .
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै .
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ..
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा .
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ..
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा .
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ..
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